“छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकारों को आंदोलन स्थल पर जाने भी नहीं देती”: भूमकाल संपादक कमल शुक्ला

कमल बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करना पहले से भी ज़्यादा कठिन हो गया है. भूपेश बघेल सरकार आने के बाद राज्य में 100 से अधिक पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं.

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भूमकाल समाचार के संस्थापक और संपादक कमल शुक्ला छत्तीसगढ़ के बस्तर में राज्य के शासन से संबंधित रिपोर्ट्स करते हैं. सितंबर 2020 में, कमल शुक्ला पर बस्तर में अवैध रेत खनन पर रिपोर्टिंग करने के लिए संदिग्ध कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया था.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करना कितना कठिन है, और यहां पत्रकारों को किन चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है, इन मुद्दों पर न्यूज़लांड्री के रिपोर्टर आयुष तिवारी ने कमल शुक्ला से बातचीत की.

बातचीत के दौरान कमल बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करना पहले से भी ज़्यादा कठिन हो गया है. भूपेश बघेल सरकार आने के बाद 100 से अधिक पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं और एक पत्रकार पर तो केवल इसलिए राजद्रोह लगा दिया गया क्योंकि उन्होंने बिजली विभाग के खिलाफ रिपोर्ट की थी.

कमल का कहना है कि छत्तीसगढ़ की नई सरकार भी पिछली राज्य सरकार की ही नीतियों पर चल रही है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में वनों की कटाई को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. कमल बताते हैं कि किसान जिन इलाकों में आंदोलन कर रहे हैं, वहां पत्रकारों को जाने भी नहीं दिया जा रहा है.

राजद्रोह कानून पर केंद्र सरकार के बदले सुरों पर शुक्ला विश्वास नहीं करते, उनके मत में यह केंद्र सरकार आज़ादी के बाद की सबसे झूठी सरकार है. कमल ने राजद्रोह क़ानून के दुरूपयोग और पत्रकारिता के गिरते स्तर समेत अन्य कई मुद्दों पर विस्तार से बात की.

सुनिए पूरी बातचीत.

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