दिल्ली की अदालत ने कहा कि मोहम्मद मनान डार के खिलाफ आरोप ठोस और सही नहीं लगते.
दिल्ली की अदालत ने सोमवार को एक कश्मीरी फोटो पत्रकार को ज़मानत दी, जिसने गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत आरोपित होने के बाद एक साल से अधिक जेल में बिताया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मोहम्मद मनान डार को जमानत मिली क्योंकि अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप सत्य साबित नहीं होते.
उनके परिवार ने द वायर को बताया कि उन्हें कल रात 9 बजे छोड़ा था. उनके परिवार के एक सदस्य ने कहा कि वह बहुत उत्साहित हैं और एक पत्रकार के रूप में अपना काम शुरू करने के लिए उत्सुक हैं.
मनान डार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 21 अक्टूबर, 2021 को आतंकी संगठनों के साथ साजिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
लाइव लॉ के अनुसार, एनआईए ने अक्टूबर 2022 में उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि डार इन समूहों के “हाईब्रिड कैडर” के रूप में काम कर रहे थे.
एनआईए ने कहा कि डार क्षेत्र के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में शामिल थे और जानबूझकर आतंकवादी संगठन में शामिल हो गए थे, लेकिन अतिरिक्त सत्र में न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक की अदालत ने 2 जनवरी को कहा कि ऐसे तथ्यों को स्थापित करने के लिए केवल अनुमान या अधूरा साक्ष्य पर्याप्त नहीं हो सकता है.
अप्रैल 2020 में, एक अन्य कश्मीरी फोटो पत्रकार, मसरत ज़हरा पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि उन पर आरोप था कि वह अक्सर आपराधिक इरादे से राष्ट्र विरोधी पोस्ट अपलोड करती थीं. अधिक जानकारी जानने के लिए पढ़िए यह रिपोर्ट.