अतीक-अशरफ मर्डर: पत्रकारों ने बताई गोलीकांड की आंखों-देखी

पुलिस की ओर से जो भी चूक हुई, इन हत्याओं ने रिपोर्ट करने के लिए पत्रकारों की प्रतिबद्धता को भी उजागर किया. उनकी आंखों देखी का वर्णन नीचे व्यक्त है.

WrittenBy:सुमेधा मित्तल
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लाइव टेलीविज़न, पुलिस की भारी उपस्थिति और गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद, उनके परिवार और सहयोगियों के इर्द-गिर्द मीडिया उन्माद को देखते हुए, ये हत्याएं बहुत अस्वाभाविक थीं.

लेकिन प्रयागराज में मीडियाकर्मियों के रूप में तीन आरोपियों ने अतीक और उसके भाई अशरफ को गोली मार दी, तो यूपी पुलिस की चूक पर भी उतनी ही रोशनी पड़ी जितनी पत्रकारों की अटूट प्रतिबद्धता पर, जिन्होंने जोखिम के बावजूद मौके से रिपोर्ट करना जारी रखा.

घटना के समय अस्पताल के बाहर कई पत्रकार मौजूद थे जिनमें एएनआई, पीटीआई और आज तक के पत्रकार शामिल थे. घटना को रिकॉर्ड करने वाले वीडियो पत्रकार आज तक के कैमरामैन नीरज कुमार थे.

“गोली हममें से किसी को भी लग सकती थी,” ये कहना था एक पत्रकार का, जो शनिवार रात 10.30 बजे यूपी पुलिस द्वारा नियमित जांच के लिए कॉल्विन अस्पताल लेकर जाते समय अहमद भाइयों को गोली मारते हुए देखने वाले कई पत्रकारों में से एक थे.

अपने कार्यकाल के दौरान कई हिंसक प्रकरणों को कवर करने वाले पत्रकार ने कहा, "कोई भी डर जाएगा, अगर अचानक आपके चारों ओर गोलियां चलें और आप खुद को गोलीबारी के केंद्र में पाएं. कई पत्रकार टीवी पर लाइव थे.”

इस वारदात में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के पत्रकार पंकज श्रीवास्तव भी चपेट में आते-आते बचे. पीटीआई द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में उन्होंने अपना आंखों देखा हाल बताया. "बंदूक की गोली लगभग मुझसे बचते हुए गई. मेरे सहयोगी शिव ने मुझे नीचे धकेल कर मेरी जान बचाई और गोली मेरे ठीक ऊपर से निकल गई.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इस घटना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इस घटना में एएनआई के कैमरापर्सन शैलेश पांडे घायल हो गए. "मेरा ध्यान पूरी तरह से मेरे कैमरे पर था. जब मैंने गोलियों की आवाज सुनी तो मैं खुद को बचाने के लिए मौके से भागा. लेकिन मेरा पैर किसी चीज में फंस गया और मैं गिर गया, मेरे पैर में मोच आ गई. मैं अभी भी अस्वस्थ हूं इसलिए मैं आपसे ज़्यादा बात नहीं कर सकता.”

इससे पहले शनिवार को यूपी पुलिस उमेश पाल हत्याकांड में चल रही जांच के सबूत जुटाने के लिए अहमद बंधुओं को उनके पैतृक गांव कसारी मसारी ले गई थी, जिसके बाद उन्हें वापस धूमनगंज थाने लाया गया.

एएनआई के रिपोर्टर विकास श्रीवास्तव, जो शैलेश के साथ इस मामले को कवर कर रहे थे, ने कहा, “जिस समय पुलिस ने उन्हें रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए ले जाने के लिए अपनी गाड़ी निकाली, सबसे पहले अपनी कार को पुलिस के वाहन के ठीक बगल में खड़ा करने वाले हम ही थे. तत्पश्चात अन्य पत्रकारों ने पीछा किया. मैंने अतीक से उनके बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने की मंज़ूरी न मिलने के बारे में पूछा. उन्होंने जवाब दिया, 'नहीं दिखाया तो नहीं दिखाया'. और फिर, वह कुछ और कहने ही वाला था कि मेरे दाहिनी ओर से एक गोली चली. मेरे दाहिनी ओर आज तक का एक रिपोर्टर था. पहले मैंने आवाज सुनी और सोचा कि कोई पटाखा फटा है. तभी मैंने देखा कि अतीक को गोली लगी है और वह जमीन पर गिर पड़ा. तुरंत ही एक हमलावर हमारे कैमरे को धक्का देते हुए सामने आ गया और फायरिंग शुरू कर दी. करीब 17 राउंड गोलियां चलीं और फिर वे 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे और फिर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.”

इस हंगामे में शैलेश के घायल होने के बाद विकास को आगे कैमरा संभालना पड़ा. “हां, हम डरे हुए थे लेकिन हमें काम पर वापस जाना पड़ा. मैं बाद में घटना पर विचार कर सकता हूं और रो सकता हूं. पर तब मैंने तुरंत रिकॉर्डिंग शुरू कर दी क्योंकि जब आप फील्ड में होते हैं तो आप किसी पल को खोना नहीं चाहते. हमें सबसे पहले खबर ब्रेक करनी होगी. यही एक रिपोर्टर का कर्तव्य है. और अगले दिन सुबह 7 बजे हम सब काम पर वापस आ गए थे.”

एक अन्य पत्रकार जो मौके पर थे और अपना नाम नहीं बताना चाहते, ने कहा, “मैंने कभी ऐसी कोई घटना नहीं देखी थी. शायद भविष्य में भी नहीं देखूंगा. लेकिन इस पेशे में होने की वजह से मैंने भागना नहीं, बल्कि अपनी जान का डर होने के बावजूद हर चीज को कैमरे में कैद करना सीखा है.”

शूटआउट के करीब 15 मिनट बाद पंजाब केसरी के सईद राजा मौके पर पहुंचे. “जब मैं वहां पहुंचा तो अराजकता की स्थिति थी. सभी रिपोर्टर डरे हुए थे. लेकिन मैंने देखा कि पुलिस ने नियमों में थोड़ा बदलाव किया है. गोलीबारी से पहले, वे पत्रकारों के आईडी कार्ड की जांच नहीं कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी थी और पत्रकारों को उनके पहचान पत्र जांचने के बाद ही जाने दिया जा रहा था.”

इस बीच घटना के बाद लल्लनटॉप के साथ एक साक्षात्कार में नीरज ने कहा, "मैंने अपने पूरे करियर में ऐसा कुछ नहीं देखा था. वो सब अस्त-व्यस्त था. सब पीछे हट गए. पुलिस को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं अपनी जगह पर रहा और कैमरे को स्थिर रखा. और मेरा एक मात्र उद्देश्य सब कुछ कैप्चर करना था. मेरे हाथ पर मामूली सी झुलसन भी आ गई. लेकिन इसलिए हम अपने दर्शकों को सर्वश्रेष्ठ दृश्य देने के लिए ग्राउंड से रिपोर्ट करते हैं.”

घटना की एफआईआर में कहा गया है कि भगदड़ जैसी स्थिति में मीडियाकर्मी घायल हो गए.

इस घटना के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का फैसला किया है. उपलब्ध रिपोर्ट्स के मुताबिक इन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय तैयार करेगा.

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