पूरे भारत में नवरात्रि का जश्न जोरों पर है. इस अवसर पर दक्षिण भारत में गोलू बोम्मई नामक उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें गुड़ियों और मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. कई दक्षिण भारतीय मान्यताओं में इस 'गोलू' गुड़िया के बिना, नवरात्रि का उत्सव अधूरा है. कई रंगों से सजी ये गुड़िया, पौराणिक कथाओं में से किसी एक को कार्यक्रम की तरह प्रदर्शित कर त्योहार मनाने की सदियों पुरानी परंपरा को दर्शाती हैं.
कल समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया कि मदुरै में आयोजित बोम्मई गोलू में, प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सरीखे नेताओं के ‘बोम्मिस’ यानी मूर्तियां प्रदर्शित की गयी.
लेकिन एएनआई का यह दावा भ्रामक निकला. एएनआई ने जिस मूर्ति को प्रधानमंत्री मोदी की मूर्ति बताया, दरअसल वह मोदी की नहीं बल्कि द्रविड़ आंदोलन के जनक, सामाजिक चिंतक व राजनीतिज्ञ ईवी रामासामी की मूर्ति थी, जिन्हें आम तौर पर पेरियार के नाम से जाना जाता है.
करीब 17 घंटे बाद एएनआई को उनकी इस भूल के बारे में चेताया गया. जिसके बाद एएनआई ने भ्रामक जानकारी देने के लिए खेद जताया.
ट्विटर पर लोगों ने एएनआई से यह भी पूछा कि उसने इस बात को नजरअंदाज क्यों किया कि "मोदी" की कथित मूर्ति - अंबेडकर, अन्नादुरई और इंदिरा गांधी के साथ थी, और एएनआई ने इन लोगों का जिक्र क्यों नहीं किया.
हालांकि इस प्रकार की घटना एएनआई के लिए नई नहीं है. नोटबंदी के दौरान एएनआई ने एक ‘फील गुड’ स्टोरी को लिए ,अपने ही कर्मचारियों का इंटरव्यू कर डाला था. इसी प्रकार एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए दिखाता एक वीडियो तुरंत हटा दिया था. इसके बारे में न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.