बेंगलुरु साइबर अपराध पुलिस ने पत्रकार से उनके सोर्स का नाम, फोन नंबर, पता और आईडी प्रूफ प्रकाशित करने के लिए कहा है.
5 जनवरी को बेंगलुरु साइबर अपराध पुलिस ने पत्रकार और कन्नड़ समाचार वेबसाइट द फाइल के संस्थापक को जारी नोटिस में कहा कि, “वे दो महीने पहले एक शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर की गई खबर के सोर्स को न केवल बताएं, बल्कि उस सोर्स का नाम, फोन नंबर, पता और पहचान पत्र भी मुहैया कराएं.”
लेकिन पत्रकार ने अपने सोर्स व उससे जुड़ी जानकारी देने से इंकार कर दिया. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में जी महंतेश ने इसके कारण बताए. वे इस कहानी के बारे में बताने के साथ-साथ यह भी बताते हैं कि भारत में पत्रकारों के सोर्स या विश्वस्त सूत्रों की सुरक्षा के लिए एक कानून होना क्यों ज़रूरी है.
“डिपार्टमेंट में काम करने वाले सब करप्ट नहीं होते. कोई व्हिसलब्लोअर भी होते हैं जिनकी आंखों के सामने ये सब चल रहा होता है. वो हमे डॉक्यूमेंट देते हैं और हम पब्लिश करते हैं.” उन्होंने कहा.
वह आगे कहते हैं, “जैसे डिजिटल मीडिया को कंट्रोल करने के लिए सरकार कानून बना रही है, ऐसे ही पत्रकार की प्रोटेक्शन के लिए भी कानून बनाना चाहिए. अगर कानून नहीं बना तो ऐसे ही चलता रहेगा.”
महंतेश यह भी कहते हैं कि अगर इस मामले में पुलिस सफल रही तो आगे चलकर किसी भी पत्रकार से उसके विश्वसनीय सूत्र उजागर करने के लिए कहा जा सकता है.
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