ऑर्गनाइज़र का सुपर ‘हिट’ जॉब, रामदेव का तेल और चौधरी की रेल

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

   bookmark_add
  • whatsapp
  • copy

टिप्पणी में इस हफ्ते धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी. और वापसी के साथ ही एक नए चरित्र का आगमन. उसके बारे में जानने के लिए टिप्पणी देखें और देखें कि कैसे लाला रामदेव की संपत्तियों में भी अडानी समूह की तरह पलीता लग गया है.

बसंत पंचमी आने के साथ ही खबरिया चैनलों के बाग में घोघा बंसतों की बहार आ गई है. बसंत ऋतु का आगमन अपने साथ कूढ़मगज, चरणचंपन पत्रकारिता की बहार भी ले आया. अडानी समूह के ऊपर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के 10 दिन बाद देश के नंबर एक चैनल आज तक की गोल्ड स्टैंडर्ड पत्रकारिता को अहसास हुआ कि यह खबर प्राइम टाइम के लायक है.

इस दरम्यान लोगों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए. देश के प्रमुख व्यापारिक समूह के ऊपर बड़े पैमाने पर हेरफेर, घोटाले के आरोप लगे. आरोप के असर से उसकी संपत्तियां धड़धड़ा कर नीचे गिर गईं. लेकिन आज तक की गोल्ड स्टैंडर्ड पत्रकारिता को 10 दिन बाद लगा कि यह खबर गोल्ड स्टैंटर्ड की है.

लगे हाथ संघ समर्पित पत्रिका ऑर्गनाइज़र की भी कुछ बातें होंगी. फिलहाल ऑर्गनाइज़र ने आरएसएस का काम छोड़कर अडानी समूह का काम उठा लिया है. बहुत दिनों तक मुझे यह जिज्ञासा रही कि व्हाट्सएप पर इतनी मेहनत से भारत के इतिहास पर, गांधी, नेहरू, ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में ऊल-जुलूल, बे सिर-पैर वाली कहानियां कौन लिखता और फैलाता है. फिर मुझे ऑर्गनाइज़र की वो खबर पढ़ने को मिली जिसे पढ़कर समस्या के कुछ सूत्र मेरी पकड़ में आए. वो सूत्र क्या हैं, जानने के लिए टिप्पणी देखें.

Also see
नफरती भाषण दिखाने पर मीडिया संस्थान को दिल्ली पुलिस का नोटिस, पर क्यों?
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पत्रकार राणा अय्यूब को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज
newslaundry logo

Pay to keep news free

Complaining about the media is easy and often justified. But hey, it’s the model that’s flawed.

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like