जबरन धर्मांतरण और रेप के आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते वक्त कोर्ट ने सुरक्षा का हवाला देते हुए ये आदेश दिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जबरन धर्मांतरण और बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की "सुरक्षा" का हवाला देते सुदर्शन न्यूज़, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सरकारी अधिकारियों को उसे "जिहादी" करार देने वाले वीडियोज़ को हटाने के आदेश दिए हैं.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी के वकील ने कोर्ट को बताया कि चैनल के रिपोर्टर “आरोपी” और उसके परिवार को परेशान कर रहे थे और रिपोर्ट के मुताबिक न्यूज़ चैनल आजतक ने भी इस मुद्दे पर बहस की थी.
दरअसल, दिल्ली में एक 42 वर्षीय सिख महिला ने 32 वर्षीय मुस्लिम युवक पर आरोप लगाया था कि जब वे रिश्ते में थे, तब उसका धर्मांतरण करने की कोशिश की थी. उसने आरोप लगाया कि अंतरंग होने के दौरान आरोपी ने उसका वीडियो रिकॉर्ड किया, उसे धमकी दी और जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की.
आरोपी अज़मत अली खान ने इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और कहा कि जिस महिला के साथ वह लगभग सात साल से रिश्ते में थे, उसने आरोप लगाया कि उन्होंने उसका धर्मांतरण करने की कोशिश की.
शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने सुदर्शन न्यूज़ की एक रिपोर्ट पर "जिहादी" जैसे शब्द का इस्तेमाल करने पर नाराजगी व्यक्त की, जबकि इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही थी. उन्होंने चैनल द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो के तहत पोस्ट की गई धमकी भरी टिप्पणियों पर ध्यान दिया और कहा कि इससे “अजमत अली खान” की सुरक्षा को खतरा है. ऐसा ही एक वीडियो कोर्ट में भी चलाया गया.
बार एंड बेंच के अनुसार अदालत ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि यह एक गंभीर खतरा है और इसको देखते हुए ये निर्देश दिया जाता है कि जो लिंक निर्धारित किए गए हैं उन्हें सार्वजनिक रूप से देखने के लिए, तुरंत ब्लाक किया जाएं. यह उनकी सुरक्षा का सवाल है. मेरे निर्देश स्पष्ट हैं. इस वीडियो को सभी को ब्लॉक करना होगा.
एनबीडीए ने कहा कि सुदर्शन न्यूज़ उसका सदस्य नहीं है और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वीडियो के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से शिकायतकर्ता को कार्यवाही की जानकारी देने को कहा है. इसकी अगली सुनवाई 13 मई को होनी है.