ग्राउंड रिपोर्ट: क्यों नहीं है ट्रांसजेंडर के लिए हेल्पलाइन नंबर?

ट्रांसजेंडर सामाजिक बहिष्कार के चलते अपने परिवार से अलग रहते हैं. उनकी पहचान के कारण उन्हें नौकरी मिलने में मुश्किलें आती हैं.

Article image
  • Share this article on whatsapp

किसी ट्रांसजेंडर को सड़क पर देखकर हम गाड़ी के शीशे चढ़ा लेते हैं. उन्हें भद्दी गालियां देते हैं. उनके अलग दिखने की वजह से हम उनका तिरस्कार करते हैं. ये लोग हमेशा से हमारे समाज का हिस्सा रहे हैं लेकिन दबे, सहमे, छुपे और घबराए हुए. ना पुलिस और ना कोई सरकारी तंत्र है जो ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ इनकी मदद कर सके. वहीं मेट्रो, बस हर जगह जहां महिला हेल्पलाइन नंबर लिखा रहता है वहां ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए जगह अब भी खाली है.

23 वर्षीय शोभा की तबीयत कई महीनों से खराब चल रही थी. उनकी कोई सुनने वाला नहीं था. वो घर पर अकेली अपना इलाज कर रही थीं. अगस्त में जब उनकी बीमारी और ज्यादा बढ़ गई तब उन्होंने एनजीओ से संपर्क करना शुरू किया. कम्युनिटी एम्पावरमेंट ट्रस्ट ने शोभा की मदद की. इलाज में पाया गया कि शोभा को एचआईवी है.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

वहीं सुशीला केवल 18 साल की थीं. मानसिक उत्पीड़न के कारण इस साल अगस्त में उन्होंने अपने कमरे में फांसी लगा ली.

ट्रांसजेंडर सामाजिक बहिष्कार के चलते अपने परिवार से अलग रहते हैं. उनकी पहचान के कारण उन्हें नौकरी मिलने में मुश्किलें आती हैं. इसके चलते उन्हें रेड लाइट पर भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ता है. ऐसे में राह चलते लोग उन्हें छेड़ते, घूरते और अभद्र गाली देते हैं. यही नहीं, मेट्रो, बस और बाकी सार्वजनिक जगहों पर उनके साथ बदतमीज़ी और छेड़छाड़ होती है.

सरकारी राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर हेल्पलाइन नंबर ना होने के कारण ट्रांसजेंडरों की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है जहां वो शिकायत कर सके.

Also see
article imageनरसिंहानंद सरस्वती एंड गैंग: महिला और मुसलमान इनका पसंदीदा शिकार हैं
article imageमहिलाएं कैसे तालिबान का पहला और आसान शिकार बनीं?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like