क्या महिलाओं के सामाजिक सुरक्षा योजना के रूप में काम कर सकता है मनरेगा?

जलवायु परिवर्तन के कारण लू की तीव्रता बढ़ती है, जिससे मजदूरी का नुकसान होता है और उत्पादकता में गिरावट आती है.

WrittenBy:महिमा जैन
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भारद्वाज ने कहा कि भारत में बाढ़ और चक्रवात की तरह ही गर्म हवाओं और सूखे की पूर्व चेतावनी देने की व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने लू की घोषणा की और लोगों को अपडेट करना जारी रखा, लेकिन यह जानकारी बहुत सटीक और जल्दी नहीं दी गई. लोग इससे अनजान थे और उनकी आजीविका प्रभावित हुई.

एक समाधान सुझाते हुए उन्होंने कहा, “गर्मी और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में मजदूरी के नुकसान की भरपाई के लिए अग्रिम मजदूरी या कम से कम मुआवजा देना चाहिए. सूखा घोषित होने के बाद और महीनों बाद काम दिए जाने का इंतज़ार क्यों करें?”

गरीबी का जाल

उदयपुर में मानसून दस्तक दे रहा था, थोड़ी ठंढक थी. लेकिन भूरी के जहन में तपती गर्मी की याद ताजा थी.

असहनीय भीषण गर्मी में भूरी के पेट में तेज दर्द होने लगा. वह अपने लिए पानी और राशन का सामान नहीं ला सकती थी. एक निजी क्लिनिक में 4,000 रुपये खर्च करने के बाद, उसे बताया गया कि उसके गुर्दे में पथरी है.

लू से डीहाइड्रेशन बढ़ता है. अध्ययनों से पता चलता है कि इस वजह से गुर्दे की पथरी होने की घटनाएं बढ़ रही हैं, अन्य कारण भी हो सकते हैं. भूरी को किसी ने नहीं बताया कि उसकी इस बीमारी की वजह गर्मी हो सकती है. उसे आम सलाह दी गई और कहा गया, “अधिक पानी पियो.”

एक समय ऐसा आया जब भूरी के स्वास्थ्य ने तीन बकरियों की देख-भाल करने से जवाब दे दिया. जुलाई की शुरुआत में वह हार मानकर बकरियों को अंतिम विदाई देने के लिए किराए के टेंपो में लाद कर अपनी मां के घर चली गई. उसने अपने आय के कुछ स्रोतों को अपने रिश्तेदारों को दे दिया. गर्मियों के दौरान उसके खर्चे बढ़ गए और सामाजिक-आर्थिक स्थिति बिगड़ गई.

अब भूरी को मनरेगा भी पसंद नहीं आ रहा है. कई असफलताओं के बाद उसे अपने दिन के भोजन के लिए पैसों की ज़रूरत है. मजदूरी के लिए पखवाड़े भर का इंतज़ार उसे भूखा रखेगा. वह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए काम करना पसंद करती है जो दैनिक मजदूरी देता है, भले ही वह थोड़ा कम हो या काम के घंटे अधिक हों.

फिलहाल राजस्थान अगली गर्मियों तक भूरी के साथ अच्छा व्यवहार कर रहा है. उसने कहा, “मेरी हालत ऐसी है कि भले ही शरीर में तकलीफ हो और बाहर भीषण गर्मी हो, मुझे काम करते रहना पड़ता है.”

(साभार- MONGABAY हिंदी)

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