दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस दौर की टेलीविज़न पत्रकारिता अपने सरकार समर्पित चारण गान के अलावा एक और चीज के लिए याद रखी जाएगी. यह टीवी पत्रकारिता का विदूषक काल भी है. आने वाले वक्त में लोग याद करेंगे कि किस-किस तरह के विदूषकों और जोकरों को ख़बर पहुंचाने का बेहद संजीदा काम सौंपा गया था.
इस बीच पेगासस मामले की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी, लेकिन फिर भी मामला ढाक के तीन पात ही है. पेगासस खुलासे में विपक्षी दलों के नेताओं, पत्रकारों, जजों और सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों की जासूसी के आरोप लगे थे.
अपनी मौखिक टिप्पणी में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि भारत सरकार ने टेक्निकल जांच कमेटी के साथ सहयोग नहीं किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को संबोधित करते हुए कोर्ट ने कहा इस कमेटी के साथ भी सरकार का रुख वैसा ही रहा, जैसा सुप्रीम कोर्ट में नजर आया था. इस तरह भारत सरकार यह बताने से साफ-साफ बच रही है कि उसने पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदा है या नहीं.
इसी दौरान कुछ ऐसा भी हुआ जिसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि देश में आज़ाद आवाज़ों का दायरा और सिकुड़ सकता है. अडानी मीडिया समूह ने एनडीटीवी की 29.18 फीसद हिस्सेदारी खरीद ली है. इसके अलावा अडानी समूह ने खुले बाजार से एनडीटीवी की 26 फीसद और हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है. अगर यह होता है तो निकट भविष्य में अडानी समूह के पास एनडीटीवी की 55.18 फीसद हिस्सेदारी होगी. मौजूदा समय में एनडीटीवी की सबसे ज्यादा लगभग 32.27 फीसद हिस्सेदारी राधिका रॉय और प्रणव रॉय के पास है.
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