विपक्ष विरोधी और सांप्रदायिक खबरों की होड़ लगाता पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन

दूरदर्शन के करेंट अफेयर कार्यक्रमों के एक आकलन से पता चलता है कि देश का पब्लिक ब्रॉडकास्टर तेजी से अपनी निष्पक्षता और तटस्थता खो रहा है, खुलेआम सांप्रदायिक और विपक्षी विरोधी अभियान का हिस्सा बन रहा है.

   bookmark_add
विपक्ष विरोधी और सांप्रदायिक खबरों की होड़ लगाता पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन
कार्तिक
  • whatsapp
  • copy

विपक्ष की सरकारों पर निशाना

हिन्दू-मुस्लिम के अलावा दो टूक शो में विपक्षी दलों को भी निशाना बनाया जा रहा है. हाल ही में बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया. इसके बाद जदयू ने राजद के साथ मिलकर नई सरकार बना ली. नई सरकार बनते ही नेशनल मीडिया पर बिहार में बेकाबू अपराध की खबरें सुर्खियों में आ गई. तथाकथित जंगलराज की टेलीविज़न डिबेट में वापसी हो गई. डीडी भी कीचड़ में कूद पड़ा. बिहार में जंगल राज की कथित वापसी को लेकर डीडी ने ताबड़तोड़ कई शो किए.

विपक्ष को लेकर कुछ अन्य कार्यक्रम जो दो टूक में किए गए,

ममता का जंगलराज !

बिहार - फिर जंगल राज की ओर?

जो करे कानून पर चोट, अखिलेश क्यों मांगें उनके लिए वोट?

मैदान में अखिलेश, घर में कलेश क्या रंग लायेगा?

केजरीवाल मॉडल वर्ल्ड क्लास झूठ का मॉडल?

10 अगस्त को बिहार में नई सरकार का गठन हुआ और एक दिन बाद श्रीवास्तव ने ‘बिहार- फिर जंगल राज की ओर?’ शो किया. यह कार्यक्रम भी भाजपा के आरोप पर ही किया गया. इसी बीच एबीपी न्यूज़ पर भी रुबिका लियाकत ने शो किया जिसका शीर्षक था, ‘बिहार में 'जंगलराज' की वापसी?’. इंडिया टीवी, ने चलाया Bihar में लौट आया 'जंगलराज'? Patna में अपराधियों के हौंसले बुलंद, दिनदहाड़े छात्रा को मारी गोली’. यहां निजी चैनलों और डीडी में कोई खास अंतर नज़र नहीं आता है.

ऐसे ही पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हमला हुआ तो निजी चैनलों ने भाजपा नेताओं के बयानों के आधार पर पश्चिम बंगाल में जंगलराज की घोषणा कर दी. डीडी भी इसमें पीछे नहीं रहा. उसने भी ममता का जंगलराज! नाम से कार्यक्रम प्रसारित किया.

यूपी चुनाव के समय डीडी न्यूज़ का रवैया पूरी तरह से सत्ता के अंग की तरह रहा. इस पर न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट भी किया था. दरअसल डीडी न्यूज़ यूपी चुनाव को लेकर बनाए गए अपने कार्यक्रम ‘क्या बोले यूपी’ कार्यक्रम में में बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को आम नागरिक के रूप में पेश कर रहा था. यह साफ झूठ डीडी के कार्यक्रमों पर चलाया गया.

प्रसार भारती की वेबसाइट पर ऑल इंडिया रेडियो के प्रसारण का एक पुराना कोड मौजूद हैं. इसके मुताबिक ‘नाम लेकर किसी राजनीतिक दल पर हमला’ करने की मनाही है. जानकार बताते हैं कि पहले यह नियम डीडी न्यूज़ पर भी लागू था. लेकिन मई 2022 में जारी हुए डीडी न्यूज़ के नए प्रसारण कोड में इसका जिक्र नहीं है. इससे एक जरूरी सवाल खड़ा होता है कि क्या विपक्षी दलों पर निशाना साधने की नीयत से यह प्रसारण कोड बदला गया? लेकिन इसका पालन 'दो टूक' में पहले भी नहीं हुआ और अब जब प्रसारण कोड से हट गया तो धड़ल्ले से विपक्ष को निशाना बनाया जाने लगा. ठीक वैसे ही जैसे ज्यादातर निजी चैनल भाजपा के किसी नेता के बयान या प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद करते हैं.

अप्रैल महीने में दो टूक में दिल्ली सरकार को लेकर एक शो हुआ. जिसमें आम आदमी पार्टी द्वारा प्रचारित ‘केजरीवाल मॉडल’ को झूठ का मॉडल बताया गया. इन सब का आधार था, भाजपा के नेताओं द्वारा दिल्ली के अलग-अलग खराब हाल में मौजूद स्कूलों और मोहल्ला क्लिनिक में बनाया गया वीडियो. कार्यक्रम के दौरान श्रीवास्तव अपने पूरे कार्यक्रम में एक कुर्सी खाली रखते हैं और कहते हैं कि केजरीवाल और आप के प्रवक्ता हमारे सवालों से डरकर भाग गए हैं.

डीडी न्यूज़ में लम्बें समय तक काम चुके एक पत्रकार न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘हिंदू-मुस्लिम डिबेट तो डीडी न्यूज़ पर पहले कभी नहीं हुई. यह यहां नई चीज है. दो टूक को छोड़ दें तो शायद ही किसी दूसरे कार्यक्रम में ऐसा आपको नज़र आए. विपक्ष और विपक्ष वाली सरकार को सीधे तौर पर कभी निशाना नहीं बनाया जाता था.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने डीडी न्यूज़ के सलाहकार संपादक और इस कार्यक्रम के होस्ट अशोक श्रीवास्तव से इसको लेकर बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने व्यस्तता का हवाला देकर बात करने से टालमटोल किया. हमने उन्हें लिखित में कुछ सवाल भेजे हैं. अभी तक उनका जवाब नहीं मिला है.

डीडी न्यूज़ में कंटेंट गुणवत्ता तय करने की जिम्मेदारी डायरेक्टर जनरल की होती है. वर्तमान में डायरेक्टर जनरल मयंक कुमार अग्रवाल हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने उन्हें भी कुछ सवाल भेजे हैं. खबर प्रकाशित किए जाने तक उनका भी जवाब नहीं आया है.

Also see
उत्तर प्रदेश चुनाव विशेष: भाजपा, आरएसएस और विहिप कार्यकर्ताओं को पहचान बदल कर दिखा रहा डीडी न्यूज़
‘युवराज ऑफ जंगलराज इन प्रसार भारती’: शशि शेखर वेम्पति और उनके सेनापतियों का साम्राज्य
subscription-appeal-image

Press Freedom Fund

Democracy isn't possible without a free press. And the press is unlikely to be free without reportage on the media.As India slides down democratic indicators, we have set up a Press Freedom Fund to examine the media's health and its challenges.
Contribute now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like