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एनएल चर्चा 222: रोहित रंजन, मोहम्मद जुबैर, ट्विटर की याचिका और फिल्म काली के पोस्टर पर विवाद

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

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एनएल चर्चा के इस अंक में केंद्रीय एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल करने के विषय पर प्रमुखता से बातचीत की गई. साथ में ज़ी न्यूज के एंकर रोहित रंजन के पीछे दो राज्यों की पुलिस और उनके मामले को सुप्रीम कोर्ट के बिना याचिका दायर किए लिस्ट करने, फिल्म निर्माता लीना मनिमेकलाई के खिलाफ दर्ज केस, भारत सरकार के खिलाफ ट्विटर के ओर से दायर याचिका, टाइम्स ग्रुप के शीर्ष अधिकारियों का ईडी के द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया जाना, मणिपुर में लैंडस्लाइड, जून में रिकॉर्ड स्तर पर बेरोजगारी दर, गैस सिलेंडर के दाम में 50 रुपए की बढ़ोतरी, सीतापुर में दर्ज मामले में मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत और जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या जैसे विषयों का भी जिक्र हुआ.

चर्चा में इस हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार ह्रदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत ज़ी न्यूज के एंकर रोहित रंजन द्वारा राहुल गांधी के बयान को तोड़ मरोड़ कर दिखाने के मामले से की. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एंकर को गिरफ्तारी से राहत दे दी है. हृदयेश से सवाल पूछते हुए अतुल कहते हैं, “जो परिस्थिति आई, वह किसी के साथ भी हो सकती थी? या यह मानवीय भूल थी. टीवी न्यूज़ में कई बार चीजों को बदला भी जाता है, तो क्या-क्या परिस्थितियां हो सकती है, यह बाद हमारे श्रोताओं को यह बताइए.”

हृदयेश जवाब देते हुए कहते हैं, “टीवी में जो काम होता है वह हाई प्रेशर काम होता है खासकर लाइव शो में. लेकिन जो रोहित रंजन शो कर रहे थे वह लाइव न्यूज़ नहीं था. ऐसे शो के लिए पैकेज तैयार करने का काम पहले हो जाता है, वह बस एंकरिंग लाइव कर रहे थे. इसके बावजूद कई बार चैनल ने माफी मांगी है. कांग्रेस पार्टी के तेवर देखकर लग रहा है कि उन्हें लगने लगा है कि सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया के माध्यम से उनकी पार्टी और राहुल गांधी को टारगेट किया जा रहा है. इसलिए अब वह चुप नहीं बैठेंगे.”

शार्दूल कहते हैं, “पहली बात तो ये है कि इस तरह की एफआईआर दर्ज कैसे हो जाती है? दूसरी बात पत्रकार को गिरफ्तार करना सही नहीं है. जिस तरह से कांग्रेस पार्टी पत्रकारों के खिलाफ रुख अपना रही है. वह सामाजिक जीवन और राजनीतिक परिवेश के लिए सही नहीं है.”

इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. साथ में ट्विटर द्वारा दायर याचिका और काली के पोस्टर पर मचे विवाद पर भी बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

टाइम कोड

00:00 - 02:24 - इंट्रो और जरूरी सूचना

02:24 - 07:57 - हेडलाइंस

07:57 - 24:50 - ट्विटर द्वारा भारत सरकार के खिलाफ दायर याचिका

24:50 - 48:20 - रोहित रंजन और जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक और सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही

48:20 - 01:01:50 - काली के पोस्टर पर मचा विवाद

01:01:50 - 01:14:51 - असम बाढ़ और मणिपुर में लैंडस्लाइड

01:14:51 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

शार्दूल कात्यायन

न्यूज़लॉन्ड्री पर नया वीडियो शो - ये भी ठीक है

द वाइस डॉक्यूमेंट्री - हाउ स्वीडिश वेस्ट प्वाइजन चिली

हृदयेश जोशी

बंधवाड़ी लैंडफिल को लेकर मोगांबे इंडिया पर शार्ट वीडियो

डिस्कवरी ऑफ इंडिया किताब - जवाहर लाल नेहरू

अतुल चौरसिया

एनएल इंटरव्यू - सोफी झांग

आदिवासियों के बिना मर्जी के वनों को काटने की अनुमति देती सरकार - मुक्ता जोशी और नितिन सेठी की न्यूज़लॉन्ड्री पर रिपोर्ट

ट्विटर द्वारा भारत सरकार के खिलाफ दायर याचिका को लेकर अपर गुप्ता का इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित लेख

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हर सप्ताह के सलाह और सुझाव

चर्चा लेटर

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प्रोड्यूसर- रौनक भट्ट

एडिटिंग - उमराव सिंह

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह

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