बीबीसी ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने पत्रकार एड लॉरेंस को हिरासत में लिए जाने का 'विश्वसनीय स्पष्टीकरण' नहीं दिया.
शंघाई में एक विरोध प्रदर्शन को कवर करने के दौरान बीबीसी के एक पत्रकार एड लॉरेंस पर कथित रूप से हमला किया गया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया. पत्रकार एड लॉरेंस बीबीसी के चाइना ब्यूरो के लिए काम करते हैं.
बीबीसी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, लॉरेंस को हथकड़ी लगाई गई और "कई घंटों तक हिरासत में रखा गया". बयान में आरोप लगाया गया कि इस दौरान पुलिस ने उन्हें पीटा और लात मारी.
बीबीसी ने आगे अपने बयान में कहा कि, पत्रकार लॉरेंस को पकड़ने करने की कोई साफ वजह नहीं बताई गई है. और न ही चीनी अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण या माफी मांगी गई है. अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने पत्रकार को कोविड की चपेट में आने से बचाने के लिए यानी उनकी भलाई के लिए पकड़ा किया था.
पिछली रात के वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि पुलिस लॉरेंस को दूर ले जा रही है.
हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि लॉरेंस ने "एक पत्रकार के रूप में अपनी पहचान नहीं बताई थी".
वहीं रॉयटर्स के अनुसार, एक मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, बीबीसी का बयान "जो हुआ था उसे प्रतिबिंबित नहीं करता”.
बता दे कि शंघाई में पिछले तीन दिनों से कोविड प्रतिबंधों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. वुहान, बीजिंग और अन्य शहरों में सैकड़ों लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है. चीन ने 26 नवंबर को 39,791 नए कोविड मामले दर्ज किए, जिनमें से 36,082 वो लोग है जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं.