सुचेता दलाल का कहना है कि वह मीडिया के द्वारा खुद पर सवाल उठाए जाने को लेकर अचंभित हैं, जबकि उन्होंने बीते वर्षों में कई घोटालों को उजागर किया है.
17 जुलाई शनिवार को सीबीआई ने वरिष्ठ पत्रकार सुचेता दलाल से कोलोकेशन घोटाले के संबंध में पूछताछ की. सुचेता दलाल ने रविवार रात इसे लेकर अपना एक विस्तृत वक्तव्य ट्विटर पर जारी किया. उनका कहना है की सीबीआई ने उन्हें इसलिए समन किया, क्योंकि 2015 में उन्हीं ने अपनी रिपोर्ट में इस घोटाले को उजागर किया था.
सुचेता इस समय मनीलाइफ मैगज़ीन की मैनेजिंग एडिटर हैं. वक्तव्य जारी करने के पीछे की वजह को लेकर उन्होंने कहा, "सीबीआई के द्वारा की गई पूछताछ को लेकर एक मीडिया हाउस की तरफ से मुझसे लिखित में सवाल पूछे गए."
दलाल ने कहा, "मैं इस बात को लेकर कौतूहल में हूं कि मीडिया द्वारा उस पत्रकार के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसने बीते वर्षों में कई घोटालों को उजागर किया. जिनमें से एक कोलोकेशन घोटाला भी है."
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज कोलोकेशन घोटाला, शेयर बाजार में कथित "हेरफेर" से संबंधित है. इस मामले की शुरुआत 2015 में हुई जब "केन फोंग" नाम के व्हिसलब्लोअर ने पहली बार एनएसई में अनियमितताओं के बारे में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड या सेबी से शिकायत की थी.
2015 में जब दलाल ने इस पर रिपोर्ट की तो एनएसई ने मनीलाइफ के खिलाफ 100 करोड़ रुपए का मानहानि का मुकदमा दायर किया था. एनएसई ने बाद में यह मुकदमा वापस ले लिया.
इस बीच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने कई शीर्ष के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की, जिसमें एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण भी शामिल थीं. इस घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में, सीबीआई एनएसई के कर्मचारियों के फोन "अवैध रूप से टैप किए जाने" की भी जांच कर रही है.
जारी किए गए अपने बयान में दलाल ने कहा कि उनसे "अधिकांश प्रश्न", "केन फोंग" के बारे में पूछे गए.
वे वक्तव्य में कहती हैं, "मुझसे पूछा गया था कि क्या मैं जानती हूं कि केन फोंग कौन हैं. मुझे नहीं पता कि वह कौन है और मैंने इस बात को दृढ़ता से कहा. मुझसे लेख लिखने से पहले और इसे प्रकाशित करने के निर्णय की प्रक्रिया के बारे में भी पूछा गया. और क्या लेख लिखने से पहले मैंने एनएसई का दौरा करने की चेष्टा की थी? इस पर मैंने उन्हें ध्यान दिलाया कि कोलोकेशन ट्रेडिंग, अत्याधुनिक कंप्यूटरों में होती है और वहां मेरे लिए बाहर से देखने को कुछ भी नहीं होता."
उनके बयान में यह भी कहा गया, "पत्रकारिता में तथ्यों की पुष्टि करने की सामान्य प्रक्रिया का पालन करने के बाद इसे प्रकाशित करने का निर्णय पूरी तरह से मेरा था."