दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
समूचे आर्यावर्त में प्रचंड हर्ष और उल्लास का माहौल था. गली-कूचे तिरंगे से पट गए थे. आलम ये कि 55 साल तक तिरंगे से बिदकने वाले संघ वाले भी भगवा हटाकर तिरंगे की चपेट में आ गए थे. चहुंदिश तिरंगे को लेकर ढिंचैक टाइप माहौल था. इसी पर इस हफ्ते का संजय-धृतराष्ट्र संवाद.
खबरिया चैनलों ने अपने पतन की महागाथा में पिछले हफ्ते एक और अध्याय लिखा. भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी ने एक महिला के साथ खुलेआम गालीगलौज की. बदसलूकी की. इस व्यक्ति के भाजपा से रिश्ते के अनगिनत सबूत और गवाह मौजूद हैं. इतने स्पष्ट सबूतों के बावजूद भाजपा वालों ने अपना पल्ला झाड़ लिया. और इसके बाद फिल्मसिटी की बैरकों में बैठे हुड़कचुल्लुओं ने भाजपा की तरफ से मोर्चा संभाल लिया.
खबरिया चैनलों के ध्यान मोड़ो अभियान में बहन रूबिका लियाकत और एबीपी न्यूज़ ने जिस थेथरई का मुजाहिरा किया वह प्लांट पत्रकारिता का बदसूरत नमूना है. इन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया. स्टिंग भाजपा के गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग का है. यह स्टिंग ऑपरेशन का विकृत और हास्यास्पद नमूना है.