play_circle

-NaN:NaN:NaN

For a better listening experience, download the Newslaundry app

App Store
Play Store

एनएल चर्चा 264: धरने पर पहलवान और बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     

इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय ओलंपिक संघ के पहलवानों का प्रदर्शन, पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन सिंह की रिहाई, छत्तीसगढ़ में एक माओवादी हमले में 10 जवानों की मौत, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल का निधन, रविवार को अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी, राहुल गांधी की मानहानि के मामले में की गई अपील का खारिज होना और सूडान से भारतीयों को निकालने के लिए जारी ऑपरेशन कावेरी रहे.

चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान वरिष्ठ खेल पत्रकार शारदा उग्रा, स्वतंत्र पत्रकार उमेश कुमार राय और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया. 

चर्चा की शुरुआत करते हुए शार्दूल पहलवानों के प्रदर्शन पर शारदा से सवाल करते हैं, “जघन्य आरोपों के बाद भी भाजपा ने बृजभूषण सिंह को किनारे नहीं किया. जब स्वर्ण पदक विजेताओं का यह हाल है तो अन्य खिलाड़ियों का क्या होगा?”

इसके जवाब में शारदा कहती हैं, “भारतीय ओलंपिक संघ का प्रबंधन तंत्र पूरी तरह टूटा हुआ है. राजनीति ने उस पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित कर लिया है. जब खेल और राजनीति की टक्कर होती है तो राजनीति या सत्ता जीत जाती है. पहलवानों के साथ भी यही हो रहा है.”

इसी विषय पर अपनी बात रखते हुए आनंद वर्धन कहते हैं, “सरकार समय रहते हुए यह तय नहीं कर पाई कि इस मामले पर उसका रिस्पांस किस तरह का होना चाहिए. साथ ही सरकार ये भांपने में भी नाकाम रही कि बृजभूषण सिंह का अगर राजनीतिक कद है भी तो वह राजनीतिक लायबिलिटी कब बन गए?. अगर पहलवानों के विरोध की बात की जाए तो इस खेल में गुरु शिष्य परंपरा रही है. ऐसे में पहलवानों और संघ के बीच इस तरह के विद्रोह की उम्मीद नहीं की जा सकती थी.”

इस विषय के अलावा इस चर्चा में बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की रिहाई के लेकर विस्तार से बातचीत हुई.  

टाइम कोड्स:

00:00:00 - 00:06:32 - हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं

00:06:33 - 00:32:14 - पहलवानों के प्रदर्शन पर चर्चा 

00:32:15 - 00:53:35 - आनंद मोहन सिंह की रिहाई 

00:53:36- 01:02:36 - राहुल गांधी मानहानि मामला

01:02:40 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

उमेश कुमार राय -

अनिल माहेश्वरी की किताब- इंस्टेंट हिस्ट्रीः ए मेमॉयर 

शारदा उग्रा

मेगन पॉन्सफोर्ड की किताब- द हैज़ बीन्स एंड नेवर विल बीज़ः ए बॉयज़ ऑन एडवेंचर ऑफ ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट एंड राज 

आनंदवर्धन -

अरविंद एन. दास की किताब- द रिपब्लिक ऑफ़ बिहार 

स्कॉट आर. स्ट्राउड की किताब- द एवोल्यूशन ऑफ प्रैगमैटिज़्म इन इंडियाः एन इंटेलेक्चुअल बायोग्राफी ऑफ डॉ. बी. आर. आंबेडकर

शशि थरूर की किताब- आंबेडकरः ए लाइफ  

शार्दूल कात्यायन 

न्यूज़लॉन्ड्री का लेखः जनता की जुबान पर एक बार फिर से आनंद मोहन सिंह का नाम क्यों है?

ड्रामा सीरीजः रीचर 

ट्रांस्क्राइबः तस्नीम फातिमा 

प्रोड्यूसरः आशीष आनंद 

एडिटर: उमराव सिंह 

Also see
article imageएनएल चर्चा 263: विवाह का समान अधिकार और कानून व्यवस्था का ‘बंटाधार’
article imageएनएल चर्चा 262: बाघों की बढ़ती तादाद और विपक्ष के बदलते समीकरण

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like