इस ग्राउंड रिपोर्ट में न्यूज़लॉन्ड्री ने अंजलि हत्याकांड के पांचों आरोपियों के बारे में जानने की कोशिश की.
मंगलवार शाम छह बजे अंजलि की अंतिम यात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच निकली. एंबुलेंस में अंजलि का शव रखा था जिसे सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी घेरे हुए थे. शव के साथ-साथ चल रही हजारों की भीड़ अंजलि को न्याय की मांग करते हुए नारे लगा रही थी.
भीड़ में मौजूद मीरा देवी सुबकते हुए आगे बढ़ रही थीं. अंजलि की बड़ी मम्मी मीरा कहती हैं, ‘‘आज तो इतने पुलिस वाले दिख रहे हैं, तब कहां थे? मेरी बेटी को कैसे घसीट कर मारा है, एक कपड़ा भी नहीं था तन पर. मेरे देवर (अंजलि के पिता) की आठ साल पहले मौत हो गई. देवरानी भी बीमार ही रहती हैं. यहीं लड़की सहारा थी, उसे भी छीन लिया.’’
वो रोते हुए कहती हैं, ‘‘हम पंजाब के बरनाल के रहने वाले हैं. जैसे ही मुझे अंजलि की खबर मिली मैं भागे-भागे आई. समझ नहीं आ रहा कि अब परिवार का क्या होगा.’’
एक जनवरी की सुबह कांझावाला में अंजलि का क्षत-विछत, निर्वस्त्र शव पुलिस को बरामद हुआ था. इसके बाद पुलिस तहकीकात में सामने आया कि अंजलि अपनी स्कूटी से लौट रही थी, तभी रास्ते में एक कार के नीचे आ गई और उसी में फंस गई. उस कार में पांच युवक मौजूद थे. कार करीब 12 किलोमीटर तक अंजलि को घसीटती रही. इस दौरान उसकी मौत हो गई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोस्टमार्टम में रेप की पुष्टि नहीं हुई है. वहीं मृतका के पड़ोसियों का कहना है कि पुलिस जानबूझकर मामले को कमजोर कर रही है.
शिवपुरी शवदाह गृह में अंजलि का अंतिम संस्कार हो रहा था, इसी बीच बाहर सैकड़ों की संख्या में मौजूद महिलाएं पुलिस के खिलाफ नारे लगा रही थीं.
उन्हीं में से एक 23 वर्षीय डॉली कहती हैं, ‘‘आपने अंजलि की तस्वीर देखी है? घिसटने से कपड़ा फटता है, शरीर से निकल तो नहीं जाता? शरीर में अंडर गारमेंट्स भी नहीं थे. क्या वो भी घिसटकर अलग हो जाएगा? पुलिस को इन सवालों का जवाब देना होगा.’’
अंजलि का परिवार उसी की आमदनी पर निर्भर था. उनके पिता की मौत आठ साल पहले हो गई थी, वहीं मां की दोनों किडनी खराब हो गई हैं और वो डायलिसिस पर हैं. अंजलि की तीन बहनें और दो भाई हैं.
उनके एक पड़ोसी कालीचरण हमें बताते हैं, ‘‘अंजलि दूसरे नंबर पर थी. वो नौकरी करती थी और उसने कमाकर अपनी बड़ी और छोटी बहन की शादी की. उसके दोनों भाई अभी छोटे हैं. मां तो डायलिसिस पर हैं. मुझे तो डर है कि इस सदमे में वो भी न मर जाएं. सरकार को चाहिए कि अंजलि की मां का इलाज कराए और उसके परिवार को आर्थिक मदद दें, क्योंकि अब कोई कमाने वाला नहीं है.’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी कि वे अंजलि की मां का इलाज कराएंगे. केजरीवाल ने लिखा, ‘‘पीड़िता की मां से बात हुई. बेटी को न्याय दिलाएंगे. बड़े से बड़ा वकील खड़ा करेंगे. उनकी मां बीमार रहती हैं. उनका पूरा इलाज करवाएंगे. पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देंगे, सरकार पीड़िता के परिवार के साथ है. भविष्य में भी कोई जरूरत हुई तो हम पूरा करेंगे.’’
अंजलि की हत्या के मामले में पुलिस ने पांच युवकों को गिरफ्तार किया है. इनमें दीपक खन्ना, अमित खन्ना, मनोज मित्तल, मिथुन और कृष्णा शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक दीपक ही घटना के समय गाड़ी चला रहा था. मनोज मित्तल को छोड़ बाकी सभी का घर मंगोलपुरी में आसपास ही है. सब बचपन के ही दोस्त हैं. दीपक और अमित खन्ना चचेरे भाई हैं.
‘एक बार उसने मेरी मां को छेड़ा था तो मां ने चप्पलों से पीटा था’
मनोज मित्तल सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन से महज एक किलोमीटर दूर कृष्णा विहार में रहते हैं. मित्तल की सुल्तानपुरी में किराने की दुकान है. कृष्णा विहार के पांच मंजिला इमारत में उसका कमरा दूसरी मंजिल पर है, जहां इस समय ताला लटका हुआ हुआ है.
इस बिल्डिंग में रहने वाले 51 वर्षीय हरीश कुमार बताते हैं, ‘‘करीब पांच साल पहले उसने यहां घर लिया था. उनकी मां का एक साल पहले निधन हो गया. करीब दो साल पहले उसकी शादी हुई. पत्नी कोई सरकारी नौकरी करती हैं. यहां कम ही आती हैं. मित्तल शराबी तो था. जब वो शराब पीकर आता था, तो शेर हो जाता था. जो मन में आता वो बोलता था और अगली सुबह गाय बन जाता था और नमस्ते कर काम पर चला जाता था. इतनी बड़ी घटना कर देगा इसका अंदाजा नहीं था.’’
गिरधारी वर्मा इस मकान में ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं. इन्हें और इनकी पत्नी कृष्णा देवी को कई बार मित्तल ने परेशान किया है. वे अफसोस करते हैं कि पहले पुलिस में शिकायत दे दी होती तो शायद आज अंजलि के साथ ऐसा नहीं होता.
गिरधारी बताते हैं, ‘‘शायद ही कोई दिन हो जब मित्तल बिना शराब पीये आता था. शराब पीकर आता तो मेरे कमरे में दीवार पर मुक्का मरता था. मेरी पत्नी को आवाज़ लगाता था. मेरे कमरे के सामने बैठकर सिगरेट पीने लगता था. कई बार तो उसकी स्थिति इतनी खराब हो जाती थी कि वो सीढ़ियों पर खुद नहीं चढ़ पाता था. उसके दोस्त चढ़ाने आते थे. कई बार वो देर रात में गेट खुलवाने के लिए पीटने लगता था.’’
कृष्णा कहती हैं, ‘‘वो पीकर शैतान हो जाता था. उसकी पत्नी जितने दिन यहां रही, बस उतने ही दिन उसने शराब नहीं पी. वो यहां साल में चार पांच दिन ही रही हैं. शराब पीकर हंगामा करता था और सुबह माफी मांग लेता था.’’
मित्तल की शराब पीकर हंगामा करने की कहानी आसपास के दूसरे लोग भी बताते हैं. राशन की दुकान चलाने के साथ ही मित्तल सट्टा का कारोबार भी करता था. सट्टा का कारोबार वो पार्टनरशिप में अपने घर के नीचे ही करता था. इसकी शिकायत पुलिस को यहां के लोगों ने दी थी.
गिरधारी बताते हैं, ‘‘पुलिस वाले आते थे और बात करके चले जाते थे लेकिन सट्टा चलता रहा. वो कभी बंद नहीं हुआ.’’
गिरधारी और कृष्णा के साथ खड़ी एक 11 साल की लड़की बताती है, ‘‘एक बार मेरी मां दूध लेकर आ रही थीं. वो शराब पीकर आए थे और मेरी मां से बदतमीजी करने लगे. मेरी मां ने चप्पलों से पीटा था. तब से वो हमारे परिवार से बात नहीं करते हैं.’’
मामला सामने आने के बाद मित्तल की एक और पहचान सामने आई, भाजपा नेता की. हालांकि उन्हें चार-पांच साल से जानने वाले लोगों की मानें तो वो भाजपा का नेता कब बना, उन्हें नहीं मालूम है. कृष्णा विहार में भाजपा के मंडल महामंत्री सतवीर सिंह का घर हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए वो कहते हैं, ‘‘उसे तो मैंने कभी भाजपा की किसी सभा में नहीं देखा है.’’
कृष्णा का परिवार: ‘लड़की के साथ गलत हुआ, हमारा भाई संगत की वजह से फंस गया’
इस मामले में हिरासत में लिए गए दूसरे आरोपी कृष्णा कुमार हैं. मंगोलपुरी की संकरी गलियों से होते हुए हम उनके घर पहुंचे.
मथुरा के रहने वाले कृष्णा के पिता काशी छोले-भटूरे बेचने का काम करते हैं. तीन भाइयों में सबसे छोटा कृष्ण, स्नातक तक की पढ़ाई के बाद कनॉट प्लेस में एक ऑफिस में टेक्नीशियन का काम करता था.
जब हम उनके घर पहुंचें तो कृष्णा का परिवार टीवी पर न्यूज़ देख रहा था. उस वक़्त न्यूज़ में अंजलि की हत्या की कहानी दिखाई जा रही थी. आरोपी के रूप में जब कृष्णा की तस्वीर दिखाई गई तो उसकी मां रोने लगीं और कहती हैं, ‘‘संगत ने इसे ले डूबा.’’
कृष्णा के परिवार से अभी तक पुलिस ने संपर्क नहीं किया है. उसके बड़े भाई मुकेश कुमार बताते हैं, ‘‘हमें भी टीवी पर देखकर ही पता चला कि ऐसा कुछ हुआ है. 31 दिसंबर को तो हर कोई पार्टी करता है. वो भी पार्टी में जाने की बात कह कर गया था. उसके बाद हमारी उससे कोई बात नहीं हुई. हम चाहते हैं कि एक बार उससे मिल लें, लेकिन लोगों का गुस्सा देखा आपने. अगर हम मिलने जाए और किसी को इसकी खबर लग जाए तो लोग हमारी ही जान ले लेंगे, इसलिए हम बाहर ही नहीं जा रहे हैं.’’
मुकेश कहते हैं, ‘‘बेटी (अंजलि) के साथ तो गलत हुआ ही है. उसे न्याय तो मिलना ही चाहिए. इसके साथ बाकी पांच लोगों को भी न्याय मिलना चाहिए. इनका भी परिवार है. इन्होंने लड़की के साथ कुछ गलत नहीं किया जैसा कि न्यूज़ में दिखा रहे हैं. जो कुछ हुआ वो अनजाने में हुआ है. हम तो बस ये चाहते हैं कि सबको न्याय मिले किसी के साथ अन्याय न हो.’’
अपने भाई के साथ रहता हैं दीपक और अमित
घटना के समय गाड़ी दीपक खन्ना चला रहा था. जिस गाड़ी से घटना हुई वो दीपक और अमित खन्ना ने अपने दोस्त से मांगी थी.
मंगोलपुरी के, के-ब्लॉक में दीपक अपने भाई के साथ रहता था. घटना के बाद से ही इनके घर पर ताला लटका हुआ है. आसपास के रहने वाले बताते हैं कि दीपक के माता-पिता दोनों का निधन हो चुका है. पिता का निधन कब हुआ किसी को पता नहीं लेकिन मां का निधन कोरोना के समय हुआ है. दीपक ग्रामीण सेवा चलाता था. उसे स्थानीय लोग कालू के नाम से जानते हैं.
जिस कमरे में अमित और उसके भाई रहते थे, वो उनका अपना है. वहीं उसी बिल्डिंग में रहने वाले दूसरे किरायेदार बताते हैं, ‘‘हमारे साथ तो उनका रवैया ठीक ही था. कभी-कभार आते जाते कुछ बात हो जाती थी. बाकी कोई खास मतलब नहीं था.’’
अमित खन्ना भी अपने भाई अंकुश के साथ मंगोलपुरी के एक्स ब्लॉक में रहता है. अमित क्या काम करता है उसके आसपास के लोगों को भी नहीं मालूम. जबकि अंकुश ग्रामीण सेवा चलाता है. घटना के बाद अंकुश घर नहीं आया. उनके घर पर ताला लटका हुआ है.
अमित के पिता का निधन हो गया है और उनकी मां पंजाब में रहती हैं. अमित की पड़ोसी रश्मि बताती हैं, ‘‘ज्यादातर समय दोनों भाई ही यहां रहते हैं. कभी-कभार उनकी मां यहां आती हैं. हमारे से कभी लड़ाई झगड़ा तो किया नहीं तो उसे अच्छा ही कहेंगे, लेकिन लड़की के साथ गलत किया उन्होंने. अगर गाड़ी के नीचे आ गई तो रोक देते. ऐसे कैसे होगा कि इतने दूर तक इतनी भारी लड़की को घसीटे लेकिन उन्हें पता तक नहीं चला?’’
मिथुन के घर पर भी लटका ताला
मित्तल, अमित और दीपक की तरह मिथुन के घर पर कोई मौजूद नहीं था. मिथुन का घर भी एक्स ब्लॉक मंगोलपुरी में ही है. मिथुन को यहां लोग कैंडी के नाम से जानते हैं. वह एक सैलून में बाल काटने का काम करता है.
मिथुन का परिवार उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. यहां हमारी मुलाकात मिथुन के किरायेदार नरेश कुमार से हुई. वे बताते हैं कि ये तीन भाई और एक बहन हैं. बहन की हाल ही में शादी हुई है. हम यहां चार साल से रह रहे हैं कभी किसी से लड़ाई तो नहीं हुई है. बाहर कोई क्या करता है ये तो हम नहीं कह सकते हैं.
मिथुन के आस पड़ोस के लोग कुछ भी बोलने से बचते नजर आये.
मिथुन के घर से 100 मीटर की दूरी पर संजय गांधी अस्पताल के पास एक सिगरेट की दुकान है. दुकान चलाने वाली महिला बताती हैं, ‘‘अमित, मिथुन, दीपक और कृष्णा, ये तो सगे दोस्त हैं. ये सब गरीब हैं. मित्तल जो यहीं रहता था पहले, वो बस पैसे वाला है. उसी के चक्कर में ये सब गए थे.’’
दुकान चलाने वाली महिला एक तरफ जहां आरोपियों को ‘बेचारा’ कहती हैं, वहीं अंजलि के रात में बाहर घूमने पर सवाल खड़ा कर देती हैं. हालांकि ऐसा कहने वाली सिर्फ वो अकेली महिला नहीं हैं. अंजलि की दोस्त निधि के सामने आने के बाद और ओयो होटल में कमरा बुकिंग की बात सामने आने के बाद लोग कई अलग-अलग कहानियां बना रहे हैं. हालांकि कोई खुलकर नहीं बोल रहा है.
अंजलि की बड़ी मां मीरा देवी कहती हैं, ‘‘पुलिस वाले शुरू से केस को दबा रहे थे. अब दूसरी कहानी लेकर आए हैं. यहां अंजलि की हत्या हुई वो महत्वपूर्ण है, न कि वो क्या कर रही थी और क्या नहीं. पुलिस सवालों से बचने के लिए कहानी बना रही है.’’