कैसे एक बेटे ने 30 साल बाद अपनी मां के बलात्कारियों को पकड़वाने में मदद की

सविता महज 12 साल की थीं जब उनका बलात्कार हुआ. उसके बलात्कार से पैदा हुए बेटे के डीएनए की जांच से पुलिस को उसके आरोपियों का पता लगाने में मदद मिली.

WrittenBy:निधि सुरेश
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राजू की कहानी

राजू का उसकी मां के पास वापस आने का सफर कठिनाइयों से भरा हुआ है. पैदा होने के बाद उसे सविता के गांव में एक रिश्तेदार को सौंप दिया गया था.

कुछ साल बाद, उसके पालक माता-पिता का एक अपना जैविक बच्चा हो गया और उन्होंने "उसके साथ बुरा बर्ताव करना" शुरू कर दिया, सविता ने कहा. गांव में हर कोई उसकी बीती जिंदगी के बारे में जानता था और जब तक वह कक्षा पांच में पहुंचा तब तक दूसरे बच्चे "उसका मज़ाक उड़ाने लगे और उसे धमकाने लगे.

सविता और उनके पति 2006 में अलग हो गए. उस वक्त राजू 13 साल का था. जब उसकी जैविक मां के तलाक की खबर गांव तक पहुंच गई, तो उसके पालक माता-पिता ने उसे उसकी जैविक मां के साथ रहने के लिए कहा और लखनऊ जाने वाली बस में बैठा दिया.

जब राजू लखनऊ पहुंचा तब सविता 25 साल की थी. वह सविता और उनके बेटे के साथ रहने लगा. अपने काम के साथ- साथ सविता वापस स्कूल जाने लगी और 2010 में उसने कक्षा 12 की परीक्षा पास कर ली और फिर इसके बाद राजनीति में स्नातक की डिग्री भी प्राप्त की.

"मैं दिन में काम करती थी, शाम को बच्चों की देखभाल करती थी, उनसे उनका होमवर्क करवाती थी, उन्हें सुलाती थी और रात में पढ़ाई करती थी," सविता ने बताया. "मुझे पता था कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज है जो मेरे जीवन को बचाए रखेगी."

राजू जैसे-जैसे बड़ा होता गया, वह बार-बार सविता से अपने पिता के बारे में पूछने लगा. "मैं उसे मारती थी और उसे ये पूछने से रोकती थी," सविता ने कहा. “लेकिन वह कहता रहा कि उसे एक उपनाम चाहिए, उसे जानना है. एक दिन मेरे मना करने पर उसने आत्महत्या करने की धमकी दी. इसलिए आखिरकार मैंने उसे बैठाया और सब कुछ बताया कि क्या घटा था. ”

सविता ने बताया कि यह 2019 की बात है जब राजू ने अपनी मां से पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का आग्रह किया.

उसने मुझसे कहा, “अगर तुम यह सब झेलने वाली अकेली ऐसी लड़की न हो तो? हम इतना कुछ क्यों झेल रहे हैं जबकि हमारी कोई गलती नहीं है?" सविता ने कहा. “मुझे डर था कि हमारे रिश्तेदार क्या कहेंगे. लेकिन उसने कहा, “किसी रिश्तेदार ने हमें अब तक आधा किलो चावल भी दिया है? जब सबने तुमसे मुंह मोड़ ही लिया है, तो अब तुम्हें किस बात का डर है?"

उन्होंने आगे कहा, "वो सही था."

जुलाई 2020 में, सविता और राजू ने शाहजहांपुर के लिए बस ली. वह सदर बाजार थाने में गईं और आपबीती सुनाई.

आखिरकार एक एफआईआर

सदर बाजार की पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया.

सविता ने बताया, "मेरे पास उन आदमियों के नाम, या फोटो, या उनके संपर्क से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी. पुलिस ने मुझे बताया कि मामला बहुत पुराना है और कोई सुराग नहीं है."

इसीलिए सविता ने वकील मोहम्मद मुख्तार खान से मुलाकात की. अगस्त 2020 में ये मामले को एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में ले आए. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत (जो कि एक मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने का अधिकार देता है) अदालत ने पुलिस से प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की.

जुर्म के 27 साल बाद 5 मार्च 2021 को सविता के साथ बलात्कार करने के आरोप में दो अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.

एडवोकेट खान ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि अदालत ने इस बात पर विचार किया था कि क्या मामले में पॉक्सो के तहत भी आरोप जोड़े जाने चाहिए?

"आखिरकार, हमने पॉक्सो के आरोप नहीं जोड़े क्योंकि 1994 में कोई पॉक्सो अधिनियम नहीं था," उन्होंने बताया.

इसके बाद पुलिस की जांच शुरू हुई. तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मंगल सिंह ने दोनों आरोपियों की तलाश शुरू की.

"मैं वापस गांव गया लेकिन वो दोनों आदमी फिर से वहां से चले गए," उन्होंने कहा. "कोई नहीं जानता था कि वे कहां थे. वह एक मुस्लिम बस्ती थी और कोई भी वहां हिंदू पुलिसकर्मियों से बात नहीं करता. मुझे पुलिस मित्र (मुखबिरों) की मदद लेकर काम करना पड़ा.”

सविता भी लीड ढूंढने की कोशिश कर रही थी. उन्होंने इंस्पेक्टर सिंह के साथ काम किया और उनकी मेहनत रंग लाई. एफआईआर दर्ज होने के लगभग 25 दिन बाद उन्हें पता चला कि दोनो भाई राजी और हसन शाहजहांपुर में एक कारोबर चला रहे हैं.

शाहजहांपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने कहा, “ये दोनो आदमी ट्रक चलाने का भी काम कर रहे थे और ड्राइवर के रूप में लगातार सफर कर रहे थे और इसलिए उन्हें ट्रैक करना मुश्किल था."

इसी बीच उन आदमियों के ठिकाने के बारे में पता लगाने की उम्मीद में सविता ने शाहजहांपुर में कई मैकेनिक्स की दुकानों का दौरा किया. एक मैकेनिक ने उसे राजी का फोन नंबर दिया. सविता ने उसे फोन और अपना परिचय दिया.

"उसने तुरंत मुझे पहचान लिया और कहा 'ओह, तुम अभी भी जिंदा हो," सविता ने बताया. "मैंने उससे कहा कि मैं जिंदा हूं और अब मरने की बारी उसकी है. फिर मैंने कॉल काट दी. उसने मुझे कई बार वापस कॉल किया लेकिन मैंने कॉल रिसीव नहीं की."

सविता ने वह फोन नंबर पुलिस को दिया. फिर इंस्पेक्टर सिंह ने राजी से संपर्क किया और एक दुर्घटना के मामले के बहाने राजी को थाने में आने के लिए कहा.

शुरुआत में थोड़े असहयोग के बाद आखिरकार राजी और हसन पुलिस स्टेशन में पेश हुए. लेकिन पुलिस अब भी यह साबित करने के लिए जूझ रही थी कि वे ही असल आरोपी थे.

आनंद ने कहा, "इतने पुराने मामले में सबूत इकट्ठे करना ही सबसे बड़ी चुनौती है."

लेकिन राजू मौजूद था.

जून 2021 में पुलिस ने राजू और दो लोगों से डीएनए के नमूने लिए. अप्रैल 2022 में एक जांच के नतीजों से पता चला कि नकी हसन का डीएनए राजू से मेल खाता था - वे पिता और पुत्र थे.

आनंद ने कहा, "मामले को मजबूत किया गया और तब तक दोनों भाई "फरार हो गए." आखिरकार उन्हें हैदराबाद से ढूंढ निकाला गया. राजी को 3 अगस्त और हसन को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था.

राजी के इकबालिया बयान में कहा गया है कि उसने "कभी नहीं सोचा था" कि इतने सालों के बाद यह मामला खोला जाएगा. आनंद ने कहा, “हसन ने भी अपराध कबूल कर लिया है.”

पुलिस हिरासत में नकी हसन.

दोनों व्यक्ति फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. सविता के वकील ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पुलिस उन पर गैंगरेप का भी आरोप लगाएगी.

जहां तक ​​सविता का सवाल है, उसने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि वह चाहती हैं कि उसकी कहानी लोगों को बताई जाए.

"लोग क्या कहेंगे का सवाल जाए भाड़ में" सविता ने कहा. “मैं अपनी लड़ाई और अपने अधिकार के लिए लड़ रही हूं, चाहे कोई कुछ भी कहे. मुझे उम्मीद है कि मेरी कहानी अन्य महिलाओं को बोलने की हिम्मत देगी.”

उन्होंने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि राजू मीडिया से बात नहीं करना चाहता. "उसकी जिंदगी अभी ठीक से शुरू ही हुई है," सविता ने कहा. "उसे शांति से रहने दो."

पहचान छुपाने के लिए पीड़िता और उसके बेटे के नाम बदल दिए गए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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