भारत सरकार पेगासस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रही

जुलाई 2021 में पत्रकारों से जुड़ी एक रिपोर्ट ने मीडिया जगत में खलबली पैदा कर दी थी. रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से 2019 के बीच भारत में 40 से अधिक पत्रकारों पर निगरानी रखी गई.

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सुप्रीम कोर्ट में लंबित पेगासस मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की. बता दें कि इस मामले में टेक्निकल कमेटी द्वारा रिपोर्ट दायर की गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि कमेटी को 29 मोबाइल फोन दिए गए थे, जिनमें से 5 में मैलवेयर है. साथ ही कहा गया कि लेकिन ये नहीं कहा जा सकता है कि जासूसी की गई.

वहीं कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि भारत सरकार पेगासस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रही है.

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक बेंच ने कहा कि तकनीकी समिति ने जो रिपोर्ट की है उसके आधार पर यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि जासूसी की गई. अदालत ने कहा कि वह बिना पूरी रिपोर्ट पढ़ें और टिप्पणी करना नहीं चाहते लेकिन कमेटी ने उन्हें यह बताया, "केंद्र सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया."

बता दें कि बेंच, अदालत अपने द्वारा इस मामले की जांच करने के लिए गठित की गई एक तकनीकी समिति की रिपोर्ट की समीक्षा कर रही है.

अदालत ने बताया कि यह रिपोर्ट तीन भागों में जमा की गई है. दो भाग तकनीकी समिति के हैं जबकि तीसरा भाग सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरवी रविंद्रन की निगरानी कमेटी का है.

अदालत ने कहा कि निगरानी कमेटी वाला भाग उसकी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा. कुछ याचिकाकर्ताओं ने रिपोर्ट के पहले दो भागों की मांग की लेकिन बेंच ने कहा वह उस पर रिपोर्ट को पढ़कर विचार करेगी.

अदालत ने मामले को चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया है.

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