अतीक हत्याकांड का आरोपी लवलेश तिवारी: बजरंग दल से बहिष्कृत, अभिमानी ब्राह्मण

लवलेश के जानने वालों को चिंता है कि वह किसी और के खेल में 'मोहरा' बन गया है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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पिछले साल 22 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बांदा में एक 22 वर्षीय युवक ने फेसबुक पर लिखा, “जय श्री राम, जिन लोगों के सामने मैं नहीं झुकता, वे मुझे पसंद नहीं करते. जो मुझे पसंद करते हैं वे मुझे कभी झुकने के लिए नहीं कहते.”

उसकी ज्यादातर पोस्ट्स की तरह इसपर भी उसे 100 से ऊपर लाइक्स और कुछ कमेंट्स मिले. चार महीने बाद, 15 अप्रैल को यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. कुछ ही घंटों में इसे 11,000 लाइक्स और 12,000 कमेंट्स मिले.

एक ने टिप्पणी की, "भाई, तुम भगत सिंह हो".

एक अन्य ने कहा, “हिंदुओं को शेर बनाया नहीं जाता, वे शेर ही पैदा होते हैं.”

तीसरे ने उस युवक को "हिंदूहृदय सम्राट" बताया.

इस पोस्ट को नई प्रसिद्धि इसलिए मिली क्योंकि इसे लवलेश तिवारी ने लिखा था. लवलेश 15 अप्रैल को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एक है. अहमद भाइयों को पुलिस हिरासत में प्रयागराज के एक अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय गोली मार दी गई थी.

लवलेश, अरुण मौर्य और सनी सिंह ने घटनास्थल पर ही आत्मसमर्पण कर दिया था. 16 अप्रैल को उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. 19 अप्रैल को उन्हें चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया.

कई खबरों में बताया गया कि लवलेश का अतीत उतार-चढ़ाव वाला रहा है. उसे एक लड़की को "थप्पड़ मारने" के लिए गिरफ्तार किया गया था और एक बार उसके खिलाफ हमला करने का मामला दर्ज किया गया था. लेकिन बांदा के क्योतारा मोहल्ले में उसके पड़ोसी हैरान हैं कि वह हत्यारा बन गया.

"उसके माता-पिता साधारण लोग हैं," एक पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “उन्हें इलाके में कभी किसी से कोई समस्या नहीं थी. मैंने लवलेश को बचपन से देखा है. वह चुपचाप रहता था. हममें से कोई भी विश्वास नहीं कर पा रहा है कि उसने अतीक अहमद को मार डाला."

लवलेश की कहानी जानने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने क्योतारा की संकरी गलियों को खंगाला. उसके पिता सरकारी बस चलाते थे, लेकिन कोविड महामारी के दौरान उनकी नौकरी चली गई. अब वह स्कूल बस चलाते हैं. लवलेश चार भाइयों में तीसरा है. पहला भाई सन्यासी है, दूसरा लखनऊ में पुजारी है, और सबसे छोटा बीए का छात्र है.

लवलेश, जो बेरोजगार है, अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ किराए के मकान में रहता था. लोहे के लाल दरवाजे पर अब ताला लटका हुआ है.

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लवलेश तिवारी
क्योतरा मोहल्ला में उनके घर की ओर जाने वाली गली.
लवलेश जिस घर में अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ रहता था, उसके दरवाजे पर एक ताला लटका हुआ है.

उसी गली में रहने वाली एक महिला ने कहा, "घटना के बाद इस पूरी गली पर पुलिस और मीडिया का कब्जा हो गया. पुलिस पूरे समय उनके घर के दरवाजे पर थी, मैंने उन्हें रात भर भी वहीं बैठे देखा. अगली सुबह, घर पर ताला लगा हुआ था. सब लोग जा चुके थे. पता नहीं कहां."

लवलेश के बारे में क्या जानती हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा, "वह एक सभ्य लड़का था. किसी से ज्यादा बातें नहीं करता था."    

मोहल्ले के एक और निवासी कमल सिंह ने भी लवलेश को "सभ्य" बताया. “लवलेश सबसे शालीनता से व्यवहार करता था,” उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “उसने यहां कभी किसी से लड़ाई नहीं की.”

लवलेश के एक अन्य पड़ोसी सत्येंद्र सिंह ने कहा, "वह एक साधारण लड़का था. नियमित रूप से मंदिर और धार्मिक अनुष्ठानों में आता था. मुझे लगता है वह गलत संगत में पड़ गया."

पुलिस रिकॉर्ड

लेकिन लवलेश का पुलिस रिकॉर्ड है. 2021 में उसके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. दोनों मामलों में लवलेश के वकील सत्यदेव त्रिपाठी ने न्यूज़लॉन्ड्री को इसके बारे में बताया.

"पहले मामले में, उसका एक लड़की के साथ एक्सीडेंट हो गया था. वह मोटरसाइकिल पर था और लड़की साइकिल पर,” सत्यदेव ने कहा. "दोनों टकरा गए. लड़की ने उसके साथ गाली-गलौज की और उसने उसे थप्पड़ मार दिया. उस पर एक महिला की मर्यादा भंग करने का मामला दर्ज किया गया है."

हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में लवलेश के दोस्त ने "एक नाबालिग लड़की पर अभद्र टिप्पणी की, जिसने उसे फटकार लगाई". लवलेश ने उसे "थप्पड़" मारा और लड़की के परिवार ने शिकायत दर्ज कराई. लवलेश को तब "पॉक्सो अधिनियम के तहत नामजद किया गया" और एक महीने के लिए जेल में डाल दिया गया.

न्यूज़लॉन्ड्री के पास इस मामले की एफआईआर की कॉपी नहीं है, लेकिन सत्यदेव ने आरोप लगाया कि यह वही 2021 का मामला है और एक्सप्रेस का विवरण गलत हैं. उन्होंने कहा, "यह पॉक्सो का मामला नहीं था. पॉक्सो का मुकदमा सेशन कोर्ट में होता है. एक दिन में किसी की जमानत नहीं होती. उस पर लड़की को थप्पड़ मारने के आरोप में धारा 354 के तहत मामला दर्ज किया गया है."

एक्सप्रेस ने कोतवाली नगर थाने के स्टेशन हाउस अधिकारी से इस जानकारी की पुष्टि की थी. एसएचओ संदीप तिवारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “यह पॉक्सो का मामला था, लेकिन मुझे ठीक से याद नहीं है कि किस साल हुआ था. शायद 2020 या 2021 में."

दूसरे मामले में बांदा के एक स्थानीय भाजपा नेता के 14 वर्षीय बेटे की हत्या के खिलाफ लवलेश ने “विरोध” प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. 

सत्यदेव ने कहा कि लवलेश और “200 अन्य लड़कों” ने तत्कालीन भाजपा विधायक प्रकाश द्विवेदी के खिलाफ विरोध किया और आरोप लगाया कि वह मामले को “छिपाने” की कोशिश कर रहे हैं. लवलेश कथित तौर पर विधायक के समर्थकों से भिड़ गया और उस पर मारपीट का मामला दर्ज किया गया.

सत्यदेव ने कहा, "वह एक हफ्ते तक जेल में रहा और फिर उसे जमानत मिल गई." दोनों मामले कोतवाली थाने में दर्ज हैं. बाद में द्विवेदी ने लड़के के माता-पिता के लिए न्याय की मांग की. 

बजरंग दल ने धोखा दिया

लवलेश ने आत्मसमर्पण किया, इस तथ्य को देखते हुए सत्यदेव उसके अपराध के बारे में क्या सोचते हैं, यह पूछने पर उन्होंने घुमा-फिरा कर कहा, “लवलेश बहुत अभिमानी है, उसे अपने स्वाभिमान की बहुत चिंता है. अगर उसे लगता है कि कोई उसका अपमान कर रहा है, तो वह उसका जवाब जरूर देगा. भले ही उसकी पिटाई हो जाए, लेकिन वह जवाब जरूर देगा. वह बेरोजगार था और अक्सर अपने दोस्तों के साथ ही घूमता रहता था. उसे खुद के ब्राह्मण होने पर बहुत गर्व था और कहता था कि यह एक सम्मानित समुदाय है. वह रावण का सम्मान करता था क्योंकि वह एक ब्राह्मण था, और भगवान परशुराम का भी.”

लवलेश का रावण के लिए सम्मान जगजाहिर है, क्योंकि वह और उसके दोस्त खुद को रावण सेना कहते थे. यह नाम तीन साल पहले आनंद मिश्रा नामक व्यक्ति ने चुना था. महत्वपूर्ण यह है कि उसके दोस्तों और पड़ोसियों ने कहा कि लवलेश हिंदू राष्ट्रवादी समूह बजरंग दल का सदस्य था, लेकिन इस समूह ने अब उसे "त्याग" दिया है.

बांदा में बजरंग दल के पूर्व सहायक समन्वयक गोरखपुर त्रिपाठी ने कहा, "उन्होंने इस घटना के बाद उसे छोड़ दिया. वे दावा करते हैं कि लवलेश ने उनके लिए कभी काम नहीं किया, लेकिन वास्तविकता पूरी तरह से अलग है. वह 15 साल की उम्र से उनके साथ जुड़ा हुआ है. वह इतना समर्पित था कि चार या पांच दिन घर न जाकर दल के कार्यक्रमों में काम करता था.”

लेकिन बांदा में बजरंग दल के प्रमुख चंद्रमोहन बेदी ने कहा, “लवलेश कभी भी बजरंग दल का सदस्य नहीं था. पांच या छह साल उसने एक या दो कार्यक्रमों में भाग लिया होगा. लेकिन वह सदस्य नहीं था और न ही पदाधिकारी.”

गोरखपुर यह मानने को तैयार नहीं है. मुसलमानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “संगठन के पदाधिकारी हमें विधर्मियों को पीटने के लिए कहते थे. और अब उन्होंने लवलेश से किनारा करके अपना असली रंग दिखा दिया है.”

लवलेश के बचपन के दोस्त जीतू तिवारी ने भी आरोप लगाया कि लवलेश ने बजरंग दल को "अपने जीवन के इतने साल दिए". उसे कथित तौर पर सह-सुरक्षा प्रमुख का पद दिया गया था.

"और उन्होंने तुरंत ही उसे छोड़ दिया. यह बुरा लगता है," उन्होंने कहा. "हम दोनों एक साथ दल में शामिल हुए थे और फतेहपुर और कानपुर में बजरंग दल के विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया. चाहे वह बैठक हो, शोभा यात्रा हो या बजरंग दल द्वारा आयोजित बाइक रैली, लवलेश मौजूद रहता था. हमने हाल ही में एक तिरंगा रैली भी आयोजित की थी."

जीतू ने आगे कहा, “जब भी इन कार्यक्रमों में बड़े नेता आते थे, तो हमें पहले ही कह दिया जाता था कि बड़ी संख्या में लड़कों को इकट्ठा करो, भीड़ इकट्ठा करो. लवलेश और मैं बिना सोचे-समझे इन आदेशों का पालन करते थे. एक स्थानीय भारतीय जनता युवा मोर्चा नेता भीड़ को संगठित करने के लिए लवलेश की मदद लेते थे. उन्होंने उसके साथ फोटो खिंचवाई है. अब वह दावा कर रहे हैं कि 'सेल्फी लेकर कोई भी फेसबुक पर डाल सकता है.”

सत्यदेव त्रिपाठी
संकट मोचन मंदिर, जहां लवलेश नियमित रूप से जाता था.

जीतू ने इस नेता का नाम बताने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने “बजरंग दल के जिला संयोजक के पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है”.

“एक संगठन जो अपने समर्पित सदस्यों के साथ खड़ा नहीं हो सकता है, वह किसी काम का नहीं है,” जीतू ने कहा.

'गरीब' परिवार और मीडिया की गलत रिपोर्टिंग

सत्यदेव और जीतू दोनों ने कहा कि लवलेश आर्थिक तंगी के बीच पला-बढ़ा है.

जीतू ने कहा, "उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं थी. वह कई सालों से किराए के मकान में रह रहे हैं. लेकिन लवलेश बड़े दिल वाला था. भले ही उसकी जेब में 20 रुपए ही क्यों न हों, वह उसे अपने दोस्तों पर खर्च करने से नहीं हिचकिचाता था."

सत्यदेव ने भी माना कि लवलेश का परिवार "गरीब" है. पिता कथित तौर पर कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं, जो लगभग 8,000 रुपए हर महीने कमाते हैं. सत्यदेव ने कहा कि जब उन्होंने 2021 के मामलों में लवलेश का प्रतिनिधित्व किया तो वह 10 दिनों में 10,000 रुपए की व्यवस्था भी नहीं कर पाया था. 

"इसलिए यह संभव नहीं है कि उसने अपने दम पर 7-8 लाख रुपए की तुर्की पिस्तौल खरीदी हो," उन्होंने कहा, और उन खबरों का जिक्र किया जिनमें बताया गया था कि अहमद के हत्यारों ने महंगी जिगाना पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. "उस लड़के का बैंक खाता भी नहीं है. उसका गुजारा मुश्किल से चलता था. उसे इस मामले में फंसाया गया है, वह केवल मोहरा है."

हालांकि अतीक की हत्या करने से पहले तक भी लवलेश बेरोजगार था, उसने अक्सर काम खोजने और पैसे कमाने के प्रयास किए थे. जीतू ने कहा कि लवलेश ने दो साल पहले कानपुर में एक ऑटो पार्ट्स की दुकान में सहायक के रूप में काम किया था. उसने कभी-कभी मध्य प्रदेश के बालाघाट में रेत खदानों में भी काम किया था.

सत्यदेव ने कहा, “बांदा के बहुत से लड़के बालाघाट में रेत खनन के कारोबार में हैं. उन्हें सुरक्षा के लिए साहसी लोगों की आवश्यकता होती है और वह बांदा के स्थानीय लड़कों को नियुक्त करते हैं. जरूरत पड़ने पर ये लड़के वहां जाते हैं और फिर वापस आ जाते हैं. लवलेश कई बार गया, उसने 15 से 20 दिनों के काम के लिए 3,000-4,000 रुपए कमाए.”

जीतू और सत्यदेव लवलेश के अतीत के बारे में “गलत रिपोर्टिंग” करने के लिए मीडिया से नाराज हैं.

सत्यदेव ने कहा, “कुछ मीडिया चैनलों ने बताया कि लवलेश के अपने परिवार के साथ संबंध तनावपूर्ण थे. यह पूरी तरह झूठ है. उसके अपने माता-पिता और भाई-बहनों से बहुत अच्छे संबंध थे. हां, उस लड़की को थप्पड़ मारने पर उसके पिता उससे नाराज हो गए थे. लेकिन वह चिंतित थे और उसे इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए कहते थे.”

जीतू ने कहा, “मीडिया कहता है कि लवलेश ड्रग एडिक्ट है. वह कभी भी ड्रग एडिक्ट नहीं था. हां, वह दोस्तों के साथ कभी-कभी शराब पीता था. वह भगवान शिव का भक्त है और कभी-कभार गांजा पी लेता था. लेकिन उसे कभी किसी चीज की लत नहीं लगी. वह बहुत मददगार था. वह अपने दोस्तों को अपने परिवार की तरह मानता था.”

वह आखिरी बार लवलेश से कब मिले थे, इस सवाल पर त्रिपाठी ने कहा, "अतीक की हत्या के दो दिन पहले मैं संकट मोचन मंदिर में उससे मिला था. वह शाम को मुझसे मिला, मुझे बधाई दी और मेरे पैर छुए. वह उस मंदिर में नियमित रूप से जाता था. वह एक धार्मिक लड़का था. वह कीर्तन में ढोलक बजाता था, दिन में एक या दो बार मंदिर की सफाई में मदद करता था. रोज ही मदद करता था."

जीतू आखिरी बार लवलेश से 9 अप्रैल को एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में मिले थे.

"वह पार्टी में थोड़ा अलग-थलग था. वह ज्यादातर समय फोन पर ही लगा था. जब हमने तस्वीरें लीं, तब भी वह फोन पर ही था. मैंने सोचा बाद में उससे पूछूंगा कि क्या सब ठीक है. अगर मुझे जरा भी पता होता तो मैं उसे कभी भी इस कांड में शामिल नहीं होने देता."

सनी सिंह का जिक्र करते हुए जीतू ने कहा कि लवलेश "हमीरपुर के उस लड़के की तरह अपराधी नहीं था". सनी के कथित तौर पर एक "गिरोह" से संबंध हैं.

जीतू ने कहा, "मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वह उन दोनों को पहले से नहीं जानता था. 13 और 14 अप्रैल को मैंने उसे दो बार कॉल करने की कोशिश की लेकिन उसका फोन बंद था. एक दिन बाद यह घटना हुई."

'पूरी घटना संदिग्ध है'

बांदा से 30 किमी दूर लवलेश के परिवार के पैतृक गांव लोहमर में मातम छा गया है. उसकी दादी यहां रहती हैं और परिवार के पास सात एकड़ खेत हैं. 17 अप्रैल तक लोहमर में भी भारी पुलिस बल तैनात रहा.

लोहमर गांव में लवलेश की दादी का घर.
बाएं से दाएं लोहमर निवासी शिवमोहन तिवारी, हीरामन तिवारी व मुन्ना तिवारी.

लोहमर निवासी अनमोल तिवारी ने कहा, "लवलेश की दादी के घर के बाहर दो दिन पुलिस मौजूद थी. फिर उसके घर पर ताला लग गया और पुलिस और दादी दोनों वहां से चले गए."

क्या अनमोल लवलेश को जानते हैं? उन्होंने कहा, "वह यहां होली खेलने आया था. वह एक अच्छा लड़का था और बड़ों का बहुत सम्मान करता था."

लवलेश की गिरफ्तारी को लेकर ग्रामीणों में अशांति है. शिवमोहन तिवारी नाम के एक ग्रामीण ने सत्यदेव की बात का समर्थन किया कि लवलेश केवल एक "मोहरा" है.

उन्होंने कहा, "जिसने भी इन बच्चों का इस्तेमाल अतीक को मारने के लिए किया, उसने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए खराब कर दी. अब उनका जीवन हमेशा खतरे में रहेगा. जिस लड़के की जेब में 50 रुपए भी नहीं हैं, वह 7 लाख रुपए में पिस्टल कैसे खरीद सकता है? पूरी घटना संदिग्ध है."

एक अन्य ग्रामीण हीरामन तिवारी ने कहा, "वह जब भी आता था, बहुत शालीनता से रहता था. वह जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता था. लेकिन मैंने नहीं सोचा था कि वह ऐसा कुछ करेगा. वह एक साहसी लड़का था. या तो वह उन लोगों द्वारा मारा जाएगा जिन्होंने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया, या वह अतीक के आदमियों द्वारा मारा जाएगा."

मुन्ना तिवारी ने लवलेश को “थोड़ा उच्छृंखल” बताया. “लेकिन वह एक अपराधी नहीं था,” उन्होंने जोर देकर कहा. “किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वह अतीक अहमद जैसे अपराधी को मार डालेगा. लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह या दूसरे लड़के लंबे समय तक जीवित रहेंगे.”

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