दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करें. न्यूज़लॉन्ड्री बिना किसी विज्ञापन के चलने वाला पत्रकारिता संस्थान है. इस वीडियो में भी आपको कोई विज्ञापन नहीं मिलेगा. हम सिर्फ आपके सहयोग से पत्रकारिता कर रहे हैं. यानी आपके सब्सक्रिप्शन के सहारे. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब अवश्य करें.
इस हफ्ते टिप्पणी में धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी हो रही है. वैसे बीता पूरा हफ्ता खबरिया एबीपी न्यूज़ समेत तमाम चैनलों पर एक जड़बुद्धि बाबा छाए रहे. भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, चमत्कार, अंधविश्वास का बोलबाला रहा.
चमत्कार के नाम पर बाबा गरीब, भोलीभाली जनता को मूर्ख बना रहे हैं और हमारे संविधान का अनुच्छेद 51-ए की भावना को चूना लगा रहे हैं, जहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विज्ञानसम्मत सोच को एक कर्तव्य के रूप में शामिल किया गया है.
जैसा कि मैंने शुरू में कहा, बीता पूरा हफ्ता चैनलों पर अंधविश्वास को समर्पित रहा. यह कई रूपों में दिखा. जहां बाबा नहीं थे वहां जटायू और सम्पाती थे. रामायण के मिथकीय चरित्र जटायू या सम्पाती ग्रिफिन वल्चर की असली सन्तानें हैं क्योंकि रामानंद सागर ने अपनी रामायण में जटायू और संपाती को इसी तरह दिखाया था. ये हम नहीं टीवी-9 भारतवर्ष का दावा है.