हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके यशवंत शिंदे के नाम को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इसकी वजह शिंदे द्वारा नांदेड़ की अदालत में दायर किया गया एक एफिडेविट है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे मुंबई निवासी यशवंत शिंदे का नाम, पिछले कुछ दिनों से कई हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है. जम्मू कश्मीर के राजौरी में प्रचारक रह चुके, और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला को नब्बे के दशक में तमाचा लगाने के चलते जेल जा चुके शिंदे ने कुछ दिनों पहले नांदेड़ की एक विशेष अदालत में एक हलफनामा दायर किया था. उस हलफनामे में उन्होंने खुद को नांदेड़ बम ब्लास्ट में गवाह बनाने की अपील की थी, जिसे अदालत ने दाखिल कर लिया है.
हलफनामे में शिंदे ने लिखा है कि भाजपा को राजनीतिक फायदे पहुंचाने के लिए, संघ के स्वयंसेवकों को बम ब्लास्ट कराने को तैयार किया जाता है और उनसे ब्लास्ट करवाए जाते हैं.
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार के साथ लम्बे समय तक काम कर चुके शिंदे अपने हलफनामे में यह भी कहते हैं कि अर्नब गोस्वामी जैसे न्यूज़ एंकर देश में हिन्दू और मुसलामानों के बीच द्वेष पैदा कर रहे हैं. इस हलफनामे में उन्होंने 2003 में पुणे के सिंह-गढ़ किले की तलहटी में, बम ब्लास्ट ट्रेनिंग में भाग लेने का ज़िक्र भी किया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने उनके हलफनामे में पेश किए गए दावों के बारे में यशवंत शिंदे से बात की.
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