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एनएल चर्चा के इस अंक में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नफरत भरी भाषा में मीडिया की भूमिका को लेकर की टिप्पणी, देश के कई राज्यों में भयंकर बारिश, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एमएमएस लीक मामला, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सेना में आंशिक लामबंदी के ऐलान, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के नामांकन की शुरुआत, यूके के लेस्टर में हिंदू-मुस्लिम हिंसा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पार्टी के भाजपा में विलय समेत कई विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के वकील और लेखक विराग गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, और न्यूज़लॉन्ड्री के कंटेंट एडिटर अवधेश कुमार शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया.
शार्दूल ने चर्चा की शुरुआत हेटस्पीच और मीडिया की भूमिका के विषय से की. उन्होंने विराग से सवाल करते हुए कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने हेटस्पीच को लेकर मीडिया और सरकार को लेकर जो बातें कही उस पर आपकी टिप्पणी क्या है.”
विराग कहते हैं, “इस पूरे मामले के तीन पक्ष हैं. पहला पक्ष है मीडिया, दूसरा पक्ष राजनीति और तीसरा इसका कानूनी और संविधानी पक्ष है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का लब्बोलुआब यह है कि टीवी चैनल नफरत के कारोबारी है. तो यह नफरत सिर्फ एंकर नहीं फैलाते. इसके पीछे बहुत लोग होते है. इसी तरह हेटस्पीच के कारोबार में बहुत लोग होते है. पक्ष या विपक्ष के आईटी सेल के लोग होते है, जो उन मुद्दों को ट्रेंड कराते है फिर उन विषयों पर चर्चा होती है.”
स्मिता कहती हैं, “न्यूज़ चैनलों के अच्छे और खराब समय दोनों में मैंने काम किया है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि चैनलों का खराब समय देश की राजनीति में हुए परिवर्तन से बहुत हद का जुड़ा हुआ है. टीवी में एक समय ऐसा था कि जब धारावाहिक और गाय-सांड की लड़ाई दिखाई गई, लेकिन जो नफरती बीज बोने का समय है वह देश की सत्ता में हुए परिवर्तन के बाद आया है. यह ध्रुवीकरण न सिर्फ खबरों में बल्कि मीडिया संस्थानों के अंदर भी नजर आने लगा है, जो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है. सुप्रीम कोर्ट ने जो भी बातें कहीं हैं उसके आर्डर का इंतजार करना चाहिए, क्योंकि कई बार कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी उसके आर्डर नहीं होता है.”
अवधेश कहते हैं, “अनुराग ठाकुर ने जो नफरती कंटेंट को लेकर कहा कि मुख्यधारा की मीडिया को न्यूज़ चैनलों से ही खतरा है, तो उन्हें देखना चाहिए कि बीजेपी के प्रवक्ता उन चैनलों पर जाकर क्या करते है. दूसरा टीवी और अखबारों की पहुंच बहुत ज्यादा है. छोटे शहरों में और गांवों में लोग इन्हीं माध्यमों से समाचार देखते और पढ़ते हैं, तो वह लोग जो दिखाया या छापा जाता है उसी को सच मान लेते हैं. अगर नफरत दिखाई जा रही है तो वह उसी को सच मान लेते हैं.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. साथ में रूस के राष्ट्रपति द्वारा सेना में आंशिक रूप से लामबंदी के ऐलान पर भी बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
अपडेट- बातचीत में मुरादाबाद में एक युवती के साथ हुई एक घटना का जिक्र हुआ जिसमें सामूहिक बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई थी. रिकॉर्डिंग के बाद घटना को लेकर पुलिस और परिवार का वक्तव्य आया है कि ऐसा कोई अपराध नहीं हुआ, और मेडिकल जांच में भी इसकी पुष्टि नहीं हुई. मामले की जांच जारी है.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:06:27 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना
00:06:27 - 00:43:58 - सुप्रीम कोर्ट की मीडिया पर टिप्पणी
00:43:58 - 01:00:50 - रूस की सेना में आंशिक लामबंदी और पुतिन
01:00:50 - 01:14:25 - चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में लीक वीडियो
01:14:25 - सलाह और सुझाव
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