मध्यप्रदेश: बीजेपी की शिकायत पर जिला प्रशासन ने बंद कराए दो न्यूज़ चैनल

रतलाम के जिला प्रशासन ने भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष की शिकायत पर दो केबल ऑपरेटरों के दफ्तर को सील कर दिया.

Article image

संतोष जाट कहते हैं, “जिला निगरानी समिति भी है जो चुनावों के समय टीवी चैनलों के कवरेज को देखती है. लेकिन उस समिति ने हमें कवरेज को लेकर कभी कोई नोटिस नहीं दिया.”

प्रेस क्लब के अध्यक्ष मुकेश जिला निगरानी समिति सदस्य हैं. इस समिति में जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम और पीआरओ के अलावा एक पत्रकार सदस्य होता है.

मुकेश कहते हैं, “इन दोनों चैनलों की कवरेज की जांच किए बिना ही यह कार्रवाई की गई. यह मीडिया को दबाने की कोशिश है.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने शिकायतकर्ता बीजेपी जिला अध्यक्ष लुनेरा से उनका पक्ष जाना. वे कहते हैं, “दोनों केबल ऑपरेटर पूरी तरह एकपक्षीय ख़बरें दिखा रहे थे जिसकी शिकायत पार्टी द्वारा कलेक्टर से की गई थी. शहर में काम कर रहे दोनों केबल ऑपरेटर कांग्रेस के करीबी हैं.”

कृष्णा रावत कहते हैं, “प्रशासन की कार्रवाई दवाब में की गई है. क्योंकि 10 जुलाई को बीजेपी अध्यक्ष शिकायत करते हैं, उसी दिन हमें नोटिस जारी किया जाता है. उस जवाब को स्वीकार किए बिना ही हम पर कार्रवाई कर दी जाती है.”

रतलाम के जिलाधिकारी नरेंद्रराज सूर्यवंशी इस पूरे मामले का एक नया पक्ष हमारे सामने रखते हैं. उनके मुताबिक केबल चैनलों का ऑफिस सील ही नहीं किया गया. सिर्फ एसडीएम पूछताछ के लिए उनके दफ्तर गए थे.

वो कहते हैं, “दोनों चैनल कांग्रेस प्रत्याशी के रिश्तेदारों द्वारा संचालित हैं और उन्होंने स्वीकार किया कि वे एकतरफा कवरेज कर रहे थे. उन्होंने वादा किया कि आगे से ऐसा नहीं करेंगे. उनके साथ कई पत्रकार भी मौजूद थे. इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.”

जिलाधिकारी कहते हैं, “ऑपरेटरों के द्वारा न्यूज़ चैनल चलाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन यह समदर्शी भाव से होना चाहिए. हमने एक अन्य पत्रकार को भी एकपक्षीय ख़बरें दिखाने के लिए नोटिस दिया है.”

क्या यह कार्रवाई बीजेपी नेता के दबाव में की गई? इस पर सूर्यवंशी कहते हैं, “कांग्रेस ने भी हमें कई शिकायतें की हैं. उस पर भी हमने कार्रवाई की है. वह मौखिक शिकायत करते हैं, जबकि बीजेपी अध्यक्ष ने लिखित शिकायत दी थी.”

दोनों चैनल 11 जुलाई से बंद है. क्या प्रशासन ने चैनल को बंद करने के लिए कहा है? इस सवाल पर कृष्णा रावत कहते हैं, “हम पर दवाब बनाया गया कि चैनल को चुनाव परिणाम तक बंद रखना है. अगर दवाब नहीं होता तो हम क्यों बंद करते. वैसे हमें संतोष है कि हमारा केबल नेटवर्क चल रहा है जिससे जनता को दिक्कतें नहीं हो रही हैं. हम परिणाम के बाद अपना चैनल फिर से चालू कर लेंगे.”

वही संतोष जाट कहते हैं, “हमने प्रशासन से मुलाकात कर फिर से चैनल शुरू करने की बात की है, जैसे ही वह स्वीकृति मिलेगी, हम शुरू कर देगें.“

Also see
article imageदिल्ली मीडिया के ‘बाढ़ जिहाद’ को असम सरकार और स्थानीय मीडिया ने कैसे किया नाकाम
article imageहम मीडिया पर रिपोर्ट क्यों करते हैं?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like