एक अरसे तक पत्रकार रहे अविनाश दास को एक ट्वीट करने के चलते पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके अब तक के सफर और कई अन्य रोचक बातों को जानने के लिए देखिए यह इंटरव्यू.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और एक अरसे तक पत्रकार रह चुके अविनाश दास से बातचीत की. उनकी कुछ चर्चित कृतियां ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ और ओटीटी पर रिलीज़ हुआ ‘शी’ नामक शो है.
न्यूज़लॉन्ड्री के एग्जीक्यूटिव एडिटर अतुल ने अविनाश से उनके पत्रकारिता से फ़िल्म बनाने तक के सफर और उनके आज खुद को देखने के नज़रीये पर सवाल किया. अविनाश कहते हैं कि किसी काम में लंबे समय से रहने पर वो आपकी शख्सियत का हिस्सा हो जाता है, उससे आप चाह कर भी छूट नहीं पाते.
वे बताते हैं, “जब मैं पत्रकारिता में गया था या फिर सिनेमा में हूं, दोनों ही जगह कहानियां कहने की बात है. पत्रकारिता में आप समाज की कहानियां कहते हैं. बस रियलिटी और फिक्शनल के बीच का फासला है.”
अतुल ने नेताओं की कलाकारों द्वारा की गई आलोचना के प्रति ख़ास असहिष्णुता, जिसका सामना हाल ही में उन्हें भी करना पड़ा जब उनके एक ट्वीट पर उन्हें पुलिस ले गई थी, और ऐसी अन्य घटनाओं, राजनीति में असुरक्षा की भावना व आज के समय में पत्रकारिता पर बात की. इस पर अविनाश ने लेखकों के सापेक्ष अभिनेताओं और फिल्म जगत के लोगों के प्रति भावना और देश में बढ़ती असहिष्णुता का जिक्र करते हुए सारगर्भित सिनेमा बनाने में आने वाली दिक्क्तों पर अपनी राय रखी.
अविनाश ने कहा, “पिछले दिनों प्राइम वीडियो पर एक सीरीज़ आई थी तांडव. उसमें ऐसा कुछ नहीं था लेकिन उसमें शिव जी का किरदार एक मुस्लिम ने निभाया, इसलिए समाज में उस पर पूरा तांडव किया गया. ये अनोखी बात है कि दुनिया के देशों में जहां पर भी ज्यादा दमन रहा है, वहां का सिनेमा, कला, साहित्य एक अलग रूप में सामने आया है.”
अविनाश दास के एक पत्रकार से फिल्म निर्देशक बनने के सफर और कई अन्य रोचक बातों को जानने के लिए देखिए यह इंटरव्यू.
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