सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एडवाइजरी, 1 मार्च से चैनलों को दिखाना होगा राष्ट्रीय महत्व का कार्यक्रम

मंत्रालय ने बताया कि उसने कई ब्रॉडकास्टर्स और चैनलों के एसोसिएशन के साथ चार बार बातचीत करने के बाद यह फैसला लिया है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एडवाइजरी, 1 मार्च से चैनलों को दिखाना होगा राष्ट्रीय महत्व का कार्यक्रम
गोबिंद वीबी
  • whatsapp
  • copy

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनलों को राष्ट्रीय महत्व और जनसेवा से जुड़े मुद्दों पर आधे घंटे का कंटेंट दिखाने को लेकर एडवाइजरी जारी की है. यह एडवाइजरी एक मार्च 2023 से लागू होगी. 

मंत्रालय ने बताया कि उसने कई ब्रॉडकास्टर्स और चैनलों के एसोसिएशन के साथ चार बार बातचीत करने के बाद यह फैसला लिया है. 

राष्ट्रीय महत्व क्या होगा इसको लेकर सरकार ने कुल आठ विषय बताए हैं. शिक्षा और साक्षरता का प्रसार, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं का कल्याण, समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता जैसे विषयों पर कार्यक्रम दिखाना होगा.

इसमें बताया गया है कि चैनलों को जो विषय बताए गए हैं उसपर शो बनाना है. हालांकि यह चैनलों पर निर्भर है कि वह किस तरह से कार्यक्रम बना रहे हैं. कोई भी ब्रॉडकास्टर अपने कार्यक्रम को अपने ही अन्य चैनलों पर दिखा सकता है. इस एडवाइजरी में एक ई पोर्टल बनाने की बात कही गई है जहां राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों का वीडियो साझा किया जा सके. 

सभी ब्रॉडकास्टर्स को हर महीने एक रिपोर्ट मंत्रालय के पोर्टल पर अपलोड करना होगा. जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्होंने कौन से दिन कितने समय पर राष्ट्रीय हित के कार्यक्रम को दिखाया.

मंत्रालय ने बताया कि कार्यक्रम की अवधि 30 मिनट का होना जरूरी नहीं है. वह छोटे-छोटे कई टाइम स्लॉट में हो सकता है. पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग के तहत राष्ट्रीय हित के कार्यक्रम का एक सप्ताह में 15 घंटे का प्रसारण होना चाहिए.

साथ ही चैनलों को 90 दिन तक कार्यक्रम के कंटेंट को रखना होगा. हालांकि यह कार्यक्रम नहीं दिखाने की छूट सिर्फ स्पोर्ट्स, वाइल्ड लाइफ और विदेशी चैनलों को है.

बता दें कि मंत्रालय ने नवंबर महीने में अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के दिशा निर्देश- 2022 को जारी किया था. इसी दिशा निर्देश में राष्ट्रीय महत्व और जनसेवा से जुड़े मुद्दों पर आधे घंटे का कंटेंट दिखाने की बात कही गई थी. जिसके बाद मंत्रालय ने टीवी चैनलों के साथ बातचीत कर एडवाइजरी जारी की है.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also see
आपके मीडिया का मालिक कौन है: महामारी के बाद प्रगति कर रहे अमर उजाला के उतार-चढ़ाव
हेट स्पीच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे पत्रकार कु़र्बान अली क्या कहते हैं?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like