डीजे और बैंड-बाजे के साथ छतरपुर जिला प्रशासन ने गिराए लोगों के घर और फार्म हाउस

बुलडोजर चलाने से पहले जमकर शोर-शराबा किया गया, प्रशासन ने बाकायदा डीजे और ढोल नगाड़े के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया.

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बातचीत में वो सोनू के आपराधिक अतीत की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, “पहले उसने जो भी किया हो, लेकिन 10 साल से उसने सब कुछ छोड़ दिया था. किसी भी तरह का लड़ाई, झगड़ा कुछ भी नहीं था. फिर भी उसका फार्म हाउस और पन्ना नाके वाला मकान प्रशासन ने गिरा दिया. बिना किसी सूचना या नोटिस के.”

बहन के मुताबिक आधी रात में पन्ना नाके वाले मकान पर पुलिस गई, और वहां पर रह रहे किरायेदारों से मकान खाली करने को बोला. हमें उनसे सूचना मिली कि मकान गिराया जा रहा है और सुबह होते ही मकान ढहा दिया गया.

इस समय सोनू स्टोप जेल में है. हमने उनकी बहन से पूछा कि आप लोगों ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की? उन्होंने बताया, “मेरा भाई जेल में है. घर में सिर्फ महिलाएं हैं. मेरी भाभी अकेली हैं इसलिए वह मेरे साथ रहती हैं. हम नहीं चाहते कि हमारे दूसरे भाइयों के ऊपर भी कार्रवाई हो.”

सोनू स्टोप के पूरे परिवार को डर है कि जिस घर में वो लोग फिलहाल रह रहे हैं, कहीं उसे भी न ढहा दिया जाय. इसलिए उन्होंने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा. क्योंकि यह मकान गिरने की स्थिति में वो लोग सड़क पर आ जाते. हमने बातचीत के अंत में उनकी फोटो लेनी चाही, लेकिन उन्होंने जेल में बंद अपने भाई की सुरक्षा के मद्देनजर इससे इंकार कर दिया.

सोनू स्टोप के भाई राजनीति से जुड़े रहे हैं. इसी तरह भैया कार्टन खुद बसपा के नेता हैं. वो बसपा से 2018 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. शहर में उनका दबदबा और पहचान है.

इस मामले की जानकारी में सरकारी पक्ष को समझने के लिए हमने छतरपुर नगर पालिका के प्रमुख, वहां के विधायक, एसपी सचिन शर्मा और डीएम संदीप से संपर्क किया. साथ में छतरपुर भारतीय जनता पार्टी की इकाई के अध्यक्ष से भी मिलने का प्रयास किया. लेकिन इनमें से जिलाधिकारी और भाजपा विधायक ने हमसे बात नहीं की. नगरपालिका अध्यक्ष ने सिर्फ इतना कहा कि “पुलिस का मामला है, वहां से आपको पता चल सकता है. जिसके भी घर गिराए गए होंगे वह अवैध रहे होंगे. अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो आरटीआई डालिए.” उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा वो कुछ नहीं बता सकते.

हम छतरपुर सदर के विधायक आलोक चतुर्वेदी से भी मिले. उन्होंने संक्षेप में कहा, “आपराधिक लोगों के मकान गिराए गए होंगे. इसके पहले भी छतरपुर जिले में अपराधियों के मकान गिराए गए हैं. अगर किसी ने गलत किया है तो उसका खामियाजा उनको भरना पड़ेगा. बाकी जानकारी नहीं है.”

नगर पालिका अध्यक्ष ओमपाल सिंह ने जानकारी दी कि नगर पालिका की तरफ से जो भी शहर में आते हैं, उन्हें नोटिस जारी किया गया लेकिन उस नोटिस को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया. काफी समय देने के बाद लोगों के मकान गिराए गए, और वो आपराधिक किस्म के थे. उनके अवैध कब्जे थे.

हमने उनसे पूछा कि लोगों का आरोप है कि बिना नोटिस के मकान गिराए गए हैं. क्या ऐसा कोई नियम है? ओमपाल सिंह कहते हैं, “इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है लेकिन शायद रेवेन्यू के तहत ऐसा कानून है. लेकिन जो मकान गिराए गए हैं वह ला एंड आर्डर को मेंटेन नहीं करने वालों के हैं.”

क्या किसी का घर गिराते समय प्रशासन को बैंड-बाजा और डीजे आदि बजाना चाहिए? इस पर ओमपाल कहते हैं, “गाजे-बाजे से कोई लेना देना नहीं है. डीजे के साथ इसलिए गिराए गए हैं ताकि लोगों को पता चले. और उसमें यही बोला जा रहा था कि जिन लोगों ने क्राइम किया है, उनके मकान गिराए जा रहे हैं.”

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