मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा से वरिष्ठ पत्रकार राणा सिद्दीकी ज़मान की बातचीत.
हज़ार चौरासी की मां और शूल से फिल्मों में अपना सफर शुरू करने वाले मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा ने 'दादा लखमी' से निर्देशक के रूप में अपना सफर शुरू किया. उनकी फिल्म को कई अन्य पुरस्कारों के साथ इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ हरियाणवी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. वरिष्ठ पत्रकार राणा सिद्दीकी ज़मान ने यशपाल शर्मा से इस फिल्म के मुख्य किरदार पंडित लखमीचंद 'दादा लखमी', अभिनेता के रूप में शर्मा के अनुभवों और उनके जीवन से जुड़े अन्य दिलचस्प विषयों पर बातचीत की.
हरियाणा के कला पटल पर अपनी बड़ी छाप छोड़ गए दादा लखमी के जीवन से जुड़ी बातों के साथ-साथ यशपाल इस बातचीत में बताते हैं कि उनकी निर्देशन में रुचि कैसे पैदा हुई. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कलाकारों की छवि में बंध जाने से जुड़े राणा के सवाल पर यशपाल किरदारों को चुनने में अपनी पसंद के साथ-साथ यह भी बताते हैं कि वह एक कला के रूप में, फिल्मों को किस नजर से देखते हैं. वे कहते हैं, "90 पर्सेंट फिल्मों में मैं देखता हूं कि उसमें सच्चाई की कमी रहती है. कोई भी फिल्म फ्लॉप क्यों होती है, वो कारण मुझे साफ दिखता है."
एक फिल्म अवार्ड में अपने द्वारा चुनी गई फिल्मों में से एक के बारे में बताते हुए वेब फिल्म बनाने के अपने नजरिए को समझाते हैं, "आइडिया स्ट्रांग होना चाहिए. बड़े से बड़ा विषय भी एक सुई जैसे छोटे आइडिया से शुरू होता है. वो आइडिया स्ट्रांग होना बड़ा जरूरी है."
इस रोचक बातचीत में यशपाल थिएटर से उनके लगाव, उनके जीवन से जुड़ी कई दिलचस्प बातें, फिल्मों में राजनीति आदि अनेक विषयों पर बोलते हैं.
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