जेएनयू में हुई हिंसा पर पीआरओ अजित कुमार कहते हैं, “हिंसा को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही है उसकी हम जांच कराएंगे और उसके बाद जेएनयू प्रशासन बयान जारी करेगा.”
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर छात्र गुटों के बीच हिंसा हुई है. ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” की स्क्रीनिंग के दौरान हुआ. स्क्रीनिंग के दौरान छात्रों के एक गुट ने पत्थरबाजी की घटना को अंजाम दिया.
भारत में बैन इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग मंगलवार को नर्मदा हास्टल के पास जेएनयू छात्र संघ के ऑफिस में की गई थी. इसे रात 9 बजे दिखाया जाना था, लेकिन उससे पहले ही करीब 8:30 बजे कैंपस की लाइट काट दी गई. लाइट काटे जाने की घटना पर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
लाइट काटे जाने के बाद भी छात्र, जेएनयू छात्र संघ के ऑफिस के बाहर रूके रहे, इस बीच छात्रों ने अपने मोबाइल और लैपटॉप से डॉक्यूमेंट्री को दिखाना शुरू कर दिया. छात्रों के कई गुट मोबाइल और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे. इस दौरान करीब 300 छात्र मौजूद थे थे.
डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने को लेकर जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष कहती हैं, “अगर बीजेपी बोलेगी की आपको यही खाना है, यही पहनना है, यही देखना है तो हम नहीं सुनने वाले हैं. सिर्फ बीजेपी, आरएसएस नहीं कोई भी सरकार हमें अपने अधिकारों से बेदखल नहीं कर सकती.”
घोष आगे कहती हैं, “मोदी सरकार पब्लिक स्क्रीनिंग रोक सकती है लेकिन पब्लिक व्यूइंग तो नहीं रोक सकती.”
बता दें कि घोष, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से हैं जो कि सीपीएम पार्टी का छात्र विंग है. जेएनयू में छात्र संघ में सभी पदों पर लेफ्ट पार्टियों के छात्र विंग का कब्जा है.
“कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग से समस्या नहीं”
डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान लाइट काटे जाने पर आइशी कहती हैं, “लाइट काटे जाने की घटना ऐसे नहीं होती है. जब ऐसा होता है तो प्रशासन पहले ही नोटिस जारी कर देता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.”
घोष आरोप लगाती हैं कि गृह मंत्रालय की तरफ से दवाब है कि डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखानी है. इसलिए ऐसा हो रहा है.
वह आगे कहती हैं, “हेट और प्रोपेगेंडा से भरी कश्मीर फाइल्स फिल्म की स्क्रीनिंग की गई, तमाम लव-जिहाद को लेकर प्रोपेगेंडा फैलाने वाली फिल्मों की स्क्रीनिंग को लेकर जेएनयू प्रशासन कभी एडवाइजरी जारी नहीं करता है लेकिन ये डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई.”
एमए अंग्रेजी की एक छात्र नाम नहीं छापने के अनुरोध पर कहती हैं, “यह किस तरह की सरकार है जो सिर्फ मन की बात करती है और लोगों को नहीं सुनती. यह सरकार विरोध की आवाजों को दबा रही है.”
वह कहती हैं, “यूनिवर्सिटी प्रशासन एक डॉक्यूमेंट्री के दिखाए जाने से इतनी डरी हुई है कि उसने जैमर लगा दिया, लाइट काट दी.”
छात्र संघ के ऑफिस के बाहर छात्र संघ से जुड़े ही छात्र नहीं थे बल्कि कई ऐसे छात्र भी डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए वहां आए थे जो किसी भी पार्टी से नहीं जुड़े थे. ऐसे ही एमए चाइनीज भाषा के छात्र सगीर कहते हैं, “डॉक्यूमेंट्री से नरेंद्र मोदी की छवि खराब हो रही है इसलिए सरकार इसे बैन कर रही है.”
एक दूसरे छात्र शीरशाबो कहते है, “डॉक्यूमेंट्री में ऐसा क्या है जिसको दिखाने पर प्रशासन पूरे कैंपस की लाइट काट देता है. पीएम ने खुद कहा था कि आलोचना से लोकतंत्र मजबूत होता है. तो फिर यह सब क्यों हो रहा है.”
एक अन्य छात्र नाम नहीं बताने पर कहते हैं, “बीते गुरूवार 19 जनवरी को कश्मीर फाइल्स फिल्म की स्क्रीनिंग की गई थी. इस दौरान सड़कों और पेड़ों पर लाशे लटकती हुई दिखाई गई थीं. लेकिन प्रशासन ने तब कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन सिर्फ डॉक्यूमेंट्री दिखाने को लेकर लाइट काट दी गई.”
हिंसा की शुरूआत
जेएनयू छात्र संघ के ऑफिस के बाहर शांति से डॉक्यूमेंट्री को देखा जा रहा था तभी अचानक से करीब रात 10 बजे रोड के दूसरी तरफ यानी जंगल की ओर से पत्थर फेंके गए. इसके बाद वहां भगदड़ मच गई. कुछ छात्र वहां से भागकर कैंपस के मेन गेट की तरफ भागे तो वहीं कुछ छात्र संघ के ऑफिस में घुस गए.
न्यूज़लॉन्ड्री के पास घटना का वीडियो भी मौजूद है जिसमें दिख रहा है कि कुछ छात्र रोड की दूसरी तरफ से छात्र संघ के ऑफिस की तरफ आए. जिसके बाद दोनों गुट के छात्रों में बहस हुई और फिर मारपीट शुरू हो गई. इसी दौरान पत्थरबाजी हुई. इसके बाद आइशी घोष और स्कीनिंग का आयोजन करने वाले छात्र सुरक्षाकर्मी के पास गए और उनसे मांग की, कि पत्थरबाजी हो रही है और आप लोग कुछ नहीं कर रहे है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए घोष ने कहा, “पत्थरबाजी करने वाले एबीवीपी के सदस्य हैं.”
लेफ्ट ग्रुप के छात्र छात्र संघ के ऑफिस के बाहर हुई पत्थरबाजी का विरोध कर रहे थे कि फिर अचानक से जेएनयू के मेन गेट के पास स्थित गार्ड पोस्ट के पीछे जंगलों से फिर पत्थरबाजी हुई. इस बीच प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने पत्थर फेंकने वाले कुछ छात्रों को पकड़ लिया.
बीएससी बायोलॉजी के छात्र गौरव कुमार और विकास पालीवाल को प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने पत्थर फेंकने के आरोप में पकड़ लिया. इन दोनों का संबंध एबीवीपी से बताया जा रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए जेएनयू एबीवीपी अध्यक्ष रोहित कुमार ने बताया कि, विकास एबीवीपी का सदस्य है. वहीं गौरव राष्ट्रीय कला मंच से जुड़े हुए हैं.
वहीं गौरव कहते हैं, “मैं गार्ड पोस्ट के पीछे की तरफ से जा रहा था. तभी अचानक से शोर होने लगा और उन्होंने मुझे पकड़ लिया. अगर हमने पत्थर फेंका है तो एक भी कोई सबूत दिखाइए, जिसमें हम पत्थर फेंक रहे हों.”
इस बीच सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के छात्र नीतीश कुमार के साथ मारपीट की गई. कुमार ने बताया, “जब वह गंगा डाबा की तरफ से मेन गेट की तरफ आ रहे थे तभी एबीवीपी से जुड़े करीब 10 लड़कों ने मुझे और मेरे दोस्त शहबाज को रोक लिया और हमें मारा.” कुमार की पीठ पर चोट के निशान भी है.
मेन गेट पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने जेएनयू प्रशासन, एबीवीपी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए. इस बीच कुछ ने “गोदी मीडिया गो बैक” के भी नारे लगाए और कहा कि जेएनयू में मीडिया की एंट्री नहीं है. तो वहीं कुछ छात्रों ने जनम टीवी (मलयालम भाषा) और एएनआईए को भी रोकने की कोशिश की.
इस पूरी घटना पर एबीवीपी ने बयान जारी करते हुए कहा कि, जेएनयू में पिछले कई वर्षों में यही देखा जा रहा है कि कैसे यहां के मुट्ठीभर वामपंथी छात्र एवं प्रोफेसर ने फर्जी- आधुनिकतावादी मार्क्सवादी-देशद्रोही एजेंडा' से देश को विभाजित करना जारी रखा है और जेएनयू के प्रतिभावान छात्रों को समाज में बदनाम कर रहे हैं.
बता दें कि इससे पहले, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और केरल के कुछ कैम्पसों में छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की है.
पुलिस स्टेशन तक मार्च और प्रशासन का बयान
रात करीब 12:30 बजे तक जेएनयू प्रशासन की ओर से छात्रों के पास कोई नहीं आया. और ना ही पुलिस की टीम वहां पहुंची. इस पर आइशी घोष ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि, अभी के माहौल में वापस कैंपस में जाना सुरक्षित नहीं है. न ही पुलिस पत्थरबाजी करने वाले लड़कों पर एफआईआर दर्ज कर रही है. इसलिए हम वसंत कुंज थाने जाकर एफआईआर दर्ज कराएंगे.
घोष ने आगे कहा कि, डीसीपी मीडिया में बयान दे रहे हैं कि जेएनयू में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है इसलिए हम थाने तक मार्च करके जाएंगे और उन्हें बताएंगे कि कैंपस में हिंसा हुई है. इसके बाद छात्र करीब ढाई किलोमीटर तक मार्च करते हुए वसंत कुंज पुलिस स्टेशन पहुंचे.
थाने से बाहर निकलकर आइशी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “25 छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है. हमने पुलिस को कहा कि वह गंभीरता से इस मामले की जांच करें. क्योंकि कई बार से यह लोग छूट जा रहे हैं.”
इतना सबकुछ हो जाने के बाद जब न्यूज़लॉन्ड्री ने जेएनयू के पीआरओ अजित कुमार से बात की तो वह कहते हैं, “हिंसा को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही है उसकी हम जांच कराएंगे और उसके बाद जेएनयू प्रशासन बयान जारी करेगा.”
वह आगे कहते हैं, “लाइट काटे जाने की घटना सामान्य घटना है. कई फॉल्ट थे लाइन में इसलिए सभी को सही किया जा रहा था.”
हमने दक्षिण पश्चिम डीसीपी मनोज सी से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. हमने दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नलवा से बात की. वह कहती है कि, हमें इसके बारे में जानकारी नहीं है. आप डीसीपी से बात करें. वैसे अधिकतर अधिकारी 26 जनवरी की तैयारी में लगे हुए हैं.