मनरेगा योजना के अंतर्गत काम करने वाले मजदूर दिल्ली में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें कम काम, देरी से वेतन और कम वेतन के चलते उनकी जिंदगी दिन पर दिन बदहाल होती जा रही है.
अलग-अलग प्रदेशों से आए मनरेगा के मजदूरों ने तीन दिन तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर कम वेतन, वेतन भुगतान में देरी और काम की कमी को लेकर प्रदर्शन किया.
हमने बिहार, राजस्थान, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक से कई दिन का सफर तय करके आए मजदूरों से मिलकर, उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005, भारत सरकार के द्वारा काम करने के अधिकार के मद्देनजर चलाई जाने वाली रोजगार की गारंटी देने की योजना है. इसके अंतर्गत एक परिवार के कम से कम एक सदस्य को 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित होता है. लेकिन मजदूरों का आरोप है कि उन्हें वेतन मिलने में दो सप्ताह से लेकर एक साल तक की देरी होती है.
इस समय देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, इसके बावजूद इस वर्ष के बजट में नरेगा के बजट को 25 फीसदी घटा दिया गया.
साथ ही मजदूर हाल ही में लाए गए राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी सॉफ्टवेयर एप को लेकर भी चिंतित हैं, जिस पर उन्हें दिन में दो बार हाजिरी लगाना जरूरी है. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उनकी हाजिरी और उस दिन के काम को नहीं गिना जाएगा. ग्रामीण इलाकों में डिजिटल साक्षरता और तकनीकी समझ का अभाव है, जो इस एप से मजदूरों के लिए कई समस्याएं कड़ी कर सकता है .
बेरोजगारी और महंगाई की दोहरी मार ने मनरेगा मजदूरों के लिए गुजर-बसर करना मुश्किल बना दिया है.