अपनी अलग दुनिया बसाने की ख्वाहिश लिए श्रद्धा, आफताब के साथ दिल्ली आईं, लेकिन आफताब ने ही उसका और उसके सपनों का कत्ल कर दिया.
“1,500 किलोमीटर की यात्रा और थकान भरे दिन के बाद मैंने रील बनाने की कोशिश की. मैंने अपना दिन एक नजारे के साथ खत्म करने का फैसला किया, हो सके तो सूर्यास्त पर. वशिष्ठ गुफा में गंगा किनारे सैर की. कौन जानता था कि यह मुझे इस तरह जंचेगा, गंगा के नितांत शांत तट पर बैठकर, एक कश लगाना और इसकी सुंदरता में खो जाना.”
4 मई को 27 वर्षीय श्रद्धा वाल्कर ने पहली बार इंस्टाग्राम रील बनाई. किसे पता था कि ऋषिकेश के घाट पर जिंदगी का जश्न मना रही श्रद्धा की यह आखिरी रील साबित होगी. इस रील में श्रद्धा गंगा किनारे एक चट्टान पर बैठकर पहाड़ो की ओट में छुपते सूरज को निहार रही थी.
इसके एक एक हफ्ते बाद 11 मई को श्रद्धा ने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर किया और लिखा- “एक्सप्लोरिंग मोर एंड मोर एवरी पासिंग डे”. इस फोटो में वह हिमांचल प्रदेश के एक कैफे में नीले रंग की हुडी पहने बैठी थी.
इसके बाद श्रद्धा के इंस्टाग्राम पर कोई पोस्ट नहीं आई. 4 दिन बाद श्रद्धा का फोन भी बंद हो गया. यह 15 मई का दिन था. श्रद्धा अपने लिव इन पार्टनर आफताब पूनावाला के साथ दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर पहाड़ी मोहल्ले में रहने के लिए शिफ्ट हो गई. दिल्ली तक पहुंचने का श्रद्धा का सफर बहुत लंबा था. वह मुंबई के वसई इलाके की रहने वाली थीं, आफताब भी वहीं का रहने वाला था. दोनों की मुलाकात 2019 के आस-पास बंबल नामक डेटिंग साइट के जरिए हुई थी. श्रद्धा के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. इसलिए श्रद्धा परिवार से अलग आफताब के साथ रहने के लिए आ गई थी.
श्रद्धा के करीबी दोस्त लक्ष्मण नाडर इस पूरे दौर में उसके संपर्क में थे. उन्होंने बताया, “श्रद्धा 2019 से ही परिवार से अलग अपने बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला के साथ लिव इन रिलेशन में रहती थी. श्रद्धा आफताब से शादी करना चाहती थी लेकिन उनकी मां शादी के खिलाफ थी इसलिए श्रद्धा अपनी मां को छोड़कर आफताब के साथ रहने लगी.”
श्रद्धा की परिवार में सिर्फ अपनी मां से ही बातचीत होती थी. साल 2020 में उनकी मां का निधन हो गया. इसके बाद श्रद्धा का सिर्फ अपने दोस्त लक्ष्मण नाडर के जरिए ही परिवार से संपर्क था. श्रद्धा के पिता इंस्टाग्राम और दोस्त लक्ष्मण नाडर से उसका हाल-चाल लेते रहते थे. मई में जब श्रद्धा आफताब के साथ मुंबई से दिल्ली आई, उसके बाद से लक्ष्मण का श्रद्धा से संपर्क टूट गया.
नाडर लगातार श्रद्धा से संपर्क की कोशिश करते रहे. जून और जुलाई महीने में उन्होंने लगतार श्रद्धा को कॉल किया, लेकिन उसका नंबर बंद था. उनके मैसेजेस का भी कोई जवाब नहीं मिला. दो महीने तक बातचीत करने की कोशिश के बावजूद भी जब श्रद्धा से बात नहीं हो पाई तो लक्ष्मण को कुछ अनहोनी होने की आशंका हुई.
14 सितंबर को लक्ष्मण ने श्रद्धा के भाई श्रीजय वाल्कर को फोन करके बताया कि श्रद्धा का फोन पिछले दो महीनों से बंद आ रहा है. यह बात श्रीजय ने पिता को बताई. फिर श्रद्धा के पिता विकास वाल्कर ने लक्ष्मण से बात की. किसी अनहोनी की आशंका में उन्होंने महाराष्ट्र के मानिकपुर थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज कराई.
खोजबीन के दौरान मानिकपुर थाने के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर सचिन सानक ने विकास को बताया कि उनकी बेटी अपने बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला के साथ दिल्ली के छतरपुर में रहती थी.
इस जानकारी के आधार पर विकास 8 नवंबर को श्रद्धा के दिल्ली स्थित फ्लैट पर गए, लेकिन वहां ताला लगा था. फिर उन्होंने अपनी बेटी के अपहरण कि एफआईआर दिल्ली के महरौली थाने में दर्ज कराई.
दिल्ली पुलिस को दी गई तहरीर में विकास ने बताया, "आफताब श्रद्धा के साथ मारपीट करता था. श्रद्धा के दोस्त शिवानी और लक्ष्मण ने भी उन्हें बताया था कि श्रद्धा और आफताब का रिलेशनशिप अच्छा नहीं है इसलिए मुझे पूरा यकीन है कि मेरी बेटी के गायब होने में आफताब पूनावाला का हाथ है और उसने ही मेरी बेटी को कहीं गायब किया है या उसके साथ कुछ गलत कर दिया है."
इस तहरीर पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी.
साउथ दिल्ली के एडिशनल डीसीपी अंकित चौहान ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, "जब मुंबई पुलिस हमारे पास आई, तभी हमने छानबीन शुरू कर दी थी. सबसे पहले हमने श्रद्धा के बॉयफ्रेंड आफताब को ट्रेस किया. उसको हिरासत में लेकर पूछताछ की. पहले तो आफताब ने कहा कि उसका और श्रद्धा का झगड़ा हुआ था इसलिए श्रद्धा उसे छोड़कर चली गई और उसे नहीं पता कि वह कहां गई. जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तब आफताब ने बताया कि श्रद्धा शादी के लिए दबाव डाल रही थी, लेकिन आफताब नहीं करना चाहता था. इस बात पर दोनों में बार-बार झगड़ा होता था. 6 महीने पहले 18 मई की शाम को भी इसी बात को लेकर उसका और श्रद्धा का झगड़ा हुआ था. इस दौरान गुस्से में आफताब ने श्रद्धा का गला घोंट कर मार दिया."
दिल्ली पुलिस को दिए गए बयान के मुताबिक आफताब श्रद्धा की हत्या के बाद डर गया था. उसको जेल जाने की चिंता सता रही थी. इसलिए सबूत मिटाने के लिए उसने श्रद्धा के मृत शरीर को धारदार हथियार से कई टुकड़ों में काट दिया. फिर लोकल मार्केट से एक फ्रिज खरीद कर लाया और टुकड़ों को प्लास्टिक में बांध कर उसमें रख दिया. इसके बाद हर रात 1:00 से 2:00 बजे के बीच वह निकलता और थोड़े-थोड़े टुकड़ों को महरौली के जंगलों में फेंक देता था. यह सिलसिला 18 दिन तक चलता रहा. लाश की बदबू छिपाने के लिए वह फ्लैट में अगरबत्ती, एयर फ्रेशनर और परफ्यूम का इस्तेमाल करता था.
छतरपुर पहाड़ी पर स्थित श्रद्धा के फ्लैट के आस-पास रहने वाले हमसे बात करने से कतराते रहे. ज्यादातर लोगों ने गोपनीयता की शर्त पर हमें बताया कि आफताब को ही उन्होंने देखा था. श्रद्धा को कभी नहीं देखा. शायद इसकी वजह यह रही कि 15 मई को इस घर में शिफ्ट करने के तीन दिन बाद ही 18 मई को आफताब ने उसकी हत्या कर दी थी.
पुलिस ने आफताब के साथ महरौली के जंगलों से श्रद्धा के शरीर की खोज की है. अब तक 13 हिस्से मिले हैं. ज्यादातर हड्डियां हैं. हालांकि अभी इन अवशेषों की जांच नहीं हुई है. जांच के बाद ही पता चलेगा कि अवशेष श्रद्धा के हैं या किसी और के.
इंस्टाग्राम से अलग थी श्रद्धा की दुनिया
श्रद्धा की जिंदगी इंस्टाग्राम पर जितनी खुशनुमा दिखती है, असल जिंदगी उससे बिल्कुल अलग थी. श्रद्धा के मां बाप चार साल पहले ही अलग हो गए थे. श्रद्धा अपनी अपनी मां के साथ रहती थी.
2018 में श्रद्धा वसई के एक कॉल सेंटर में काम करने लगी. इसी दौरान बंबल नामक डेटिंग साइट पर श्रद्धा की मुलाकात 26 वर्षिय आफताब पूनावाला से हुई. कुछ महीनों बाद श्रद्धा और आफताब रिलेशनशिप में आ गए. श्रद्धा आफताब से शादी करना चाहती थी और यह बात उसने 2019 में अपनी मां को बतायी. श्रद्धा की मां इस रिश्ते के खिलाफ थी. मां के मना करने पर श्रद्धा ने कहां, "मैं 25 साल की हूं और मुझे अपने फैसले लेने का पूरा अधिकार है."
इसके बाद श्रद्धा घर छोड़कर चली गई और आफताब के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी. दोनों पहले कुछ दिन तक नया गांव और वसई में रहे. इस दौरान श्रद्धा कभी-कभी फोन पर अपनी मां से बात करती थी. श्रद्धा ने अपनी मां को बताई थी कि, "उसके और आफताब के बीच झगड़ा होता है और आफताब उसके साथ मारपीट करता है."
2020 में श्रद्धा की मां की मृत्यु हो गई. मां की मौत के बाद श्रद्धा एक बार अपने घर गई जहां उसकी मुलाकात पिता से हुई. मां की मौत के एक महीने बाद श्रद्धा अपने पिता से मिलने गई और मुलाकात के दौरान उसने बताया की आफताब उसके साथ मारपीट करता है. पिता ने उससे कहा कि तुम आफताब को छोड़ दो और अपने घर में वापस आ जाओ. लेकिन अगले ही दिन आफताब ने श्रद्धा से माफी मांग ली और श्रद्धा वापस आफताब के साथ रहने चली गई.
आफताब इस दौरान बार-बार इमोशनल ब्लैकमेल करता था. मारपीट के बाद माफी मांग लेता था. अपनी अलग दुनिया बसाने की ख्वाहिश लिए श्रद्धा आफताब के साथ मई में दिल्ली आ गई. लेकिन इससे पहले कि उसकी दुनिया बसती उसके दोस्त ने ही उसका कत्ल कर दिया.
क्या यह सांप्रदायिक अपराध है?
दिल्ली पुलिस का कहना है कि अभी तक उसकी जानकारी में जो बातें आई हैं उसके हिसाब से आपसी रिश्ते खराब होने की वजह से यह वारदात हुई. गुस्से और शादी के दबाव से बचने के लिए आफताब ने यह अपराध किया है. क्या इसके पीछे तथाकथित लव जिहाद जैसी कोई चीज भी हो सकती है या क्या दिल्ली पुलिस इस नजरिए से जांच कर रही है? इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा, “अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.”