आरटीआई: 26,518 आवदेन केंद्रीय सूचना आयोग में लंबित

यह जानकारी केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी की सांसद इरन्ना कडाडी के सवालों के जवाब में दी.

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गुरुवार 21 जुलाई को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 18 जुलाई 2022 तक सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर 26,518 अपील और शिकायतें केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के पास मंजूरी के लिए लंबित हैं.

यह जानकारी केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद इरन्ना कडाडी के सवालों के जवाब में दी.

वहीं विशेष रूप से कर्नाटक से लंबित मामलों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के आवेदनों पर राज्यवार डेटा संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जाता है.

सरकार ने आरटीआई आवेदनों को निपटाने में हो रही देरी के आकलन, और उसके सुधार के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. बता दें कि आरटीआई आवेदनों की निपटान दर लंबे समय से ख़राब स्थिति में है.

कडाडी ने सवाल किया कि क्या आरटीआई आवेदन ऑनलाइन किए जा सकते हैं? मंत्री ने जवाब में बताया कि कोई भी आवेदक ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकता है. इसके अलावा उन्होंने बताया, "सभी राज्यों से ऑनलाइन आरटीआई के कार्यान्वयन की व्यवहार्यता का पता लगाने का अनुरोध किया गया था. राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से ऑनलाइन आरटीआई आवेदन फाइल करने वाले वेब पोटर्ल को राज्य स्तर पर प्रतिरूपित करना चाह रही राज्य सरकारों को सॉफ्टवेयर और 'सोर्स कोड' जैसी तकनीकी सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया गया है."

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वहीं एक दिन पहले लोकसभा में सरकार ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमलों के बारे में किए गए प्रश्न पर कहा था कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमलों का सरकार के पास कोई ब्यौरा नहीं हैं.

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में बताया कि आरटीआई एक्ट (2005) में आरटीआई कार्यकर्ताओं का कोई उल्लेख नहीं है, और आरटीआई कार्यकर्ता भी देश के अन्य नागरिकों के ही समान हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के संबंध में कोई आंकड़े प्रकाशित नहीं करता.

राय ने यह जानकारी देते हुए आगे कहा, "भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत 'पुलिस और लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं.आरटीआई कार्यकर्ता भी देश के नागरिक हैं और आरटीआई कार्यकर्ताओं सहित सभी नागरिकों के लिए सुरक्षा प्रदान करना राज्य सरकार का दायित्व है."

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमले चिंताजनक रूप से बढे हैं. द हिन्दू की एक खबर के अनुसार केवल बिहार में पिछले 11 सालों में 20 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है. वहीं फरवरी 2021 की स्क्रोल की एक रिपोर्ट बताती है कि 2005 में आरटीआई एक्ट बनने के बाद से 172 हमलों और 185 धमकी व उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक़ आरटीआई कार्यकर्ताओं पर सबसे ज्यादा हमले महाराष्ट्र में हुए हैं. 2005 के बाद से राज्य में 16 कथित हत्याएं, 36 हमले और 41 उत्पीड़न या धमकी के मामले दर्ज किए गए हैं.

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