उत्तर प्रदेश में 2017 से 30 जून 2022 के बीच 4,287 रोजगार मेले लगाए गए. इस दौरान 6 लाख 31 हजार 502 अभ्यर्थियों का चयन हुआ. इस नजरिए से हरेक रोजगार मेले में महज 147 युवाओं का ही चयन हुआ.
सरकार रोजगार मेले लगाने का दावा तो करती है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि इन मेलों में कंपनियां ही नहीं पहुंचती हैं. बीते जुलाई महीने में हमीरपुर के आईटीआई कैंपस में एक रोजगार मेला लगा जिसमें कई कंपनियां आने वाली थीं, लेकिन कोई नहीं आई. ऐसे में मेले में आए युवाओं के फॉर्म जमा करा लिए गए.
महराजगंज जिले के रामकेश कुमार यादव ने ग्रेजुएशन के साथ आईटीआई से इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण भी लिया है. 2018 में उन्होंने “सेवायोजन पोर्टल” पर रजिस्ट्रेशन किया था जिसके बाद उन्हें गोरखपुर में आयोजित रोजगार मेले में बुलाया गया.
रामकेश बताते हैं, ‘‘अपने आसपास के कुछ लड़कों के साथ मैं भी रोजगार मेले में गया. वहां कई कंपनियां थीं. कुछ ने मौखिक तौर पर तो कुछ ने फॉर्म जमा करा कर बोला कि आपको कॉल किया जाएगा. मेरा भी फॉर्म एक कंपनी ने लिया लेकिन उनका कभी फोन नहीं आया.’’
रामकेश रोजगार मेले को ड्रामा बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘रोजगार मेले में कंपनियां सरकार के दबाव में आ तो जाती हैं, लेकिन रोजगार नाम मात्र के मिलते हैं. वे जानबूझकर कम वेतन देने की बात करते हैं. काम के अनुरूप वेतन नहीं देते. ऐसे में जिनका चयन होता है वो भी नहीं जाते हैं. रोजगार मेला बस दिखावापन है.’’
जहां एक तरफ युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही, वहीं दूसरी तरफ सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में रोजगार की कोई कमी नहीं है और बेरोजगारी दर में गिरावट आई है. 2021 में इंडिया स्पेंड पर प्रकाशित खबर के मुताबिक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में बेरोजगारी दर 2.4 प्रतिशत थी, जो कि नवंबर 2021 में 4.8 प्रतिशत हो गई.
साईएमआईई के ही आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा ग्रेजुएट बेरोजगारों के मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है. यहां ग्रेजुएशन तक पढ़ाई कर चुके 13.89 लाख युवा बेरोजगार हैं. इस सूची में पहले नंबर पर राजस्थान और तीसरे नंबर पर बिहार है.
युवाओं के रोजगार के लिए संघर्ष करने वाले संगठन “युवा हल्ला बोल” के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम, सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ें को शक की निगाह से देखते हैं.
अनुपम कहते हैं, ‘‘26 लाख तो लोगों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा लिया, लेकिन लाखों लोग ऐसे हैं जिनको पोर्टल की जानकारी तक नहीं है. उन्हें कहीं काम नहीं मिल रहा. दूसरी बात, सरकार कह रही है कि छह लाख लोगों को रोजगार मेले के जरिए काम मिला है. सरकार को बताना चाहिए कि ये रोजगार कहां दिए गए."
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने कहा कि हमने 4 लाख 75 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी दी है. युवा हल्ला बोल के एक साथी ने आरटीआई से जानकारी मांगी कि यह नौकरियां किन विभागों में दी गई हैं, विभागवार जानकारी साझा करें. उसका जवाब आया कि ऐसा कोई आंकड़ा हमारे पास उपलब्ध नहीं है. यह सरकार सिर्फ नौकरी देने का विज्ञापन कर रही है, जबकि जमीन पर हालात बेहद खराब हैं.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर को इस रिपोर्ट से संबंधित कुछ सवाल भेजे हैं. उनकी ओर से कोई भी जवाब आने पर इस खबर में जोड़ दिया जाएगा.
यह हाल सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार का नहीं है. बीते दिनों लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि 2014 से 2022 तक सरकारी नौकरी के लिए कुल 22.05 करोड़ लोगों ने आवदेन दिया था, जिसमें से 7 लाख 22 हजार 311 लोगों की नियुक्ति हुई है
बता दें कि एक मार्च 2021 तक केंद्र सरकार के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों में 9 लाख 79 हजार 327 पद रिक्त हैं.