इस इंटरव्यू में वीरप्पा मोइली ने चुनावी मुद्दे, शहरों की समस्याएं, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता समेत कई अन्य मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी.
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक दल चुनावी दंगल में एक दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं. इसी दंगल की अंदरूनी तस्वीर आप तक भी पहुंचे इसके लिए न्यूज़लॉन्ड्री आपके सहयोग से फंड किए गए कर्नाटक चुनाव एनएल सेना प्रोजेक्ट के जरिए ग्राउंड जीरो पर मौजूद है. इसी कड़ी में न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए के दौरान केंद्र में मंत्री रहे एम. वीरप्पा मोइली से बेंगलुरु में चुनावी चर्चा की.
भाजपा सरकार द्वारा कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम कोटा समाप्त करके इसे लिंगायत एवं वोक्कालिंगा (उच्चारणः ओकलालिगा) समुदाय के बीच विभाजित करने की घोषणा, कर्नाटक चुनाव में अहम मुद्दा बनी हुई है. जहां बीजेपी दावा करती है कि उसने पहले की सरकारों के एक गलत फैसले को ठीक किया है तो वहीं, कांग्रेस इसे बहाल करने के बहाने खुद को सामाजिक न्याय के पैरोकार के रूप में पेश कर रही है.
इस पर मोइली कहते हैं कि मुस्लिम कोटा अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए नहीं था, बल्कि सामाजिक-आर्थिक संकेतकों पर आधारित था. जातिगत जनगणना के लिए पार्टी की मांग को दोहराते हुए वे कहते हैं कि यह कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक अहम शर्त है.
प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह की खबरों को खारिज करते हुए मोइली कहते हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कोई खींचतान नहीं है.
शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले पर मोइली का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि वह सभी आरोपों से मुक्त हो जाएंगे, क्योंकि भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में अंतर है.
इस वीडियो इंटरव्यू में देखिए वीरप्पा मोइली से पूरी बातचीत.