गूगल के जालिया प्रगतिशील, इतिहासकार अक्षय कुमार और विश्वगुरू का माफीनामा

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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बीते कुछ सालों में, देश में ऐसे लोगों की तादात बढ़ गई है जिनकी शिकायत है कि उन्हें न कुछ पढ़ाया गया, न कुछ बताया गया, न कुछ दिखाया गया. बस ये जैसे तैसे जवान हो गए और फिर करोड़पति अरबपति हो गए. कुछ महीने पहले इस श्रेणी में विवेक अग्निहोत्री थे. इसी लॉट से अब एक नया माल सामने आया है इनका भी दावा है कि इन्हें तो कुछ पढ़ाया ही नहीं गया. अक्षय कुमार पुराने खिलाड़ी हैं, दावा है कि नैरेटिव बदल देंगे.

कश्मीर से दिल दहलाने वाली खबरें आ रही हैं. बीते हफ्ते एक के बाद एक तीन कश्मीरी पंडितों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी. आतंकवादी घटनाओं में आई तेजी के चलते कश्मीर में एक बार फिर से हालात खराब होने लगे हैं. लोग घाटी से पलायन कर रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक इस साल जनवरी से जून महीने के बीच 20 लोगों को आंतकवादियों ने निशाना बनाया है.

अगली कहानी उन जालिया, फर्जी प्रगतिशील, उच्च शिक्षाप्राप्त, जातिवादी भारतीयों की है जो दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी गूगल में काम करते हैं. गूगल ने अप्रैल महीने में अपने यहां होने वाला एक टाक शो रद्द कर दिया. इस टॉक शो की वक्ता अमेरिका में रहने वाली दलित अधिकार कार्यकर्ता और इक्वैलिटी लैब की संस्थापक थेनीमोजी सुंदरराजन थीं. इसके विरोध में गूगल के जातिवादी, सवर्ण, हिंदुओं ने मोर्चा खोल दिया. दबाव में सुंदर पिचाई के गूगल ने घुटने टेक दिए.

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