सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 161वें नंबर पर पहुंचा भारत, एसजी का जवाब- डिपेंड करता है रैकिंग कौन दे रहा

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई, जब वह बिलकिस बानो केस से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान अख़बारों में नोटिस छपवाने को लेकर बात हो रही थी.

Article image

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के एम जोसेफ बिलकिस बानो केस से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे. तभी उन्होंने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की स्थिति पर बात की. जिसका वहां मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने तुरंत जवाब भी दिया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस जोसेफ प्रेस फ्रीडम इंडेक्स का जिक्र तब करते हैं, जब केस में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल से पूछते कि केस में आरोपी को नोटिस क्यों नहीं दिया जा सका? क्या पुलिस ने आपकी मदद नहीं की? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “पुलिस ने मदद की, लेकिन नोटिस नहीं पहुंचाया जा सका, काफी ढूंढने पर भी आरोपी नहीं मिला”. इसके बाद जस्टिस जोसेफ ने कहा, “तो आपको नोटिस अखबारों में छपवा देना चाहिए.” 

इसके आगे जस्टिस कहते हैं, “हफ्ते में एक लाख समाचार पत्र छपते हैं, मुझे लगता है कि मैं गलत तथ्य नहीं साझा कर रहा, लेकिन हम प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भी भारत 161वें स्थान पर हैं.”   

जस्टिस की इस बात का वहां मौजूद वकील वृंदा ग्रोवर ने भी समर्थन किया और कहा, “हां हम काफी नीचे आ गए हैं.”

इसके बाद, टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए वहां मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “यह इस बात पर निर्भर करता है कि रैंकिंग दे कौन रहा है? मैं अपनी एक संस्था बना सकता हूं और भारत को पहला स्थान दे सकता हूं.” 

गौरतलब है कि बीते सप्ताह, विश्व प्रेस दिवस पर जारी प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत पिछले साल के मुकाबले ग्यारह स्थान नीचे खिसक कर 161वें पर पहुंच गया है. इस सूची में 180 देशों का आकलन किया गया है. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स अंतरराष्ट्रीय संगठन, रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था द्वारा हर साल जारी की जाती है. 

रिपोर्ट की मानें तो प्रेस की आजादी के मामले में भारत के स्थान में लगातार गिरावट जारी है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि संस्था की कार्यप्रणाली सही नहीं है और वे इस रिपोर्ट को नकारते हैं. 

तो ये सूची किस बारे में बात की है? यह किस आधार पर देशों को स्थान देती है? क्या पत्रकारों के लिए निरंकुश व्यवस्था लोकतंत्र से ज्यादा जरूरी है? इस गिरते हुए रैंकिंग की वजह अधिक पत्रकारों की गिरफ़्तारी है? इन सभी सवालों के जबाब जाने के लिए पढ़ें न्यूज़लॉन्ड्री का ये विश्लेषण

Also see
article imageस्टालिन का सामाजिक न्याय बनाम राहुल गांधी की जमानत: चेन्नई के अखबारों में मुख्य ख़बर क्या रही?
article imageवर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में फिर लुढ़का भारत, 180 देशों में अब 161वां स्थान 

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like