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एनएल चर्चा के इस अंक में एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय और राधिका रॉय के आरआरपीआर कंपनी से इस्तीफे और रवीश कुमार के इस्तीफे, गैंगरेप दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो के सुप्रीम कोर्ट जाने, कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा पीएफआई पर बैन के खिलाफ दायर हुई याचिका को खारिज करने, दिल्ली कोर्ट द्वारा न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ दर्ज आयकर विभाग की शिकायत को किया खारिज, चीन में लॉकडाउन के विरोध में प्रदर्शन और गुजरात विधानसभा चुनावों में पहली चरण की वोटिंग वोटिंग समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते पत्रकार दैनिक भास्कर के न्यूज़ एडिटर रितेश शुक्ला, पत्रकार हृदयेश जोशी, न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया और स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया.
शार्दूल ने चर्चा की शुरुआत गुजरात चुनावों से की. वह इस विषय पर बात करने के लिए अतुल से प्रदेश के चुनावी माहौल का हाल पूछते हैं.
अतुल कहते हैं, “गुजरात के चुनावों में लहर जैसा कुछ नहीं है. बहुत ही सुस्त अवस्था वाला चुनाव चल रहा है. और अगर पार्टियों के लिहाज से बात करें तो, गुजरात में जो बदलाव का मौका था वह साल 2017 का चुनाव था. लेकिन किसी तरीके से कांग्रेस पार्टी इस बार वह मौका चूक गई.”
वह आगे कहते हैं, “इस बार का चुनाव त्रिकोणीय दिख रहा है. लेकिन आम आदमी पार्टी की गुजरात में पहुंच बहुत कम है.पार्टी ने हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे है. जिन सीटों पर पार्टी मजबूत नहीं है वहां पार्टी दूसरी पार्टियों के वोट काटेंगी.”
रितेश कहते हैं, “गुजरात में पहले चरण में वोटिंग कम हुई है पिछली बार से. तो सवाल है कि वह कौन से वोटर हैं जो वोट नहीं देने गए? क्या यह वे लोग हैं जो बीजेपी के कोर वोटर है, जिनमें उदासीनता है? क्या यह संख्या इतनी ज्यादा है कि आप आदमी पार्टी को वोट ट्रांसफर हो रहे हैं? वोटिंग कम होने का असल में अर्थ क्या है, यह समझने में समय लगेगा. सवाल है कि जो बसपा ने यूपी में हाल के चुनावों में किया था कि सीट सिर्फ एक मिली, लेकिन उनके बीजेपी को फायदा पहुंचा दिया. क्या वैसा ही आम आदमी पार्टी भी तो नहीं कर रही है?”
हृदयेश आम आदमी पार्टी को लेकर कहते हैं, “आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ना जानती है, वह मैदान में उतरना जानती है. आम आदमी पार्टी के खिलाफ ऐसा कहा जाता है वह वहीं जाती है जहां विपक्ष कमजोर होता है. राजनीति में ऐसा नहीं होता, कोई पार्टी अपनी जमीन नहीं छोड़ती. प्रधानमंत्री इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं कि वह कैसे अपनी जमीन बचा के रखते हैं.”
कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को लेकर पूछे गए सवाल पर आनंद अपनी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “दो दशकों से ज्यादा एक पार्टी का शासन है, तो हम कह सकते है कि गुजरात में आम सहमति बन गई एक पार्टी को लेकर. साल 2017 के चुनावों में कांग्रेस के पास मौका था जब उसने एक जमी हुई सरकार को चुनौती दी. उस समय राहुल गांधी ने मेहनत भी की थी. कांग्रेस अभी नेशनल स्तर के नैरेटिव को राज्य के चुनावों से अलग रखना चाहती है.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा चीन में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के विषय पर भी विस्तृत बात हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:06:50 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:06:50 - 00:32:20 - गुजरात चुनाव
00:32:20 - 01:06:14 - चीन में जारी विरोध प्रदर्शन
01:06:14 - 1:10:16 - एनडीटीवी से रवीश कुमार का इस्तीफा
1:19:17 - सलाह और सुझाव
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प्रोड्यूसर- चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह