कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब अप्रैल में करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को ब्लॉक करने के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार को नोटिस जारी किया. लाइव लॉ के अनुसार अदालत ने सरकार के फैसले से संबंधित मूल रिकॉर्ड मांगे हैं. कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई अप्रैल में करने के आदेश दिए हैं.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को सरकार द्वारा बैन किए जाने को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाओं में सरकार के इस फैसले को मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक बताया गया है.
याचिकाकर्ता एमएल शर्मा, पत्रकार एन राम, अधिवक्ता प्रशांत भूषण और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिकाओं का जवाब देते हुए, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने पहले कहा था कि, "इस तरह वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं. जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए इंतजार कर रहे हैं और तारीख मांग रहे हैं."
इस पूरे मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा भेजी गई एक प्रश्नावली के जवाब में बीबीसी ने कहा था कि, "हमने भारत सरकार को डॉक्यूमेंट्री में उठाए गए मामलों का जवाब देने का अधिकार दिया लेकिन उन्होंने जवाब देने से इंकार कर दिया था."
बीबीसी से जब यह सवाल किया गया कि डॉक्यूमेंट्री भारत पर आधारित होने के बावजूद इसे भारत में क्यों जारी नहीं किया जा रहा है, इसके जवाब में बीबीसी ने कहा, “इसे बीबीसी-2 कमीशन के हिस्से के रूप में कमीशन किया गया था इसलिए वर्तमान में डॉक्यूमेंट्री को केवल यूके में प्रसारित किया जा रहा है."
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा और भारत को बदनाम करने की साजिश बताया है. न्यूज़लॉन्ड्री के इस सवाल के जवाब में बीबीसी ने कहा, "डॉक्यूमेंट्री को बनाने के लिए उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुरूप गहन शोध के बाद बनाया है, कई गवाह और विशेषज्ञों से बातचीत कर उनके विचार लिए गए हैं. इनमें कई लोग बीजेपी के भी हैं. हमने भारत सरकार को भी इस डॉक्यूमेंट्री के संदर्भ में अपना पक्ष रखने हेतु संपर्क किया था. लेकिन उन्होने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया."
सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि बीबीसी ने कथित तौर पर भारत में अपने कर्मचारियों को सतर्क रहने और अपने वाहनों से बीबीसी स्टिकर और आईडी हटाने के लिए कहा है. इस तरह के कदमों के बारे में पूछे जाने पर बीबीसी ने कहा था, “हम सुरक्षा मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं.”
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
ContributeThe media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
ContributeGeneral elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?