दक्षिणपंथी वेबसाइट्स लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन जैसी फिल्मों का बहिष्कार करने का आह्वान क्यों कर रही हैं.
52 वर्षीय शशिकांत मुकाती पिछले नौ दिनों से अपनी मारुति 800 में इंदौर की सड़कें छानते हुए राहगीरों को अपने कार की पिछली विंडशील्ड पर चिपके पोस्टर को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस पोस्टर पर हिंदी में लिखा है, "हमारे देश को बदनाम और देश के विरुद्ध बोलने वालों की पिक्चर का बायकाट किया जाए. जो लोग फिल्मों में हिंदू को नीचा दिखाए, हिंदू देवताओं की हंसी उड़ाए, उनकी फिल्में नहीं देखें."
शशिकांत हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को "आहत" करने वाली बॉलीवुड फिल्मों के खिलाफ चल रहे अभियान के एक पैदल सिपाही हैं.
मुकाती के निशाने पर फॉरेस्ट गंप की रीमेक लाल सिंह चड्ढा है. इस फिल्म में वही आमिर खान हैं, जिनके द्वारा 2015 में भारत में बढ़ती असहिष्णुता पर की गई उनकी टिप्पणियों को उनकी फिल्मों का बहिष्कार करने के आह्वान के बीच सोशल मीडिया पर फिर से ढूंढ निकाला गया. 2017 में तुर्की के "हिंदूफोबिक" राष्ट्रपति के साथ उनकी मुलाकात और 2014 में आई उनकी फिल्म पीके के लिए भी आमिर खान की आलोचना की गई थी. फिल्म पीके में कथित तौर पर हिंदू देवताओं का "मजाक" उड़ाया गया था.
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