जेएनयू में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाने के दौरान हुई हिंसा को कवर कर रहे न्यूज़लॉन्ड्री रिपोर्टर अश्विनी सिंह की तस्वीर को चैनलों ने हिंसा करने वाले छात्रों के रूप में प्रसारित की
24 जनवरी, 2023 की रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर से छात्र गुटों के बीच हिंसा हुई. इस बार हिंसा, भारत में प्रतिबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हुई. घटना को लेकर लेफ्ट छात्र गुटों और एबीवीपी ने एक दूसरे पर आरोप लगाया था.
घटना के अगले दिन 25 जनवरी को आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने मीडिया से बात करते हुए एक पोस्टर साझा किया. इस पोस्टर में 16 लोगों की तस्वीरें मौजूद हैं. रोहित कुमार ने दावा किया कि यही 16 लोग जेएनयू में हुई हिंसा में शामिल थे.
रोहित कुमार का यह दावा बिना किसी पड़ताल के टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे और इंडिया टीवी ने प्रसारित कर दिया. पोस्टर में मौजूद 16 लोगों में से एक तस्वीर न्यूज़लॉन्ड्री के रिपोर्टर अश्विनी कुमार सिंह की है. जो घटना वाली रात को जेएनयू से रिपोर्ट करने गए थे.
रोहित कुमार ने इंडिया टुडे चैनल को पोस्टर दिखाते हुए कहा, “जेएनयू के अंदर यह जामिया और डीयू के लोग क्या कर रहे हैं. इन चेहरों में सिर्फ दो लोग जेएनयू के है.” इस पर एक रिपोर्टर ने पूछा, “क्या ये लोग बाहर के हैं?” जवाब में कुमार ने कहा, “एकदम यह सभी बाहर के हैं.”
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Contributeइसी तरह टाइम्स नाउ ने भी रोहित कुमार से बात की. एक बार फिर कुमार ने वहीं पोस्टर चैनल को दिखाते हुए कहा, “इनमें (पोस्टर) जितने भी लोग है सब जामिया के हैं, जेएनयू का कोई नहीं है. यह सब जेएनयू के होस्टल में रुके हुए थे और इनको दो दिन पहले से इस कार्यक्रम की सूचना थी.”
ऐसे ही रोहित ने इंडिया टीवी से भी बात की, “यह फोटो (पोस्टर) देखिए, जो हमें तमाम मीडिया के माध्यम से ही मिला है. यह सभी लोग कैंपस में इसी कार्यक्रम के लिए दो दिन पहले से ही रूके हुए थे, आगजनी और पत्थरबाजी के लिए.”
इस दौरान रिपोर्टर ने पूछा कि आप यह कैसे कह सकते है कि यह 15 लोग जामिया से आए थे? इस पर कुमार ने कहा, “यह सब चेहरे से ही चिह्नित किए जा सकते है. यहां के छात्र जिनके साथ यह रूके हुए थे, वही इनके बारे में बता रहे हैं.”
इस खबर का जिक्र इंडिया टीवी के संपादक रजत शर्मा ने भी अपने कार्यक्रम ‘आज की बात’ में किया. वह इस पोस्टर को भी अपने शो में दिखाते हैं.
एबीवीपी के आरोपों पर चली खबर
पत्रकारिता का बुनियादी सिद्धांत है कि अगर कोई किसी पर आरोप लगाता है तो, दूसरे पक्ष से भी बात की जानी चाहिए. लेकिन इस मामले में चैनलों ने एकतरफा खबर चलाई. न तो उन्होंने पोस्टर में दिखाए गए लोगों को पहचाने की कोशिश की और न ही किसी से संपर्क किया.
दूसरी बात जेएनयू हिंसा में एबीवीपी के ऊपर खुद पत्थरबाजी का आरोप है. एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के वीडियो भी सामने आए हैं जिन्हें छात्रों ने पथराव करते हुए पकड़ा था. इसके बावजूद चैनलों ने एबीवीपी के दावे पर कोई सवाल उठाए बिना उसकी बात को ‘आखिरी सत्य’ कैसे मान लिया?
हमने रोहित कुमार से पोस्टर में न्यूज़लॉन्ड्री के पत्रकार की तस्वीर साझा करने को लेकर सवाल किया. उन्होंने कहा कि उन्हें "नहीं पता था कि वह पत्रकार है.”
अगर आप को नहीं पता तो कैसे आपने यह पोस्टर साझा किया? इस पर वह कहते हैं, “यह पोस्टर हमारा नहीं है बल्कि जनम टीवी ने हमें दिया था.” बाद में वह माफी मांगते हुए कहते हैं कि मैं इस पोस्टर में आपकी तस्वीर को लेकर जिन मीडिया वालों से बात की उन लोगों को बता देता हूं.
बता दें कि एबीवीपी जेएनयू के आधिकारिक ग्रुप में इस पोस्टर को साझा नहीं किया गया था. यह पोस्टर सिर्फ रोहित ने मीडिया से साझा की थी.
पोस्टर जनम टीवी ने बनाया
जिस पोस्टर को तीनों चैनलों ने एबीवीपी के हवाले से चलाया. असल में वह मलयालम भाषा के टीवी न्यूज चैनल जनम टीवी ने बनाया है. चैनल ने यह पोस्टर इसलिए बनाया क्योंकि 24 जनवरी की रात को जेएनयू कैंपस में कुछ छात्रों ने इस चैनल के पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की की थी.
जो रिपोर्टर इस घटना को कवर कर रहे थे वह चैनल के दिल्ली ब्यूरो चीफ गौतम आनंदनारायण थे. न्यूज़लॉन्ड्री ने जब पोस्टर में खुद के रिपोर्टर की फोटो लगाने की बात कही तो गौतम ने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि उनका चैनल इसके लिए माफीनामा जारी करेगा.
जिसके बाद संदेश में उन्होंने कहा- “पिछले दिनों लाइव रिपोर्टिंग के दौरान हम पर हमला करने वाले छात्रों के बीच गलती से आपकी तस्वीर लगाने पर हमें खेद है. हमने उन लोगों की तस्वीरें लगाई थी जो उस समय वहां मौजूद थे, लेकिन दुर्भाग्य से आप भी घटना की रिपोर्टिंग कर रहे थे और आपकी तस्वीर शामिल हो गई. ऐसा नहीं होना चाहिए था और मैं समझता हूं कि इससे आपको परेशानी हो सकती है. इसके लिए मैं माफी मांगता हूं.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने तीनों चैनलों से भी बात की. इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने हमारे फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. हमने चैनल के आधिकारिक प्रवक्ता से भी बात की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. हालांकि चैनल ने अपनी खबर का ट्वीट डिलीट कर दिया.
टाइम्स नाऊ की एडिटर नविका कुमार ने अपने प्रवक्ता से बात करने को कहा. चैनल की आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि “तत्काल कार्रवाई के रूप में, हमने ट्वीट को हटा लिया है. कृपया हमारी ओर से इसे स्वीकार करें.”
टाइम्स नाऊ ने इस खबर का ट्वीट तो हटा लिया लेकिन चैनल पर चले शो के बारे में कुछ नहीं बोला.
इसी तरह इंडिया टीवी के संपादक रजत शर्मा ने हमें अंकिता गुप्ता का नंबर देते हुए उनसे बात करने को कहा. गुप्ता को हमने पूरे मामले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि “हमारी न्यूज़रूम की टीम आपसे संपर्क करेगी.” हालांकि खबर लिखे जाने तक न्यूज़लॉन्ड्री से किसी ने संपर्क नहीं किया.
न्यूज़लॉन्ड्री के पत्रकार द्वारा जेएनयू में हुई हिंसा पर रिपोर्ट नीचे संलग्न है.
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