दिल्ली: सुल्तानपुरी थाने में पत्रकारों के साथ पुलिस ने की धक्कामुक्की

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने ट्वीट किया कि, पहले पत्रकारों को एफआईआर की धमकी से डराया जा रहा था और अब पुलिस मीडिया के साथियों के साथ धक्कामुक्की और मारपीट कर रही है.

Article image

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कंझावसा इलाके में एक जनवरी की रात को हैरान कर देने वाली घटना सामने आई. जहां एक दुर्घटना में स्कूटी सवार अंजलि नाम की एक लड़की को 13 किलोमीटर तक कार के नीचे घसीटते हुए ले गए. जिससे उसकी मौत हो गई. 

घटना के वक्त कार में पांच युवक सवार थे. पुलिस को दिए बयान में आरोपियों का कहना था कि वे शराब के नशे में धुत थे और कार में तेज आवाज में गाने चला रखे थे. इस कारण उन्हें कार के नीचे युवती के फंसे होने का पता नहीं चल पाया.

इस मामले के सामने आने के बाद राजनीति तेज हो गई. आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल पर निशाना साध रही है तो वहीं उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि वह इस पूरे हादसे की मॉनिटरिंग दिल्ली पुलिस कमिश्नर के साथ कर रहे हैं. घटना के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है.

दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त लॉ एंड ऑर्डर डॉक्टर सागर प्रीत हुड्डा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, यह घटना बहुत दुखद है और पुलिस पीड़ित परिवार के संपर्क में है. पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम करवाने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया गया है. 

उन्होंने बताया कि युवती को आरोपियों ने करीबन 12 से 13 किलोमीटर तक घसीटा था. इस मामले में धारा 304, 304-ए, 279 और 120-बी लगाई गई है. जरूरत पड़ने पर और धाराएं जोड़ेंगे. पांचों आरोपियों को तीन दिन की पुलिस रिमांड मिली है.

इस मामले में सोमवार को पीड़ित परिवार और स्थानीय लोगों ने सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया. जिसके बाद भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया. इस दौरान पत्रकारों से साथ धक्कामुक्की भी की गई. 

घटना सुबह करीब 12 बजे की है, जब पुलिस पीड़ित परिवार को बातचीत करने के लिए थाने के अंदर ले गई. इस दौरान कुछ पत्रकार भी अंदर चले गए. इसके बाद पुलिस ने सभी को धक्कामार के बाहर भेज दिया.

मिरर नाउ की पत्रकार इला काजमी बताती हैं, “वह थाने के बाहर ही खड़ी थीं, फिर भी एक पुरूष पुलिसकर्मी ने उनके साथ धक्कामुक्की की. इस दौरान वह लाइव कर रही थीं.”

वह आगे बताती हैं कि वह एक मात्र महिला रिपोर्टर थीं. इस दौरान कोई भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी. टाइम्स नाउ ने अपने पत्रकार प्रियंक त्रिपाठी और इला के साथ पुलिस द्वारा की गई धक्कामुक्की पर ट्वीट भी किया है. 

पत्रकार इला बताती हैं कि जब उन्होंने दिल्ली पुलिस को इस घटना की जानकारी दी तो उन्होंने इस घटना पर माफी भी मांगी. न्यूज़लॉन्ड्री ने प्रियंक से भी बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई. 

मौके पर मौजूद रिपब्लिक टीवी के पत्रकार पीयूष ओहरी के साथ भी धक्कामुक्की की गई. वह बताते हैं कि, थाने के अंदर बहुत से लोग थे इसी दौरान पुलिस सभी को बाहर निकालने लगी.

रिपब्लिक टीवी ने भी इस घटना पर ट्वीट किया है.  

ज़ी न्यूज के पत्रकार प्रमोद शर्मा जो घटना के वक्त मौके पर मौजूद थे. वह बताते हैं, "पीड़िता के परिजन, स्थानीय विधायक राखी बिड़ला के साथ-साथ कुछ पत्रकार भी पुलिस थाने के अंदर घुस गए थे. इसके बाद थाने के अंदर ही पत्रकार और विधायक परिजनों से बात कर रहे थे. इसलिए पुलिस ने सभी को बाहर कर दिया." 

वहीं इस घटना पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ट्वीट करते हुए लिखती हैं कि, पहले पत्रकारों को एफआईआर की धमकी से डराया जा रहा था और अब पुलिस मीडिया के साथियों के साथ इस तरह धक्कामुक्की और मारपीट कर रही है. चल क्या रहा है ये? पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के चक्कर में मीडिया को भी काम करने नहीं दे रही. लोकतंत्र में मीडिया की आवाज को दबाना तानाशाही के संकेत हैं.

पत्रकारों के साथ धक्कामुक्की को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री से वेस्टर्न रेंज के एडिशनल सीपी चिन्मय बिस्वाल कहते हैं, “ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है. किसी भी पत्रकार ने इसको लेकर कोई शिकायत नहीं दी है.”  

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस के पीआरओ सुमन नलवा और स्पेशल सीपी कानून व्यवस्था सागर प्रीत हुड्डा से भी बात करने की कोशिश की. हालांकि उनसे संपर्क नहीं हो सका.

Also see
article imageYear End Tippani 2022: मीडिया का हाल, सियासत की चाल और मिस मेदुसा का कमाल
article imageसाल 2022, जब न्यायपालिका ने मीडिया की तरफ घुमाईं निगाहें

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like