स्मृति ईरानी ने धमकाया तो पत्रकारों की नौकरी गई, बोले- हम और हमारा परिवार काफी डरे हुए हैं

अमेठी में पत्रकारों द्वारा सवाल पूछने पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भड़क गई थीं.

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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी के दौरे पर हैं. इस दौरान पत्रकारों को धमकाने का एक वीडियो शुक्रवार रात से सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में वह पत्रकार से कहती हैं कि, ‘अगर आप मेरे क्षेत्र का अपमान करेंगे तो मैं आपके मालिकान को फोन करके कहूंगी. आइंदा मेरे क्षेत्र की जनता का अपमान मत करिए, बहुत प्यार से निवेदन कर रही हूं.’  

इस वीडियो के वायरल होने के बाद जहां एक और सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री पर सवाल उठाए जा रहे हैं. वहीं, इस दौरान जिन पत्रकारों को स्मृति ईरानी धमका रही थीं, वे रातों-रात बेरोजगार हो गए. 

जानकारी के मुताबिक ये पूरा विवाद, तब शुरू हुआ जब पत्रकारों ने स्मृति ईरानी से बाइट देने (पत्रकारों के समक्ष बयान देने) का निवेदन किया. 

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हमने इस पूरे मामले में शामिल पत्रकार बिपिन यादव और राशिद हुसैन से बात की. बिपिन यादव कहते हैं, “मैं छोटा सा आदमी हूं और केंद्रीय मंत्री के सामने मेरी कोई हैसियत नहीं है.” 

वीडियो वायरल होने के बाद से पत्रकार और उनका परिवार काफी डरा हुआ है. वह कहते हैं कि मामला इतना हाइलाइट हो गया है कि अब मेरा परिवार डरा हुआ है कि कहीं कोई पुलिस केस न बन जाए. 

पूरा घटनाक्रम बताते हुए वह कहते हैं, “स्मृति ईरानी सलोन विधानसभा से जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के कृष्णा नगर चौराहे पर ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई थीं. इस कार्यक्रम के बाद जब वह जाने लगीं तो मेरे जैसे कई पत्रकारों ने उनकी बाइट लेनी चाही. जिस पर वह भड़क गईं.”

इस दौरान मंत्री ने पत्रकारों को मना करते हुए कहा, ‘मैंने सलोन में बाइट दी है तो अब यहां क्या बाइट दूं?” इस पर पत्रकारों ने कहा, “जब आपने सलोन में बाइट दी है तो दीदी ये जगदीशपुर विधानसभा है, आप यहां भी दे दीजिए.” इतने में वह भड़क गईं कि आपने सलोन को कैसे अलग कर दिया, आप जनता का अपमान कर रहे हैं.

पत्रकार बिपिन कहते हैं कि मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैंने कहा कि दीदी आप पत्रकारों को कभी मना नहीं करती हैं, उनका जवाब बहुत अच्छे से देती हैं. आप तो मुखर वक्ता और नेता हैं.

वह आगे कहते हैं, "इसके बाद दैनिक भास्कर ने रात में ट्वीट कर दिया कि हम उनके स्ट्रिंगर नहीं हैं. जबकि ये गलत है. भास्कर ने यहां के चारों ब्लॉक में स्ट्रिंगर नियुक्त किए हुए हैं. मुझे भी यहां पर कैमरामैन के रूप में रखा गया है. मैं और राशिद हुसैन यहां पर दैनिक भास्कर के स्ट्रिंगर हैं. हम दोनों ने 23 मार्च को लखनऊ जाकर ज्वाइनिंग की थी.”

वह बताते हैं, “हमें 23 मार्च को लखनऊ बुलाया गया था. वहीं पर राशिद हुसैन को ब्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव ने माइक आईडी दी थी. तब मुझसे भी कहा गया था कि अभी तुम इनके साथ कैमरामैन के तौर पर काम करो, दो तीन महीने में तुमको लेटर दे देंगे. साथ ही कहा था कि अमेठी जिला के मुसाफिरखाना ब्लॉक में रिपोर्टर की जगह खाली है, आपको वहां शिफ्ट कर देंगे. लेकिन स्मृति ईरानी की धमकी के बाद, हम दोनों को यहां से हटा दिया गया है और हमारी माइक आईडी भी वापस ले ली गई है.”

ब्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव से माइक आईडी लेते राशिद हुसैन (दाएं)

क्या आपको यहां सैलरी मिलती थी? इस पर वह कहते हैं, “नहीं, उल्टा हमने तो ज्वाइन करने के लिए भास्कर को पांच हजार रुपए दिए थे.”

राशिद हुसैन से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने भी कुछ ऐसा ही बताया. वे कहते हैं कि सब कुछ ठीक चल रहा था. बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा रखे गए कार्यक्रम ‘चाय पर चर्चा’ में सभी ने चाय-समोसा लिया था. इसके बाद जब मंत्री जाने लगीं तो हमारे कैमरामैन बिपिन ने कहा कि मैडम हमको भी बाइट दे दीजिए. इस दौरान वह गुस्सा हो गईं और इस बात को जनता से जोड़ दिया. राशिद ने बताया कि बिपिन कैमरामैन के तौर पर उनके साथ काम करते हैं.

जब हमने पूछा कि अगर वे दोनों भास्कर से जुड़े हैं तो उनके पास कोई दस्तावेज क्यों नहीं, तो राशिद कहते हैं, “23 मार्च को हमें लखनऊ बुलाया गया था. मेरे फोटो, आधारकार्ड और अन्य कागज वहां पर जमा कराए गए थे. हमें कहा गया था कि दस्तावेज बाद में भेज दिए जाएंगे. हमें यहां रिपोर्टर के तौर पर रखा गया था. हम यहां अमेठी जिले की गौरीगंज तहसील के पत्रकार हैं.” 

वे भास्कर से कैसे जुड़े और अब क्या उन्हें हटा दिया गया है? इस सवाल के जवाब में वे बताते हैं, “लखनऊ में अमेठी के ब्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव ने मनीष अवस्थी की मौजूदगी में हमारी ज्वाइनिंग कराई थी. हमें कहा था कि कार्ड ब्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव के हाथ भेजे जाएंगे. अब इस विवाद के बाद आज हमें स्ट्रिंगर बता दिया गया. हमसे माइक आई़डी वापस ले ली गई. हमें दैनिक भास्कर के व्हाट्सएप ग्रुप से भी हटा दिया गया है.” 

वे बताते हैं कि भास्कर के लिए उन्होंने आपराधिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों समेत कई रिपोर्ट की हैं. जो आज भी मौजूद हैं.  

गौरतलब है कि, शुक्रवार देर रात दैनिक भास्कर ने ट्वीट किया था, “केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और एक पत्रकार के बीच बहस का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसमें विपिन यादव नाम को जो पत्रकार खुद का दैनिक भास्कर (डीबी कॉर्प) का रिपोर्टर बता रहा है, वह गलत है. अमेठी लोकसभा के इस क्षेत्र में दैनिक भास्कर का कोई स्थायी पत्रकार कार्यरत नहीं है. यहां दैनिक भास्कर अपने स्ट्रिंगर नेटवर्क से खबरें देता है. लेकिन विपिन भास्कर के स्ट्रिंगर नहीं है.”

भास्कर ने यह ट्वीट कांग्रेस द्वारा स्मृति ईरानी का वीडियो ट्वीट किए जाने के जवाब में किया था. 

 वहीं, भास्कर के बाद कांग्रेस के ट्वीट का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने लिखा- हे दिव्य प्राणी, ये तो दिव्यता की पराकाष्ठा है, रिपोर्टर FAKE निकला.

तो क्या वाकई बिपिन यादव फेक रिपोर्टर है या वो सच में भास्कर से जुड़ा था. इसकी सत्यता जानने के लिए हमने दैनिक भास्कर के अमेठी ब्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव से बात की. श्रीवास्तव कहते हैं कि उन्होंने माइक आईडी वापस ले ली है क्योंकि उनकी माइक आईडी कोई और प्रयोग कर रहा था जबकि भास्कर का स्ट्रिंगर राशिद है. 

तो क्या राशिद को नौकरी से हटा दिया?, इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि स्ट्रिंगर की कोई बहुत बड़ी नौकरी होती नहीं है. उन्हें संस्थान तन्ख्वाह नहीं देता बल्कि इन्हें तो सिर्फ विज्ञापन पर कमीशन मिलता है. 

इस बारे में क्या स्मृति ईरानी से भी बात हुई?, इस सवाल का जवाब देते हुए श्रीवास्तव कहते हैं, “हमने मैडम (स्मृति ईरानी) से भी बात की. उन्हें बताया कि आईडी वगैरह वापस ले ली है तो मैडम बोलीं ठीक है.” 

इस बात की पुष्टि विनोद भी करते हैं कि राशिद हुसैन ने दो महीने पहले ही भास्कर ज्वाइन किया था.  वह कहते हैं, वह कोई बहुत बड़ा पत्रकार तो था नहीं. उनका काम सिर्फ इतना था कि विज्ञापन लाओ, कमीशन लो बस, इससे ज्यादा कुछ नहीं. उसने कहा था तो हमने उसे माइक आईडी दिलवा दी थी लेकिन अब वह बेवजह बदनामी करवा रहा है.

इसके आगे श्रीवास्तव कहते हैं, “हमसे ऊपर वालों (भास्कर के अधिकारियों) ने भी पूछा था तो हमने सब बता दिया. इसके बाद हमें कहा गया कि माइक आईडी जमा करवा लो तो हमने करवा ली. वैसे हमें कोई अधिकार नहीं है ये सब करने का लेकिन ऊपर से आदेश आया तो करना पड़ा.”

हमने इस घटना को लेकर वहां मौजूद बाकी पत्रकारों से भी बात की. नाम न छापने की शर्त पर एक पत्रकार बताते हैं, “हम लोग दीदी-दीदी करके बात कर रहे थे लेकिन ईरानी जी ने बेवजह इश्यू बना दिया. जबकि किसी पत्रकार ने कोई सवाल तक नहीं किया था. हम सिर्फ निवेदन कर रहे थे कि दीदी एक बाइट दे दीजिए लेकिन उन्होंने नहीं दी.” वे कहते हैं कि शुक्र है कि ईरानी जी से कोई सवाल नहीं पूछा, अगर कोई पत्रकार सवाल पूछ लेता तो पता नहीं क्या होता.  

वहीं, इस मामले एक और पत्रकार कहते हैं, “जितना मैं जानता हूं राशिद दैनिक भास्कर में पत्रकार हैं. इस घटना के बाद से राशिद और बिपिन दोनों को नौकरी से हटा दिया गया है. उनसे माइक आईडी वगैरह भी जमा करवा ली गई है.” 

वह कहते हैं कि इन लोगों को तो पैसा भी नहीं मिलता था, फ्री में काम करते थे. भास्कर में वीडियो वालों को पैसा नहीं मिलता है. ये कोई मामला था भी नहीं लेकिन इसे बेवजह तूल दे दिया जबकि ये सिर्फ बाइट लेने का ही मामला था. 

नोटः इस स्टोरी को 11 जून, शाम 6:25 बजे अपडेट किया गया.

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