द वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार अब भारत में चीनी सरकारी मीडिया का कोई रिपोर्टर मौजूद नहीं है.
द वॉल स्ट्रीट जनरल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन एक दूसरे के पत्रकारों को बाहर निकाल कर मीडिया की पहुंच से एक-दूसरे को दूर रखना चाहते हैं. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत ने इस महीने देश में शेष बचे दो चीनी पत्रकारों का वीजा रिन्यू करने से इंकार कर दिया. 1980 के दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब भारत में कोई भी चीनी रिपोर्टर नहीं बचा है.
रिपोर्ट भारत में स्थित चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता द्वारा किए गए ट्वीट के कुछ घंटों बाद ही प्रकाशित हुई. प्रवक्ता ने ट्वीट में कहा कि साल 2023 के गत पांच महीनों में विभिन्न उद्देश्यों के चलते चीन की यात्रा करने वाले 60,000 से अधिक भारतीयों को वीजा जारी किए जा चुके हैं.
इससे पहले अप्रैल में चीन ने भारत के दो पत्रकारों का वीजा रिन्यू नहीं किया था. इनमें से एक द हिंदू के संवाददाता अनंत कृष्णन और दूसरे प्रसार भारती के अंशुमान मिश्रा थे. ये दोनों ही भारत आए हुए थे लेकिन इसी बीच चीन ने उनका वीजा रद्द कर दिया. वहीं चीन में मौजूद दो अन्य भारतीय पत्रकारों से कहा गया था कि वे अभी रुक सकते हैं.
द डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वक्त में भारत द्वारा टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रों का नाम बदलना, चीन का जी-20 बैठक का बहिष्कार करना आदि भारत-चीन के संबंधों में खटास आने का कारण हो सकते हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले सीमा पर हुई झड़प के कारण भी भारत का चीन के साथ तनाव बढ़ गया था. इस बारे में ज्यादा जानने के लिए आप न्यूज़लॉन्ड्री के न्यूसेंस शो का ये एपिसोड देख सकते हैं.