प्रयागराज में जुमे की नमाज के बाद हुए पथराव और हिंसा के मामले में पुलिस ने जावेद मोहम्मद को गिरफ्तार किया और फिर प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने यूपी पुलिस की मौजूदगी में उनके घर को ढहा दिया.
कौन हैं आफरीन फातिमा
जावेद मोहम्मद की बेटी आफरीन फातिमा, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में जाने-माने चेहरों में से एक हैं. आफरीन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की महिला कॉलेज के छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष और काउंसलर के रूप में जेएनयू छात्र संघ का हिस्सा भी रह चुकी हैं. आफरीन ने अपने पिता को हिंसा का "मास्टरमाइंड" बताए जाने के बाद एक वीडियो बयान जारी करते हुए कहा कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से मेरे पिता को घर से ‘डिटेन’ किया है. जबकि पुलिस के पास कोई नोटिस नहीं था. वे इसी तरह रात को 12 बजे आए और बिना किसी नोटिस के मेरी मां और छोटी बहन को ले गए. वीडियो में आफरीन ने कहा कि पुलिस शनिवार सुबह करीब ढाई बजे दूसरी बार उनके घर पहुंची.
पुलिस फिर से हमारे घर पर इकट्ठी हुई और मुझे और मेरी भाभी को हिरासत में लेने की कोशिश की. जब हमने विरोध किया और कहा कि हम उनके साथ नहीं जाएंगे तो उन्होंने हमें डराने, धमकाने और परेशान करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि पुलिस रात भर उनके घर के बाहर खड़ी रही.
आफरीन के पिता जावेद मोहम्मद वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारणी का हिस्सा हैं. मोहम्मद उमम कहते हैं, "मेरे अब्बू प्रशासन के साथ शांति और सद्भाव कायम करने के प्रयास में लगातार हिस्सा थे, और कई मौकों पर प्रशासन के साथ शहर में काम भी किया. लेकिन उस प्रशासन ने ही ये सब जानते हुए उन्हें हिंसा का "मास्टरमाइंड" घोषित कर दिया और हमारा घर गिरा दिया गया."
प्रशासन ने किया घर के भीतर हथियार मिलने का दावा
प्रयागराज के एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक घर के भीतर खोजबीन के दौरान आपत्तिजनक सामान मिलने का दावा किया गया है. जिसमें अवैध हथियार, आपत्तिजनक पोस्टर को कब्ज़े में लेने और तफ्तीश का हिस्सा बनाने की बात कही गई है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अवैध हथियार में 12 बोर का अवैध तमंचा इसके अलावा 315 बोर का एक तमंचा, कुछ कारतूस और कागजात बरामद किए गए हैं.
वकील केके रॉय ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि घर को ध्वस्त करने के दौरान परिवार का कोई भी सदस्य न घर के भीतर था, न घर के बाहर. घर का ताला भी प्रशासन द्वारा खोला गया. परिवार के द्वारा किसी भी तरह का सामान इधर से उधर लाया, ले जाया नहीं गया. उस वक्त वहां 100 से ज्यादा मीडियाकर्मी मौजूद थे. घर का प्रत्येक सामान पीडीए के अधिकारियों द्वारा बाहर लाया गया. सब खुले में था. वहां ऐसा कोई भी एक व्यक्ति नहीं था जिसने इस तरह का कोई आपत्तिजनक सामान वहां देखा हो. वह कहते हैं कि ये प्रशासन द्वारा गढ़ा जा रहा एक झूठा नेरेटिव है.