शिवशंकर के ट्वीट के बाद उन्हें लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के 99 दिन पूरे हो चुके हैं. बुधवार यानी 14 दिसंबर को इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हुए. रघुराम राजन के इस यात्रा में शामिल होने की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. इसी क्रम में टाइम्स नाउ के प्रधान संपादक राहुल शिवशंकर ने एक ट्वीट किया.
उन्होंने लिखा कि रघुराम राजन, राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए. शिवशंकर ने व्यंग्य करते हुए आगे कहा, “2008 में, राजन ने शरीयत के अनुपालन में ब्याज मुक्त बैंकिंग की सिफारिश करते हुए वित्तीय समावेशन के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार पर एक रिपोर्ट तैयार की थी. क्या केवल एक समुदाय के हितों को आगे बढ़ाना समावेशी कार्य है?”
शिवशंकर के इस ट्वीट के बाद उन्हें लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि ब्याज मुक्त बैंकिंग की सिफारिश वाली रिपोर्ट पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नहीं बल्कि आरबीआई के एक अन्य पूर्व गवर्नर डॉ. सी रंगराजन की अध्यक्षता में तैयार की गई थी.
फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने ट्विटर पर शिवशंकर को जवाब देते हुए लिखा, “2008 की वित्तीय समावेशन समिति की रिपोर्ट की अध्यक्षता डॉ. सी रंगराजन ने की थी, न कि रघुराम राजन ने.”
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Contributeहालांकि न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी पड़ताल में पाया कि राहुल शिवशंकर ने अपने ट्वीट में जो तथ्य रखे हैं वह सही हैं. टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की खबर के अनुसार 2008 के अंत में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने देश में ब्याज मुक्त बैंकिंग के मुद्दे को ध्यान देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था.
समिति ने कहा था, “कुछ धर्म ब्याज भुगतान करने वाले वित्तीय साधनों के उपयोग पर रोक लगाते हैं. ब्याज मुक्त बैंकिंग उत्पादों की अनुपलब्धता के कारण कुछ भारतीय, जिनमें समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोग भी शामिल हैं, आस्था से जुड़े कारणों के चलते बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच नहीं बना पा रहे हैं.”
बता दें कि इस्लामिक या शरिया बैंकिंग, ब्याज न वसूलने के सिद्धांतों पर आधारित एक वित्त प्रणाली है, क्योंकि इस्लामिक क़ानून के मुताबिक़ ब्याज वसूलना प्रतिबंधित है.
वहीं डॉ. सी रंगराजन ने 2008 में एक अन्य समिति की अध्यक्षता की थी. उस समिति की रिपोर्ट में ब्याज मुक्त बैंकिंग का का कोई ज़िक्र नहीं है. बल्कि इस रिपोर्ट में वित्तीय समावेशन की नई परिभाषा दी गई थी. जिसके अनुसार, "कमज़ोर वर्गों और निम्न आय वाले समूहों तक वित्तीय सेवाओं की समयबद्ध और पर्याप्त क्रेडिट पहुंचाने के प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता है."
अपडेट: मोहम्मद ज़ुबैर ने 16 दिसंबर को अपनी भूल स्वीकारते हुए अपनी उपरोक्त ट्वीट को हटा दिया. उन्होंने एक नई ट्वीट के ज़रिये माना कि समिति की अध्यक्षता रघुराम राजन ने ही की थी.
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