इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन यानी ईडब्ल्यूएस आरक्षण 103वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत लागू किया गया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संविधान के मूल ढांचे के साथ खिलवाड़ है, और ऐसा करके दूसरों के साथ अन्याय किया जा रहा है.
2019 में मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों, और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया. सरकार के इस फैसले ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है जिसे लेकर पिछले 13 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.
इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन यानी ईडब्ल्यूएस आरक्षण 103वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत लागू किया गया था. इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संविधान के मूल ढांचे के साथ खिलवाड़ है, और ऐसा करके दूसरों के साथ अन्याय किया जा रहा है.
सारांश के इस अंक में हम जानेंगे कि 103वां संविधान संशोधन अधिनियम क्या है? और क्या ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है?