हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
इस हफ्ते चर्चा का मुख्य विषय आयकर विभाग द्वारा बीबीसी के दफ्तरों का सर्वे रहा. इसके अलावा कानपुर देहात में हुई मां बेटी की जलकर मौत, लोकसभा में प्रस्तुत तीन सालों में आत्महत्या के आंकड़े, मुद्रास्फीति की दर में अप्रत्याशित बढ़त, त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों पर मतदान, दिल्ली में एक महिला की हत्या के एक और मामले आदि का भी जिक्र हुआ. इस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान हमारे साथ सुप्रीम कोर्ट के वकील व कानून के जानकार सारिम नावेद, वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी जुड़े. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया.
शार्दूल सवाल करते हुए कहते हैं कि “इतने सारे लोगों के उस जगह पर मौजूद होने के बावजूद कोई भी उन मां बेटी को नहीं बचा सका. घर वाले और प्रशासन एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. मुझे लगता है कि व्यवस्था में सभी लोग तय नियम कानूनों के बजाय मनमाने ढंग से काम करने के आदी हो गये हैं. जो अपना व्यक्ति नहीं है, उस पर तुरंत बुलडोजर चला दीजिए. कानूनी तौर पर इसमें काफी सारे लूपहोल हैं. क्या सिस्टम में चेक्स एंड बैलेंस जरा भी नहीं बचे हैं?”
सारिम नावेद इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि, "बुलडोजर का मुद्दा पिछले कुछ साल से शुरू हुआ है. जो ये बुलडोजर एक्शन है, ये नियम और कानून के आड़ में होता है. वो कभी ये नहीं कहते कि हमें यह पसंद नहीं है और हम ये तोड़ने आ रहे हैं. कहते हैं कि जो नक्शा आपका था, उसे आधिकारिक तौर पर मंजूरी नहीं मिली थी. देखा जाए तो यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश राज्यों में 90 से 95 प्रतिशत बिल्डिंग की नियोजन अनुमति नहीं होगी. गलती उन लोगों की नहीं है. लोग गरीब होते हैं, भ्रष्टाचार होता है, आपने जमीन खरीद ली, आपको घर बनाना है, आप कब तक भागते रहेंगे?"
स्मिता कहती है, "ये जो मामला है इसे हम व्यक्तिगत स्तर पर नहीं ले सकते हैं. आप जो कह रहे हैं कि पुलिस वालों में सहानुभूति की कमी है. ये सिर्फ सहानुभूति की कमी नहीं है. ये एक साहस है. आज के पुलिस वाले इस नैरेटिव का हिस्सा हैं, जहां बुलडोजर से घरों को ढहाना, बगैर किसी कानूनी प्रक्रिया के, बगैर किसी नोटिस के, उसे आज भारत में इंसाफ का नाम दिया जाता है."
हृदयेश जोशी कहते हैं कि, "मैं स्मिता से सहमत हूं. हमने खुद रिपोर्टिंग करते हुए देखा है कि किस तरह की खुशी हमारी बिरादरी में है. पिछले दो-तीन सालों में बुलडोजर जस्टिस को लेकर समर्थन देखा गया है. यूपी चुनाव में पत्रकार ताली बजाते हुए मेरे पास आते थे और कहते थे कि बुलडोजर बाबा फिर से रौंद देगा. जो अधिकारी पब्लिक सर्वेंट हैं, लेकिन यह अपने आप को सरकारी नौकर समझते हैं. यह कानून के तहत काम करते हैं, कोई गृह मंत्री या डीजीपी के तहत काम नहीं करते."
इसके अलावा बीबीसी दफ्तर पर आयकर विभाग द्वारा सर्वे पर भी विस्तार से बात हुई. सुनिए पूरी चर्चा.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:10:00 - इंट्रो हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं
00:10:00 - 00:32:00 - कानपुर देहात की घटना
00:32:00 - 01:04:00 - बीबीसी पर आयकर विभाग का सर्वे
01:04:00 - 01:13:10 - सलाह और सुझाव
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