हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा के इस अंक में द्रौपदी मुर्मू के अगली राष्ट्रपति बनने, मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, जीएसटी काउंसिल के आटा, दाल-चावल पर लगाया 5 फीसदी जीएसटी, रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, 80 रुपए का हुआ एक डॉलर, हरियाणा में अवैध खनन माफिया ने की डीएसपी की हत्या और साल 2021 में 1.63 लाख भारतीय ने छोड़ी नागरिकता जैसे विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, पत्रकार ह्रदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने श्रीलंका में राष्ट्रपति चुने जाने से चर्चा की शुरुआत करते हुए कहते हैं, “मई महीने के बाद से श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन से हालात बेकाबू हो गए. जिसके कारण पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे गोटबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा और नए राष्ट्रपति चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे की जीत हुई.”
स्मिता से सवाल पूछते हुए अतुल कहते हैं, “आप वहां के घटनाक्रम पर काफी समय से नजर बनाए हुए हैं. आप हमारे श्रोताओं को बताएं कि अभी श्रीलंका में राजनीतिक हालात कैसे हैं?”
स्मिता कहती हैं, “भारत में तो राष्ट्रपति चुनाव स्थाई राजनीतिक प्रक्रिया के तहत हुए, लेकिन श्रीलंका में ऐसा नहीं है. मई के बाद जो परिस्थितियां बनीं उसके कारण वहां नए राष्ट्रपति का चुनाव हुआ है. रानिल विक्रमसिंघे 6 बार प्रधानमंत्री रह चुके है और पहली बार राष्ट्रपति चुने गए. उन्हें श्रीलंका की राजनीति में ‘द फॉक्स’ कहा जाता है. वह जानते हैं कि सर्वाइव कैसे किया जाता है. श्रीलंका में राजपक्षे तो चले गए लेकिन उन्होंने विक्रमसिंघे को वहां बैठा दिया है इसलिए जनता उन्हें पसंद नहीं करती. श्रीलंका में हालात अभी ठीक नहीं है और यह बहुत जल्द ठीक भी होने वाला है, यह विरोध फिर से भड़क सकती है.”
स्मिता आगे कहती हैं, “राजपक्षे का पूरा परिवार ही सत्ता पर काबिज था. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री सभी महत्वपूर्ण मंत्री पद एक ही परिवार के पास है. इससे लोगों को समझ आया की श्रीलंका का पूरा धन इनके पास ही है. इस परिवार ने मुस्लिम, ईसाई और लोगों को बांटा है. श्रीलंका में अर्थव्यवस्था बहुत खराब है, सरकार के पास फॉरेन रिजर्व नहीं है. आईएमएफ से फंड को लेकर बातचीत हो रही है, ऐसे समय में चुनाव कराना संभव नहीं है इसलिए वहां की सरकार चाहती है कि उसे थोड़ा समय मिले, परिस्थिति ठीक हो तो देश में चुनाव हो.”
हृदयेश अपनी टिप्पणी करते हुए को सोलर एनर्जी के लिए 10 करोड़ डॉलर देने की बात कही थी. क्योंकि श्रीलंका का कहना है कि वह 2030 तक अपनी 70 प्रतिशत एनर्जी सोलर से बनाएंगे. अभी जो स्थिति स्मिता बता रही हैं उससे साफ लग रहा है कि उनकी ज्यादातर एनर्जी पुराने तरीकों से ही बनाए जा रहे है.”
शार्दूल इस विषय पर कहते हैं, “राजपक्षे ने पूरे देश में जैविक खेती लागू कर दिया जिससे वहां के कृषि क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. ऐसे जैविक खेती एकाएक लागू कर देना किसी के लिए भी सही नहीं है और दूसरी बात उससे पैदावार भी कम हो जाती है. श्रीलंका में जब से विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तब से चीन गायब है. लोगों के विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण राजपक्षे परिवार का भ्रष्टाचार है. इस परिवार से रानिल विक्रमसिंघे और वहां के नए प्रधानमंत्री जुड़े रहे हैं इसलिए लोगों को इनपर भरोसा नहीं है.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. साथ में राष्ट्रपति चुनी गई द्रौपदी मुर्मू पर भी बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
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स्मिता शर्मा
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प्रोड्यूसर- रौनक भट्ट
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
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