अनिल यादव: सोने से भी ज्यादा महंगी कीड़ाजड़ी

अनिल यादव एक घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के लेखक हैं. इस इंटरव्यू में उन्होंने अपनी नई किताब कीड़ाजड़ी के कई रोचक पहलुओं पर बातचीत की.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में एक कीड़ा पाया जाता है. सर्दियों के मौसम में उस पर एक फफूंद जम जाती है. यह फफूंद जमीन के नीचे उस कीड़े को अपने खाने की तरह इस्तेमाल करती है और गर्मियों के मौसम में बर्फ पिघलने पर यह फफूंद जमीन के ऊपर आ जाती है और यह घास की तरह दिखती है. इसका इस्तेमाल विश्व भर में कामोत्तेजक दवा के रूप में होता है. अनिल यादव की नई किताब का शीर्षक भी इसी फफूंद के नाम पर कीड़ाजड़ी है. यह एक यात्रा वृत्तांत है. यादव हिंदी साहित्य की यात्रा वृतांत विधा में अलग तरह की खूबसूरती लाने के लिए जाने जाते हैं.

उनका कहना है कि कीड़ाजड़ी के बारे में तिब्बत के लोगों को 14वीं शताब्दी में पता चला और उन्होंने तभी से इसका शक्तिवर्धक के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया.

भारत में लोग 2006 से पहले कीड़ाजड़ी के बारे में नहीं जानते थे जबकि ऊंचे क्षेत्रों में यह पैदा हो रही थी. उत्तराखंड के लोगों को इसके बारे में चीन और नेपाल से आने वाले तस्करों द्वारा पता चला.

यादव एक एनजीओ लाइव बर्ड फाउंडेशन, जो स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम करता है, उसके जरिए पहली बार पढ़ाने के लिए बागेश्वर पहुंचे थे. बच्चों से आपको क्या जानने को मिला? इस सवाल के जवाब में अनिल कहते हैं, “ये बच्चे हिंदी नहीं जानते हैं, उनके लिए बड़ा कठिन है. जिस तरह की उनकी बोली है हिंदी जानना कठिन है. गणित नहीं जानते, अंग्रेज़ी तो खैर उनका सबसे बड़ा आतंक है, लेकिन ये बच्चे जिंदगी के बारे में बहुत जानते हैं.”

एक और सवाल कि वहां पर महिलाओं की किस तरह की दिक्कतें हैं और महिलाएं वहां पर कैसे खुद को ढालती हैं? इसके जवाब में यादव कहते हैं, “पुरुषों की तुलना में कठिन है जीवन महिलाओं का, लेकिन हां उनके बिना काम भी नहीं चलता.”

आगे वह कहते हैं, “वहां के पुरुष कहते हैं जब से महिलाएं कीड़ाजड़ी निकालने के लिए ऊपर जाने लगीं, जब से भूस्खलन होने लगा, तब से भूकंप लगा, तब से तबाही आने लगी.”

देखें पूरा वीडियो-

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article imageप्रिया सिंह बॉडी बिल्डर: “जहां मेरा बचपन शुरू होना था वहां खत्म हो गया”
article image‘मैंने भावुकता में एनडीटीवी नहीं छोड़ा, 23 अगस्त के बाद से हालात बदलने लगे थे’: रवीश कुमार
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like