भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 1 फरवरी 2023 तक प्रिंट मीडिया को कुल 23 अरब 3 करोड़ 44 लाख 40 हजार 961 रुपए का विज्ञापन दिया है.
नवंबर 2022. जगह दिल्ली का कालकाजी-गोविंदपुरी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के पुनर्वास के लिए 3,024 ईडब्ल्यूएस आवासों का उद्घाटन किया था. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने दिल्ली के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापनों का कोई सहारा नहीं लिया. हमारी सरकार लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने में यकीन रखती है. चेहरा चमकाने में नहीं.’’
प्रधानमंत्री इस तरह की आदर्शवादी बातें अक्सर ही करते हैं. अप्रैल, 2023 में दिल्ली के विज्ञान भवन में आईएएस अधिकारियों को सम्मानित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जो राजनीतिक दल सत्ता में आया है, क्या वह करदाताओं के पैसों का इस्तेमाल अपने दल के प्रचार-प्रसार के लिए कर रहा है या देश के हित के लिए कर रहा है? उसका इस्तेमाल कहां हो रहा है? यह आप लोगों को देखना ही होगा.’’
खुद केंद्र की मोदी सरकार या भाजपा शासित राज्यों की सरकारें क्या इस सलाह को गंभीरता से लेती हैं या उन पर खुद अमल करती हैं? इस रिपोर्ट को पढ़कर आप आसानी से यह निर्णय ले सकेंगे. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद एक दस्तावेज के मुताबिक मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर एक फरवरी 2023 तक मीडिया में विज्ञापन पर करोड़ों नहीं अरबों रुपया खर्च किया है.
यहां हम प्रिंट मीडिया की बात करने जा रहे हैं. सत्ता में आने के 2,528 दिनों में मोदी सरकार ने कुल 23 अरब 3 करोड़ 44 लाख 40 हजार 961 रुपए सिर्फ प्रिंट मीडिया को दिए गए विज्ञापन पर खर्च किया है. प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो जनता के टैक्स का करीब 71 लाख रुपया हर दिन सिर्फ अखबारी विज्ञापन पर खर्च हो रहा है.
इन नौ सालों में हुए विज्ञापन के खर्च की 50 प्रतिशत से ज़्यादा राशि ( 16 अरब 71 करोड़ 12 लाख 11 हज़ार 741 रुपए ) करीब 30 मीडिया संस्थानों को मिली. शेष राशि में दूसरे अख़बार शामिल थे. बता दें कि अलग-अलग साल में सरकारी विज्ञापन पाने वाले अख़बारों की संख्या अलग-अलग रही है. जैसे 2015-16 में यह संख्या 8315 तो वहीं 2022-23 में यह संख्या 3123 थीं.
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